कलियुग में महाप्रलय का महारहस्य! महिला और पुरुषों को लेकर प्रेमानंद जी महाराज ने की कलियुग की बड़ी भविष्यवाणी...जाने पूरी जानकारी

कलियुग में महाप्रलय का महारहस्य! महिला और पुरुषों को लेकर प्रेमानंद जी महाराज ने की कलियुग की बड़ी भविष्यवाणी...जाने पूरी जानकारी

Ghor Kalyug Kab Shuru Hoga : प्रेमानंद जी महाराज ने घोर कलियुग को लेकर भविष्यवाणी की है। महाराज जी के अनुसार, कलियुग में पाप और अधर्म चरम पर होगा, जिससे महाप्रलय आएगी। इस युग में लोगों की आयु कम हो जाएगी, आचरण भ्रष्ट होगा, और झूठ का बोलबाला होगा। कल्कि अवतार के बाद सतयुग का आरंभ होगा, जब लोगों के हृदय पवित्र हो जाएंगे और सुख-समृद्धि वापस आएगी। जानें घोर कलियुग को लेकर प्रेमानंद जी महाराज ने क्या बताया...

कलियुग को योग चक्र का चौथा और सबसे अपिवत्र युग माना गया है। कलियुग में पाप अपने चरम पर होगा। जैसे जैसे पाप और अधर्म बढ़ेगा कलियुग के अंत समीप आने लगेगा। पुराणों में बताया गया है कि कलियुग का अंत महाप्रलय से होगा। विष्णु पुराण, मनुस्मृति, भविष्य पुराण से लेकर महाभारत तक सभी जगह कलियुग का जिक्र किया गया है। कलियुग दो शब्दों से मिलकर बना है। कलि और युग जिसका अर्थ है कि 'अंधकार का युग', दुराचार का युग, दुख का युग है। कलियुग को लेकर प्रेमानंद जी महाराज ने भी कुछ बातें और रहस्य बताएं हैं। उन्होंने बताया है कि कलियुग में स्त्री, पुरुष और सन्यासियों का आचरण कैसा होगा। आइए जानते प्रेमानंद जी महाराज से की कलियुग में कैसा होगा संसार में महाप्रलय...

कब होगा कल्कि अवतार ?

प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि इसी जन्म में भगवत प्राप्ति की कामना रखें। अगले जन्म की मत सोचे कलियुग में व्यक्ति की आयु 70,80 वर्ष की रह जाएगी। कलियुग जैसे जैसे आगे बढ़ेगा फिर व्यक्ति की आयु 20, 30 वर्ष ही रह जाएगी। कलिुयुग में घोर पाप आचरण का वातावरण होगा। अपिवत्र सब व्यवहार होगा। इसलिए अभी भजन करना लाभकारी होगा। प्रेमानंदजी महाराज आगे बताते हैं कि जब भगवान सच्चिदानंद जब कल्कि अवतार धारण करेंगे और दुष्टों का संहार करते है उस समय से सतयुग का आरंभ होगा। जब सब डाकुओं का संहार हो चुका होगा। तब नगर की और देश की सारी प्रजा का हृदय पवित्रता से भर जाएगा। क्योंकि, भगवान कल्कि के शरीर में लगे हुए अंग राज स्पर्श पाकर पवित्र हुई वायु उनका स्पर्श करेंगी। भगवान की श्री विग्रह की दिव्य गंद संपूर्ण लोगों को निशपाप कर देगी। उनके हृदय में भगवान वासुदेव वास करेंगे। इसके बाद पहले की तरह की सभी की संतान स्वस्थ और हष्ट पुष्ट और बलवान होने लगेगी। जिस समय चंद्रमा सूर्य और बृहस्पति एक साथ पुष्य नक्षत्र के प्रथम चरण में प्रवेश करते हैं और एक राशि में आएंगे उसी समय से सतयुग का आरंभ होगा।

कलियुग का आरंभ कैसे हुआ ?

भगवान विष्णु जब श्री कृष्ण के रूप में प्रकट हुए और अपनी लीला करके परम धाम पधार गए गए तब कलियुग का आरंभ हुआ। उसी समय मनुष्य की गति मति पाप की ओर बढ़ गई। जब तक भगवान अपने कमल चरणों से यहां रहते तब तक कलियुग की ताकत नहीं थी की वह यहां प्रवेश करता। जब भगवान अंतर्ध्यान हो गए तब कलियुग का प्रारंभ हुई। मनुष्य की गणना के अनुसार, कलियुग की आयु 4 चार 32 हजार वर्ष की होगी और देवता की वर्ष गणना के आधार पर कलियुग की आयु 1200 वर्षों की होगी।

कलियुग में महाप्रलय कैसे होगी

प्रेमानंद जी महाराज बताते है कि देवता की गणना के अनुसार, जब कलियुग के 1000 वर्ष बीत चुके होंगे जब कलियुग के अंतिम दिनों में लोगों के मन में सात्विकता का संचार होगा। लोग अपने वास्तविक स्वरुप का जान सकेंगे।

कलियुग में अपने दोष का नाश करने के लिए सत्य, दया, तप और दान करने से दोष से मुक्ति पा सकते हैं। कलियुग जब चरम पर होगा झूठ, असत्य, हिंसा, असंतोष, कलह अधर्म के चार चरण अपने चरम पर होंगे।

कलियुग में झूठ बोलना अपराध नहीं माना जाएगा। लोग एक दूसरे से वैर लेंगे। कलियुग जैसे जैसे चरण पर जाएगा। लोग झूठ पर झूठ बोलेंगे। लोगों की दृष्टि नीच हो जाएगी। अधिकांस लोग अत्यंत निर्धन। मन में बड़ी-बड़ी कामनाएं होंगी।

जब कलियुग में महाप्रलय होगा जब पाखंड़ी लोग मनमाने ढंग से शास्त्रों और वेदों का मतलब निकालने लगेंगे। प्रेमानंद जी कहता हैं कि पाखंडियों का बोलबाला होगा कलियुग में।

कलियुग जैसे जैसे चरम पर जाएगा कोई भी व्यक्ति ब्रह्मचारी नहीं होगा, सभी अपवित्र होंगे। गृहस्थ जन दूसरों को दीक्षा देने के बदले स्वंय भीख मांगने लगेंगे। सन्यासी धन के लोभी होंगे और वहीं धनी होंगे।

महाराज जी ने आगे कहा कि कलियुग अपने चरम पर जैसे जैसे जाएगा स्त्रियों का आकार छोटा होने लगेगा। स्त्रियों को संताने अधिक होने लगेंगी। महिलाएं अपवित्र आचण करेंगी। महिलाओं का साहस बहुत बड़ा होगा।

कलियुग में व्यापारी धोखाधड़ी करने लगेंगे। व्यापारी वर्ग के लोग जिन रास्तों को संत गलत बताएंगे उन्हीं रास्तों से धन कमाएंगे।

कलियुग में स्वामी कितना ही अच्छा क्यों न हो जब उनके पास धन नहीं होगा तो सेवक उनके पास से चले जाएंगे। सेवक कितना ही अच्छा हो जब उसपर विपत्ति पड़ेगी तो स्वामी उसे छोड़ देंगे।

कलियुग में लोग अपनी काम वासना को पूरा करने के लिए किसी से भी प्यार का नाटक करेंगे। अपनी वासना पूर्ति के लिए माता-पिता, भाई बंधुओं की आज्ञा का भी पालन नहीं करेंगे। कलियुग में लोगों को धर्म का ज्ञान नहीं होगा।

प्रेमानंद जी आगे बताते है कि कलियुग में अभी आगे ऐसा समय आने वाला है जब सूखा पड़ेगा। लोग भूख से तड़पने लगेंगे। मनुष्य के शरीर पर केवल हड्डी-हड्डी ही दिखाई देंगी। प्राण रक्षा के लिए रोटी का टुकड़ा मिलना मुश्किल हो जाएगा। पेट की ज्वाला शांत करने के लिए पानी नहीं मिलेगा। सोने के लिए जमीन नहीं होगा।

दांपत्य जीवन में स्नान और आभूषण पहनने तक की सुविधा नहीं होगी। लोगों की आकृति पिशाच जैसी हो जाएगी।

कलियुग में धन संपत्ति के लिए भाई भाई ने लड़ाई होगी। एक दूसरों की हत्या तक कर डालेंगे। पुत्र अपनी बुढ़े मां बाप की रक्षा नहीं करेंगे और घर से निकाल देंगे। प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि यह शुरु हो चुका है अभी आगे विशाल रुप में आएगा।

प्रेमानंद जी महाराज बताते है कि कलियुग में मनुष्य मरते समय या आतुरता की स्थिति में यदि विवश होकर भगवान के एक नाम का स्मरण कर लें तो उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे उत्तम से उत्तम गति प्राप्त होगी।