जीएसटी दर में चमत्कारी सुधार पर जिला भाजपा कार्यालय में हुआ भाजपा का महत्वपूर्ण पत्रकार वार्ता आयोजित,कहा जीएसटी सुधार से मिलेगा आम नागरिकों को बड़ी राहत

जीएसटी दर में चमत्कारी सुधार पर जिला भाजपा कार्यालय में हुआ भाजपा का महत्वपूर्ण पत्रकार वार्ता आयोजित,कहा जीएसटी सुधार से मिलेगा आम  नागरिकों को बड़ी राहत

जशपुर : जिला भाजपा कार्यालय में जीएसटी सुधार पर महत्वपूर्ण पत्रकारवार्ता आयोजित हुआ।इस दौरान जीएसटी को विस्तार से बताने के लिए राजीव अग्रवाल सीएसआईडीसी के अध्यक्ष मुख्य रूप से मौजूद थे। इस दौरान पूर्व अध्यक्ष हस्तशिल्प विकास बोर्ड कृष्ण कुमार राय,जिला महामंत्री मुकेश शर्मा व मनीष अग्रवाल,जिला प्रवक्ता ओम प्रकाश सिन्हा,मीडिया प्रभारी फैजान सरवर खान,संतोष सिंह,शरद चौरसिया,मुकेश सोनी,राहुल गुप्ता,पिंटू गोस्वामी,अभिषेक मिश्रा सहित अन्य कार्यकर्ता मौजूद रहे।
राजीव अग्रवाल ने पत्रकारवार्ता को संबोधित करते हुए बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी में ऐतिसाहसिक फैसले लेने की क्षमता,उनके नेतृत्व में ही भारत विकसित होगी।इस क्रम में नई जीएसटी दर लागू कर प्रधानमंत्री मोदी ने एक नई ऐतिहासिक फैसला लिया है।यह पूरे देश में 22 सितंबर से पूरी पारदर्शिता के साथ नई जीएसटी दर सुधार कर लागू किया जाएगा।जीएसटी दर में कमी होने से जनता की जीव में अब सीधा पैसा जायेगा,साथ ही खरीदी क्षमता बढ़ेगी जिससे देश विकसित होने की दिशा में अग्रसर होगा।
प्रधानमंत्री मोदी के एजेंडे चुनावी और राजनीतिक एजेंडे से बड़े होते हैं। वे राष्ट्र हित में बड़े-बड़े फैसले लेने की ताकत रखते हैं। कोई भी फैसला होता है तो उसमें टैक्स का बैस बढ़ता है। यानी टैक्स देने वाले बढ़ते हैं। जैसे-जैसे टैक्स बढ़ता है तो टैक्स को कम भी करते हैं। टैक्स का पैसा या तो सरकार की जेब में जाता है या फिर जनता की जेब में जाता है। सरकार अब अपने जेब में न लेकर जीएसटी में बदलाव करके जनता की जेब में पैसा डाल रही है। जनता की जेब में पैसा जाने से उनकी खरीदी करने की क्षमता बढ़ती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को 2047 में विकसित भारत बनाना चाहते हैं। जीएसटी में जो भी बदलाव किए गए हैं, वो विकासशील अर्थव्यवस्था से विकसित अर्थव्यवस्था की दिशा में ले जाने वाला बड़ा कदम है। इसमें संदेह नहीं है कि बड़े फैसले लेने की क्षमता नरेंद्र मोदी के अलावा किसी और में नहीं है।
भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत लगातार आर्थिक महाशक्ति बनने की तरफ अग्रसर है। आयकर में ऐतिहासिक छूट के बाद अब जीएसटी के स्लैब का सरलीकरण, इसके रेट में अभूतपूर्व सुधार करके, रेट को कम करके करके भारत को विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की तरफ हम अग्रसर हो चुके हैं।
यह बदलाव आम आदमी के जीवन को खुशहाल करने वाले और व्यापार उद्योग को नई गति देने वाले हैं। इससे न सिर्फ लोगों की बचत में ऐतिहासिक बढ़त होगी, बल्कि जीएसटी कानूनों के सरलीकरण से अब व्यापारी भी अधिक सुगमता के साथ अपना कार्य कर सकेंगे। मां शक्ति की अराधना के पावन पर्व 'नवरात्रि' से लागू होने वाले यह नए प्रावधान देश को आर्थिक रूप से और शक्तिशाली बनाएंगे।
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि एक राष्ट्र-एक टैक्स की भावना के साथ पहले सभी तरह के अप्रत्यक्ष करों को एक कर प्रणाली के तहत नरेंद्र मोदी ने लाकर एक भारत-श्रेष्ठ भारत की अवधारणा को साकार किया और अब इसे और सरल बना कर क्रांतिकारी सुधारों का सूत्रपात किया गया है।
आजादी के बाद से लेकर 101 वें संविधान संशोधन द्वारा 1 जुलाई 2017 को जीएसटी लागू होने से पहले तक भारत में 17 प्रकार के टैक्स और 13 प्रकार के सेस लागू थे। इसके अलावा भी राज्य सरकारें मनमाने ढंग से कभी भी कोई भी कर आरोपित कर देती थी। प्रत्यक्ष कर की बातें करें तो आयकर की दर तो एक समय अधिकतम 97.5 प्रतिशत तक पहुंच गया था। पिछले वर्ष 12 लाख सालाना की आय पर टैक्स नहीं लागू करने का निर्णय लेने के बाद अब जीएसटी में चार स्लैब के बदले दो ही स्लैब रखने, सभी उपयोगी वस्तुओं पर कर शून्य करने और अनेक उत्पादों में कर 10 प्रतिशत तक कम कर देने से अब वास्तव में भारतीय अर्थव्यवस्था अब जनता के लिए रामराज्य लाने वाला साबित होगा।
यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2025 को लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में जीएसटी में अगली पीढ़ी के सुधार करने का आश्वासन दिया था और मात्र बीस दिन की भीतर ही जीएसटी काउंसिल ने इस सुधार को मंजूरी दे दी गई है।
नये सुधार से सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्योगों को सबसे अधिक लाभ मिलेगा। रोजमर्रा की अनेक वस्तुएं जैसे तेल, शैम्पू, टूथपेस्ट, मक्खन, पनीर, सिलाई मशीन से लेकर ट्रैक्टर व उसके कलपूर्जे व अन्य कृषि उपकरण तथा व्यक्तिगत स्वास्थ्य एवं जीवन बीमा, शैक्षणिक वस्तुओं के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक व ऑटोमोबाइल उत्पादों को किफायती बनाया गया है।
एक विकसित अर्थव्यवस्था में करदाता अधिक, और टैक्स की दर कम होना चाहिए। इसी लक्ष्य को हासिल किया है जीएसटी ने जीएसटी कर दाता 2017 में 66.5 लाख से बढ़कर 2025 में 1.51 करोड़ हो गए हैं। वित्त वर्ष 2024-25 में सकल जीएसटी संग्रह 22.08 लाख करोड़ रुपये रहा, जो केवल चार वर्षों में दोगुना हो गया है।
जीएसटी कम होने का लाभ वस्त्र उद्योग को विशेष रूप से निर्यात के लिए होगा। हस्तशिल्प की कम दरें कारीगरों की आजीविका को समर्थन देंगी, विरासत को संरक्षित करेंगी और ग्रामीण आर्थिक विकास को बढ़ावा देंगी। ऑटोमोटिव में स्पष्ट वर्गीकरण से विवाद कम होंगे तथा विनिर्माण और निर्यात में वृद्धि को समर्थन मिलेगा। नवीकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहन मिलेगा।
यह सुधार किसानों के जीवन में आर्थिकी को मजबूती प्रदान करेगा। ट्रैक्टर, हार्वेस्टर, रोटावेटर में अलग-अलग तरह के जीएसटी घटाकर 5 प्रतिशत की गई है। यह किसान के लिए लागत सक्षम कृषि में सहायक होगी। जैव-कीटनाशक और सूक्ष्म पोषक तत्वों पर जीएसटी दर घटाई गई है।
स्वास्थ्य बीमा, जीवन बीमा उत्पादों पर कर समाप्त करने का लाभ सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक है। यह कर छूट सभी के लिए बीमा का लक्ष्य पाने में मददगार होगा। सस्ते इलाज के संदर्भ में यह कदम ऐतिहासिक है।
इसके अलावा अपवाद के रूप में जहां स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले उत्पादों पर 40 प्रतिशत कर आरोपित किया गया है, वहीं बीड़ी को 18 प्रतिशत के स्लैब में ही रखा गया है। इससे भविष्य में तेंदू पत्ता संग्राहकों को काफी लाभ होगा। जनजातीय क्षेत्र में तेंदू पत्ता जैसे लघु वन्य उत्पादों की मांग अधिक बढ़ेगी, इससे प्रदेश को भी काफी लाभ होगा।
छत्तीसगढ़ को आर्थिक सुधार और शानदार प्रबंधन के लिए केवल प्रोत्साहन राशि के मद में 6200 करोड़ रुपए मिले हैं। यह प्रोत्साहन मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में किए श्रेष्ठ आर्थिक प्रबंधन का उदाहरण है।
नरेंद्र मोदी स्वयं लम्बे समय तक मुख्यमंत्री रहे हैं, इस कारण वे राज्यों की समस्याओं से अवगत हैं। उन्होंने हमेशा से राज्यों की चिंता की है। प्रधानमंत्री बनते ही मोदीजी ने केंद्रीय करों में राज्यों का हिस्सा 32 प्रतिशत से बढ़ा कर 42 प्रतिशत कर दिया था। अभी कोरोना के बाद यह 41 प्रतिशत है। छत्तीसगढ़ की आबादी देश की जनसंख्या का दो प्रतिशत से भी कम है लेकिन इस मद में हमें 41 प्रतिशत का 3.407 प्रतिशत हिस्सा मिलता है। इस वृद्धि के कारण पिछले दस ग्यारह वर्ष में हमें एक लाख करोड़ रुपए से अधिक अतिरिक्त मिले हैं।
देश को विकसित बनाने के इस यज्ञ में विपक्ष द्वारा दोहरी राजनीति करना दुखद है। जहां जीएसटी कौंसिल की बैठक में विरोधी दलों की सरकारों के सदस्य टैक्स घटाने का विरोध करते हैं, कहते हैं कि इससे उनके राज्यों को कम पैसे मिलेंगे, वहीं बाहर आ कर वे दल ही यह कहते हैं कि केंद्र सरकार टैक्स लाद रही है, देश के भविष्य से जुड़े ऐसे विषयों पर इस तरह की सस्ती राजनीति उचित नहीं है।
विपक्ष द्वारा यह दुष्प्रचार की इसका अमेरिकन टैरिफ से कोई सम्बंध है, निहायत ही बचकाना और झूठ है। इस सुधार की शुरुआत आज से डेढ़ वर्ष पहले ही हो गयी थी। तब ही इसकी टीम आदि बन चुकी थी और इस पर मंथन हो रहा था। किसी विदेशी गतिविधि का इससे कोई सम्बंध नहीं है।
कांग्रेस इस मामले में भी बुरी तरह कनफ्यूज है। कभी वह इस सुधार का जबरन श्रेय लेना चाहती है, तो कभी इसे गब्बर सिंह टैक्स कह कर इसका मज़ाक बनाती है, जबकि जीएसटी अब गुड एंड सिंपल टैक्स हो गया है।
जीएसटी कौंसिल संघ-राज्य संबंध का एक बेहतरीन लोकतंत्रिक मॉडल है जहां सारे निर्णय तीन चौथाई बहुमत से लिए जाने का प्रावधान है और अभी तक इसमें लगभग सभी निर्णय सर्वानुमति से लिए गए हैं। इसमें दो तिहाई वोट राज्यों से होते हैं, सभी राज्यों के वित्त मंत्री इसके सदस्य होते हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन की अध्यक्षता में बनी यह कॉसिल लोकतंत्रिक संघवाद का एक बेहतरीन मोडल है। छतीसगढ़ से पदेन सदस्य के रूप में वित्त मंत्री ओ पी चौधरी जी ने भी इस सुधार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। नया जीएसटी सुधार वास्तव में एक नए क्रांतिकारी आर्थिक युग का सूत्रपात है, इसे हल्की और सस्ती राजनीति का बंधक नहीं बनाया जाना चाहिए।