खरगे और शाह में जमकर टकराव.! कांग्रेस अध्यक्ष खरगे बोले- ‘तुम कायर हो’...अमित शाह ने दिया ऐसा जवाब कि सुनते रह गए खरगे...पढ़ें पूरी खबर

Kharge Attack Amit Shah in Rajya Sabha: राज्यसभा में अमित शाह और कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बीच जमकर टकराव हुआ. अमित शाह के बोलने के दौरान खरगे गुस्से में आ गए और केन्द्रीय मंत्री शाह को कायर कह डाला है. अमित शाह ने इस पर मल्लिकार्जुन खरगे को कहा कि ‘खरगे साहब किया है तो सुनना तो पड़ेगा.’ दोनों के बीच जमकर तीखीं बहश हुई. इस दौरान शाह ने कांग्रेस पार्टी पर भी जमकर निशाना साधा.
दरअसल केन्द्री गृहमंत्री अमित शाह राज्यसभा में कोरम और राष्ट्रपति शासन को लेकर बोल रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा, कि कैसे सदन में कम लोग आया करते थे, लेकिन ठीक उसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे गुस्से में आ गए और अमित शाह पर भड़क गए. खरगे ने शाह को कहा कि तुम कायर हो.
वहीं, केंद्रीय गृहमंत्री को कायर कहने के बाद अमित शाह ने कहा, “खरगे जी मुझे बोलने दीजिए. ’मैं आपका बहुत सम्मान करता हूं.’ आगे बोले, “मैं ये चारों संशोधन अपनी पार्टी के ऑफिस से नहीं ला सकता. ये चारो संशोधन संविधान में हुए, किसी को अदालत ने निरस्त किया, किसी को जनता पार्टी की सरकार ने निरस्त किया तो कुछ बने रहे. ये चारों संसोधन संविधान में हुए है सभी संशोधन वास्तविकत है. ये चार संशोधन बताते हैं कि कांग्रेस की संविधान संशोधन करने की मंशा क्या है…?
दरअसल, अमित शाह चारों संसोधन के बारे में कहा कि पहला संशोधन ये है कि उन पर केस न हो, दूसरे में वह चुनाव हारने वालों का समय बढ़ा दें, तीसरे में उन पर जांच नहीं की जा सकती सकती और इसके अलावा चौथे में ये कहा गया है कि नागरिकों को संविधान प्रदत्त अधिकारों को समाप्त करता है. ये संशोधन के उद्देश्य बताते हैं.
फिलहाल, इस दौरान केन्द्रीय मंत्री शाह ने भाजपा शासन में हुए चार संविधान गिनाए जिसमें जीएसटी का संशोधन, इसके अलावा 102वां संशोधन जो नेशनल कमीशन ऑफ बैकवर्ड क्लास को संवैधानिक दर्जा देने के लिए किया. वह बोले, “अगर ये कांग्रेस की सरकार कर देती तो भाजपा को मौका नहीं मिलता. 103वां संशोधन भी गिनाया, जो गरीब बच्चों को 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए किया गया. इसके साथ ही अमित शाह ने 105वें संशोधन के बारे में बताते हुए कहा कि, जो ओबीसी की पहचान देने के लिए किया गया. क्योंकि आजादी के बाद ऐसा करने का अधिकार केवल केंद्र सरकार के पास था.