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भ्रष्टाचार रोकने और सरकारी कार्यों में पारदर्शिता लाने के लिए लोकपाल की नियुक्ति हुई है…जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष बने देश के पहले लोकपाल, राष्ट्रपति ने की नियुक्ति

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नई दिल्ली. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के सदस्य और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष (Pinaki Chandra Ghose) को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश का पहला लोकपाल नियुक्त कर दिया है.

देश में भ्रष्टाचार रोकने और सरकारी कार्यों में पारदर्शिता लाने के लिए लंबे अर्से से लोकपाल की नियुक्ति की मांग की जा रही थी. आपको याद होगा कि वर्ष 2013 में इसके लिए देशव्यापी आंदोलन हुआ था. समाजसेवी अन्ना हजारे ने इसके लिए दिल्ली के रामलीला मैदान में अनशन किया. वर्तमान में सत्तारूढ़ भाजपा ने भी इस आंदोलन में बढ़-चढ़कर भूमिका निभाई थी. कई महीनों के प्रयासों के बाद आखिरकार तत्कालीन यूपीए सरकार ने लोकपाल कानून पारित किया, लेकिन लोकपाल की नियुक्ति नहीं की.

इसी कानून के तहत देश के सभी राज्यों में लोकपाल की ही तरह लोकायुक्त नियुक्त करने का भी प्रावधान किया गया. लेकिन कानून बनने के बाद 5 साल तक इस पर अमल नहीं हुआ. राजनीतिक और सामाजिक संगठन इसके लिए बार-बार आंदोलन करते रहे, लेकिन सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया. अंततः 2019 के आम चुनाव से पहले मंगलवार को देश के पहले लोकपाल की नियुक्ति कर दी गई.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को जिस जस्टिस पीसी घोष की इस पद पर नियुक्ति की है, उनके नाम की चर्चा पिछले कुछ दिनों से मीडिया में चल रही थी. जस्टिस घोष के नाम का चयन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली उच्च अधिकार प्राप्त समिति ने किया. सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बीते दिनों मीडिया के साथ बातचीत में कहा था कि जस्टिस पीसी घोष के नाम पर सर्वसम्मति बन गई है. जस्टिस घोष के अलावा लोकपाल के सदस्यों के रूप में कुछ न्यायिक सदस्यों और आम सदस्यों की भी नियुक्ति की गई है. राष्ट्रपति द्वारा लोकपाल की संस्था में जिन न्यायिक सदस्यों की नियुक्ति की गई है, उनमें जस्टिस दिलीप बी. भोसले, जस्टिस पीके मोहंती, जस्टिस अभिलाषा कुमारी और जस्टिस एके त्रिपाठी शामिल हैं. इनके अलावा दिनेश कुमार जैन, अर्चना रामसुंदरम, महेंदर सिंह और डॉ. आईपी गौतम को भी गैर-न्यायिक सदस्य के तौर पर लोकपाल की संस्था में नियुक्त किया गया है.

देश के पहले लोकपाल बनने जा रहे 67 वर्षीय जस्टिस पीसी घोष वर्तमान में एनएचआरसी के सदस्य हैं. वह 27 मई 2017 को सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए. सुप्रीम कोर्ट में जज के तौर पर उन्होंने 8 मार्च 2013 को पदभार ग्रहण किया था. लोकपाल सर्च कमेटी द्वारा सूचीबद्ध किए गए शीर्ष 10 नामों वह शामिल थे. जस्टिस घोष की सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने जुलाई 2015 में तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जे.जयललिता को नोटिस जारी किया था. कर्नाटक सरकार द्वारा जयललिता व तीन अन्य को आय से अधिक संपत्ति के मामले में रिहा करने को चुनौती देने वाली एक याचिका पर यह नोटिस जारी किया गया था. वे पूर्व में कलकत्ता हाईकोर्ट के जज रह चुके हैं. साथ ही आंध्र प्रदेश के हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं.

जस्टिस पीसी घोष का जन्म कोलकाता में हुआ. वह कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस दिवंगत जस्टिस शंभू चंद्र घोष के बेटे हैं. घोष, कलकत्ता के सेंट जेवियर्स कॉलेज से कॉमर्स में स्नातक हैं, उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक (एलएलबी) किया और कलकत्ता उच्च न्यायालय से अटॉर्नी-एट-लॉ प्राप्त किया. उन्होंने 30 नवंबर 1976 को बार काउंसिल ऑफ पश्चिम बंगाल में खुद को वकील के रूप में पंजीकृत कराया।

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