श्रीमती नीलिमा मिश्रा
क्या तुम आओगी ?
पुरानी स्मृतियों की एक आग ,
जलाई है हमने , आज रात
एक दिल भी लाना ,
यहां दर्द है , घमासान
निमंत्रण कम व चुने हुए हैं,
जैसे तुम फूल चुनती थी
न्यूटन दिखलाएगा प्रेम के धागे , जैसे दिखलाया था गुरुत्व , और मार्क्स समझाएगा , प्रेम के देवता क्यूपिड का नेत्र ऑपरेशन......!
वो अब देख सकता है ! हाँ ।
जैसे यकीन होता है , शिकारी को अपनी बंदूक पर ,
या औरतों को अपनी अदाओं पर।
उदघोष के साथ पढ़ी जायेगी कविताएं....!
तुम्हारी आवाज़ चाहिए , तुम्हारे कान चाहिए।
क्या तुम आओगी?
आओ ,
आज की रात कविताओं की रात है।
जैसे विज्ञान दौड़ता है गणित होने ,
या
कविता चाहती है संगीत होने ,
तुम आना ,
आज की रात है सच बाँटने की.....
तुम जरूर आना।
( फरेन की कविता का अंश )
नारी उत्पीड़न पर लिखी 9 विश्व स्तरीय कविताओं का कोलाज " वामा " जिसमें 8 कविताएँ विश्व की महिला कवयित्रियों की लिखी गईं हैं , और एक कविता पुरुषों का प्रतिनिधित्व करती है। इस कोलाज का मंचन अष्ट रंग.. भिलाई प्रस्तुत कर रहा है।
" आप गणित , संगीत और कविताओं में झूठ नहीं बोल सकते। "
" कविताएँ कुछ कहना चाहती हैं , वो आपके पास रहना चाहती हैं "
सभी कविताएँ स्त्रियों के विभिन्न आयाम को परत दर परत उघाड़ती हुई एक ही स्वर में अलग अलग देशकाल , भूखंड से गुजरते हुए , आज के हालात की पड़ताल करती है..,
सहज भाषा , सरल काव्यविन्यास इन सभी कविताओं की विशेषता है , पर उसमें स्त्री की दुनियां कमोबेश एक ही है।
कविताओं में सभी कलाकार भिलाई और रायपुर की चुनिंदा अभिनेत्रियाँ हैं..,