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कारगिल विजय दिवस एक तारीख नही है, यह भारतीय सेना के अदम्य साहस, शौर्य और बलिदान का प्रतीक है-डॉ विश्नोई

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शिवा मिश्रा विशेष संवाददाता रायपुर (छ. ग.)

एमसीबी - मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में कारगिल विजय दिवस के अवसर पर अग्रणी महाविद्यालय शासकीय विवेकानन्द स्नातकोत्तर महाविद्यालय मनेन्द्रगढ़ में “युवाओं में देशभक्ति और राष्ट्रप्रेम की भावनाओं का संचार” को दृष्टिगत रखते हुए भाषण, परिचर्चा, विचारगोष्ठी, आदि कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस अवसर पर परिचर्चा पर नवप्रवेशी विद्यार्थियांे सहित बड़ी संख्या में बी.ए., बी.एससी., बी.कॉम. के छात्र-छात्रायें सम्मिलित हुए। विद्यार्थियों में नागेश्वर एवं तरूणेन्द्र पाण्डेय ने इस अवसर पर विचार रखते हुए विद्यार्थियों में देश प्रेम की भावना बढ़ाने की अपील की। इस अवसर पर डॉ. रश्मि तिवारी, श्री सुशील कुमार तिवारी, डॉ. अरूणिमा दत्ता, श्रीमती स्मृति अग्रवाल, डॉ. रामजी गर्ग, श्री शुभम कुमार गोयल,, पुष्पराज सिंह, डॉ. रिंकी तिवारी परिचर्चा में हिस्सा लिया और अपने विचार रखे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. सरोजबाला श्याग विश्नोई ने इस अवसर पर कहा कि भारतीय सेना की गौरवगाथा असंख्य वीरता एवं बलिदान से भरी है। भारतीय सेना की स्थापना से लेकर आजपर्यन्त देश के लिए अदम्य साहस, वीरता एवं राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत होकर देश के लिए अपना जीवन न्योछावर किया है। प्रतिवर्ष 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भारतीय सेना की अदम्य साहस, शौर्य और बलिदान का प्रतीक है। यह दिवस राष्ट्रवाद और एकता की भावना, सैन्य एवं समाज के बीच संबंध, युवाओं के लिए प्रेरणा सामाजिक जागरूकता और कृतज्ञता, सैनिकों की वीरता और बलिदान की सराहना करने की प्रेरणा देता है। सन् 1999 में आज के दिन भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना एवं घुसपैठियों को कारगिल की ऊँची चोटियों से खदेड़कर विजय प्राप्त की थी। पाकिस्तान में सर्दियों के दौरान भारतीय चौकियों को खाली देखकर घुसपैठ की थी। भारतीय सैनिकों ने विजय ऑपरेशन के द्वारा 26 जुलाई 1999 को कारगिल युद्ध पर विजय प्राप्त की। उन्होनें कैप्टन बत्रा (परमवीर चक्र), रायफल मैन संजय कुमार, मेजर राकेश सिंह, कैप्टन अनुभव नायर, कैप्टन सौरभ कालिया, लेफ्टिनेंट नवदीप सिंह, लेफ्टिनेंट बलवान सिंह (महावीर चक्र), मेजर विवके गुप्ता (महावीर चक्र मरणोपरान्त), कैप्टन एन.के. गुरूसे (महावीर चक्र मरणोपरान्त), लेफ्टिनेंट कौसिंगक्लीफोर्ड (महावीर चक्र मरणोपरान्त), नायर दिगेन्द्र कुमार (महावीर चक्र), कैप्टन अमोल कालिया (वीरचक्र), कैप्टन हनीफउद्दीन, कैप्टन अमित भारद्वाज, ग्रेडेनियर राजेश कुमार, हवलदार योगेश कुमार जैसे जाबांज योद्धाओं को भी स्मरण करते हुए उनके युद्ध कौशल की चर्चा की। सभी अमर शहीदों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम संचालन करते हुए श्रीमती अनुपा तिग्गा ने कहा कि यह युद्ध 1999 में तब शुरू हुआ जब पाकिस्तानी सेना नियंत्रण रेखा से भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ कर कारगिल, बटालिक और द्रास सेक्टर के चोटियों पर आ पहुँची थी। इस दौरान हालात बेहद खराब थे क्योंकि पाकिस्तानी सेना ऊँची चोटियों पर थी। जबकि भारतीय सेना निचले हिस्से पर थी, लेकिन भारत के जाबांज सैनिकों ने हार नही मानी और दुर्गम स्थिति को मात देते हुए पाकिस्तानी सेना को परास्त कर दिया।

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