नितिन राजीव सिन्हा शुभकामना दिवाली का दीया है जलता है तो ग़रीब की आँखों में उम्मीदें भर देता है अमीर के घर आँगन में ख़ुशियाँ बिखेर देता है,आतिशी शाम में रौनक़ ज़िंदगी की होती है महक उठी हैं वादियाँ पर,किसी किनारे भूख बैचेन होती है वह रोटी को मोहताज होती है के,कहीं दिवाली लोगों के मुँह मीठे कर रही होती है कहीं कोई ग़रीब बिटिया रोटी रोटी कर बेदम हो रही होती है..,
नितिन राजीव सिन्हा
शुभकामना
दिवाली का दीया
है जलता है तो
ग़रीब की आँखों
में उम्मीदें भर देता
है अमीर के घर आँगन
में ख़ुशियाँ बिखेर देता
है,आतिशी शाम में
रौनक़ ज़िंदगी की
होती है महक उठी
हैं वादियाँ पर,किसी
किनारे भूख बैचेन
होती है वह रोटी
को मोहताज होती
है के,कहीं दिवाली
लोगों के मुँह मीठे
कर रही होती है
कहीं कोई ग़रीब
बिटिया रोटी रोटी
कर बेदम हो रही
होती है..,