Big Breaking : ग्राम पंचायतों के लिए खुशखबरी...58 लाख ग्रामीणों को मिलेंगे जमीन के पट्‌टे...पढ़ें पूरी खबर

Big Breaking : ग्राम पंचायतों के लिए खुशखबरी...58 लाख ग्रामीणों को मिलेंगे जमीन के पट्‌टे...पढ़ें पूरी खबर

▪️स्वामित्व योजना : किसानों को मिलेगा संपत्ति के मालिकाना हक का सरकारी रिकॉर्ड

किसान के जीवन में जमीन के मालिकाना हक की सबसे ज्यादा अहमियत होती है। अब सरकार ने जमीन के मालिकाना हक का महत्व समझते हुए ग्रामीणों को जमीन के पट्‌टे (संपत्ति कार्ड) बांटने का फैसला किया है। स्वामित्व योजना के तहत जमीन का पट्‌टा मिलने के बाद किसान का नाम सरकार के अधिकृत रिकॉर्ड में जुड़ जाएगा और उसे सरकारी योजनाओं सहित अन्य लाभ ज्यादा आसानी से मिलने लगेंगे। अब तक देश में करोड़ों किसानों के पास जमीन का मालिकाना हक नहीं है क्योंकि उन्हें यह जमीन विरासत में मिली है और वे उसे लंबे समय से उपयोग में ले रहे हैं। लेकिन इसका कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है। आइए, इस खबर के बारे में विस्तार से जानते हैं।

सबसे पहले जानिए क्या है सरकार की स्वामित्व योजना

भारत के शहरों में हर प्रॉपर्टी का सरकारी रिकॉर्ड होता है और प्रॉपर्टी का मालिक उस पर आसानी से लोन ले सकता है। इसके विपरित ग्रामीण इलाकों में लोगों के पास अपनी जमीन या संपत्ति तो होती है लेकिन कानूनी प्रमाण नहीं होता है। ऐसे में उन्हें लोन व अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है। साथ ही भूमि संबंधी विवादों का भी सामना करना होता है।

ऐसे लोगों को जमीन का मालिकाना हक दिलाने के लिए प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना की शुरुआत 24 अप्रैल 2020 को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में की गई थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि का कानूनी स्वामित्व सुनिश्चित करना है, ताकि ग्रामीणों को उनकी संपत्ति पर अधिकार मिल सके। इससे न केवल उनके आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, बल्कि उन्हें वित्तीय संस्थानों से ऋण प्राप्त करने और अन्य वित्तीय गतिविधियों में भी आसानी होगी।

50 हजार गांवों के 58 लाख ग्रामीणों को बांटे जाएंगे संपत्ति कार्ड

देशभर के 58 लाख किसानों के लिए 27 दिसंबर शुक्रवार का दिन बहुत खास होने वाला है। 12 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों के 50,000 से ज्‍यादा गांवों में 58 लाख से ज्‍यादा ग्रामीणों को 'अधिकार दस्तावेज’ के रूप में संपत्ति कार्ड जारी किए जाएंगे। पीएम मोदी इस कार्यक्रम को ऑनलाइन संबोधित करेंगे। इस मौके पर 13 केंद्रीय मंत्री अलग-अलग राज्यों में कार्यक्रमों को संबोधित करेंगे, जहां संपत्ति कार्ड बांटे जाएंगे। छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, एमपी, महाराष्ट्र, मिजोरम, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू- कश्मीर एवं लद्दाख के 50,000 गांवों के 58 लाख संपत्ति मालिकों को संपत्ति कार्ड जारी किए जाएंगे।

3.17 लाख गांवों में ड्रोन सर्वेक्षण कंप्लीट

पंचायती राज मंत्रालय की स्वामित्व योजना के तहत अब तक 67,419 वर्ग किलोमीटर भूमि पर बने ग्रामीण घरों का सर्वेक्षण किया जा चुका है। अब इन घरों के स्वामियों को संपत्ति कार्ड जारी किए जाएंगे। योजना के तहत 3.44 लाख गांवों में से 3.17 लाख गांवों में ड्रोन सर्वेक्षण पूरा हो चुका है। इस योजना के पहले चरण में आबादी और गैर आबादी क्षेत्र का ड्रोन सर्वेक्षण किया जा रहा है।

मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज के अनुसार, अब तक 1.49 लाख गांवों 2.19 करोड़ से अधिक संपत्ति कार्ड तैयार किए जा चुके हैं। योजना का उद्देश्य ड्रोन और जीआईएस तकनीक का उपयोग करके ग्रामीण आबादी क्षेत्रों में संपत्ति मालिकों को अधिकारों का रिकॉर्ड प्रदान करना है। योजना के तहत सभी लाभार्थियों को 2026 तक संपत्ति कार्ड उपलब्ध करा दिए जाएंगे, जबकि पहले यह लक्ष्य 2025 तक पूरा करना था।

स्वामित्व योजना के फायदे

ग्रामीण क्षेत्रों में जमीन के रिकॉर्ड को डिजिटली तैयार करना और जमीन को एक मूल्यवान संपत्ति के रूप में मान्यता देना।

जमीन के माल‍िकाना हक के अधिकारों को साफ रूप से परिभाषित करना और भूमि विवादों को कम करना।

जमीन के स्वामित्व के स्पष्ट प्रमाण के आधार पर किसानों को आसानी से लोन उपलब्ध कराना।

जमीन को एक मूल्यवान संपत्ति के रूप में मान्यता देना।

ग्रामीण भारत में रहने वाले लोगों के जीवन स्‍तर को बेहतर बनाना आदि।

कैसे मिलेगा संपत्ति कार्ड

इस योजना के अंतर्गत, भारत सरकार ने राजस्व विभाग और भू सर्वेक्षण विभाग के सहयोग से ड्रोन तकनीक का उपयोग कर ग्रामीण क्षेत्रों की सटीक मैपिंग की। इस प्रक्रिया के दौरान, गांवों के निवासियों को उनकी भूमि का मालिकाना हक प्रमाणित करने के लिए स्वामित्व पत्र वितरित किए गए। वहीं, जिन व्यक्तियों को अभी तक स्वामित्व पत्र प्राप्त नहीं हुआ है, उन्हें आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन फॉर्म भरना होगा। इसके बाद, सरकार द्वारा राजस्व विभाग के अधिकारियों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों का सीमांकन और मैपिंग की जाएगी। इस प्रक्रिया के पूरा होने पर, संबंधित व्यक्ति को जमीन के स्वामित्व का प्रमाणपत्र प्रदान किया जाएगा।