केंद्रीय बजट में रेल सुविधाओं के नाम पर फिर छला गया सरगुजांचल

छत्तीसगढ़ संवाददाता अम्बिकापुर, 24 जुलाई। मंगलवार को पेश किए गए केंद्रीय बजट में हर बार की तरह इस बार भी सरगुजा को रेल सुविधाओं के नाम से कुछ खास नहीं मिल सका। सरगुजा के लोगों का कहना है कि अंबिकापुर में रेल कनेक्टिविटी बढऩे से जहां सरगुजा सहित आसपास के जिले लाभान्वित होंगे, वहीं सरगुजा के सीमावर्ती झारखंड व उत्तर प्रदेश राज्यों के कई जिलों के निवासी भी इसका लाभ ले सकेंगे, लेकिन हर बार की तरह इस बार भी सरगुजा अंचल के लोगों को इस बजट में निराशा ही मिली है। कुछ लोगों ने बताया कि अंबिकापुर के रेलवे स्टेशन में एकमात्र प्लेटफार्म होने के कारण जहां रेल यात्रियों को जबलपुर व निजामुद्दीन ट्रेन से वापसी के दौरान रात में घंटों कमलपुर स्टेशन पर अंबिकापुर प्लेटफार्म खाली होने का इंतजार करना पड़ता है तो वहीं मजबूरी वश कमलपुर में ही कई यात्री ट्रेन छोडक़र अपने साधन से अंबिकापुर आना पड़ता है। इसी प्रकार अंबिकापुर दुर्ग के लिए रात में एकमात्र ट्रेन उपलब्ध है जो कि लेट होने पर कनेक्टिविटी के लिए रायपुर बिलासपुर से आगे ट्रेन नहीं मिल पाती। इसी प्रकार लोगों की कई वर्षों से मांग रही है कि प्रदेश मुख्यालय राजधानी के लिए अंबिकापुर से सीधी दिन में भी ट्रेन सुविधा प्रदान की जाए। इसके साथ-साथ सरगुजा के जनप्रतिनिधियों ने कई बार रेल मंत्री से मिलकर सरगुजा संभाग मुख्यालय अंबिकापुर को रेणुकूट व कोरबा रेल लाइन के माध्यम से जोडऩे की मांग प्रबल तरीके से आवाज उठाई है। इस परियोजना के लिए तीन सर्वेक्षण भी किए गए हैं। सरगुजा रेल संघर्ष समिति व रेल विस्तार समिति की मांग है कि इस रेल लाइन के विस्तार से छत्तीसगढ़ के साथ अन्य राज्य उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, ओडिशा, झारखंड, महाराष्ट्र तक राजधानी होते हुए सीधी पहुंच सरगुजांचल के लोगों को हो जाएगी, वहीं अंबिकापुर से रेणुकूट चोपन होते हुए इलाहाबाद, बनारस एवं देश की राजधानी दिल्ली तक मुख्य मार्ग से जुडऩे के साथ साथ बनारस होते हुए बिहार व पूर्वोत्तर भारत तक पहुंच हो सकेग,तो वहीं दूसरी तरफ कोरबा बिलासपुर होते हुए मुख्य रेल लाइन मुंबई हावड़ा के लाइन से आवागमन हो सकेगा जिसका लाभ यात्रियों के साथ-साथ सरगुजा के विभिन्न कोल व बॉक्साइट खदानों से खनिज परिवहन में भी रेलवे को प्रतिवर्ष करोड़ों का लाभ हो सकेगा।इसके साथ-साथ धार्मिक,सांस्कृतिक व पर्यटन की दृष्टि से भी जुड़ाव हो सकेगा। पूर्व उपमुख्यमंत्री ने पीएम मोदी एवं राहुल को लिखा पत्र छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री उपमुख्यमंत्री टीएस सिंह देव ने सरगुजा संभाग की बहु प्रतीक्षित मांग रेणुकूट- अंबिकापुर कोरबा रेल मार्ग विस्तारीकरण को गति देने की मांग करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व राहुल गांधी को पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र में इस बजट में शामिल करने का भी आग्रह किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को लिखे पत्र में पूर्व डिप्टी सीएम सिंहदेव ने कहा है कि तत्कालीन केंद्र सरकार यूपीए द्वारा इस रेल लाइन की स्वीकृति प्रदान की गई थी। वर्ष 2020 में रेणुकूट से कोरबा होते हुए अंबिकापुर नई रेल लाइन 251 किलोमीटर का सर्वेक्षण कार्य पूर्ण हो चुका है इसकी अनुमानित लागत 4973 करोड़ है। रिपोर्ट केंद्रीय रेलवे बोर्ड को भेज दी गई है। यह रेल मार्ग सरगुजा के लिए लाइफ लाइन साबित होगी।इस रेल मार्ग का विस्तार हो जाने से क्षेत्र की बड़ी आबादी को सुविधाजन आवागमन मिल पाएगा। श्री सिंहदेव ने आगे पत्र में कहा है कि इस रेल मार्ग जुडऩे से बनारस से विशाखापत्तनम तक सबसे छोटा रास्ता होगा,जिससे इस मार्ग के उद्योग,व्यापार व व्यवसाय को बल मिलेगा एवं उत्तर व दक्षिण भारत के प्रमुख नगरों तक सीधे पहुंच होगी।

केंद्रीय बजट में रेल सुविधाओं के नाम पर फिर छला गया सरगुजांचल
छत्तीसगढ़ संवाददाता अम्बिकापुर, 24 जुलाई। मंगलवार को पेश किए गए केंद्रीय बजट में हर बार की तरह इस बार भी सरगुजा को रेल सुविधाओं के नाम से कुछ खास नहीं मिल सका। सरगुजा के लोगों का कहना है कि अंबिकापुर में रेल कनेक्टिविटी बढऩे से जहां सरगुजा सहित आसपास के जिले लाभान्वित होंगे, वहीं सरगुजा के सीमावर्ती झारखंड व उत्तर प्रदेश राज्यों के कई जिलों के निवासी भी इसका लाभ ले सकेंगे, लेकिन हर बार की तरह इस बार भी सरगुजा अंचल के लोगों को इस बजट में निराशा ही मिली है। कुछ लोगों ने बताया कि अंबिकापुर के रेलवे स्टेशन में एकमात्र प्लेटफार्म होने के कारण जहां रेल यात्रियों को जबलपुर व निजामुद्दीन ट्रेन से वापसी के दौरान रात में घंटों कमलपुर स्टेशन पर अंबिकापुर प्लेटफार्म खाली होने का इंतजार करना पड़ता है तो वहीं मजबूरी वश कमलपुर में ही कई यात्री ट्रेन छोडक़र अपने साधन से अंबिकापुर आना पड़ता है। इसी प्रकार अंबिकापुर दुर्ग के लिए रात में एकमात्र ट्रेन उपलब्ध है जो कि लेट होने पर कनेक्टिविटी के लिए रायपुर बिलासपुर से आगे ट्रेन नहीं मिल पाती। इसी प्रकार लोगों की कई वर्षों से मांग रही है कि प्रदेश मुख्यालय राजधानी के लिए अंबिकापुर से सीधी दिन में भी ट्रेन सुविधा प्रदान की जाए। इसके साथ-साथ सरगुजा के जनप्रतिनिधियों ने कई बार रेल मंत्री से मिलकर सरगुजा संभाग मुख्यालय अंबिकापुर को रेणुकूट व कोरबा रेल लाइन के माध्यम से जोडऩे की मांग प्रबल तरीके से आवाज उठाई है। इस परियोजना के लिए तीन सर्वेक्षण भी किए गए हैं। सरगुजा रेल संघर्ष समिति व रेल विस्तार समिति की मांग है कि इस रेल लाइन के विस्तार से छत्तीसगढ़ के साथ अन्य राज्य उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, ओडिशा, झारखंड, महाराष्ट्र तक राजधानी होते हुए सीधी पहुंच सरगुजांचल के लोगों को हो जाएगी, वहीं अंबिकापुर से रेणुकूट चोपन होते हुए इलाहाबाद, बनारस एवं देश की राजधानी दिल्ली तक मुख्य मार्ग से जुडऩे के साथ साथ बनारस होते हुए बिहार व पूर्वोत्तर भारत तक पहुंच हो सकेग,तो वहीं दूसरी तरफ कोरबा बिलासपुर होते हुए मुख्य रेल लाइन मुंबई हावड़ा के लाइन से आवागमन हो सकेगा जिसका लाभ यात्रियों के साथ-साथ सरगुजा के विभिन्न कोल व बॉक्साइट खदानों से खनिज परिवहन में भी रेलवे को प्रतिवर्ष करोड़ों का लाभ हो सकेगा।इसके साथ-साथ धार्मिक,सांस्कृतिक व पर्यटन की दृष्टि से भी जुड़ाव हो सकेगा। पूर्व उपमुख्यमंत्री ने पीएम मोदी एवं राहुल को लिखा पत्र छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री उपमुख्यमंत्री टीएस सिंह देव ने सरगुजा संभाग की बहु प्रतीक्षित मांग रेणुकूट- अंबिकापुर कोरबा रेल मार्ग विस्तारीकरण को गति देने की मांग करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व राहुल गांधी को पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र में इस बजट में शामिल करने का भी आग्रह किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को लिखे पत्र में पूर्व डिप्टी सीएम सिंहदेव ने कहा है कि तत्कालीन केंद्र सरकार यूपीए द्वारा इस रेल लाइन की स्वीकृति प्रदान की गई थी। वर्ष 2020 में रेणुकूट से कोरबा होते हुए अंबिकापुर नई रेल लाइन 251 किलोमीटर का सर्वेक्षण कार्य पूर्ण हो चुका है इसकी अनुमानित लागत 4973 करोड़ है। रिपोर्ट केंद्रीय रेलवे बोर्ड को भेज दी गई है। यह रेल मार्ग सरगुजा के लिए लाइफ लाइन साबित होगी।इस रेल मार्ग का विस्तार हो जाने से क्षेत्र की बड़ी आबादी को सुविधाजन आवागमन मिल पाएगा। श्री सिंहदेव ने आगे पत्र में कहा है कि इस रेल मार्ग जुडऩे से बनारस से विशाखापत्तनम तक सबसे छोटा रास्ता होगा,जिससे इस मार्ग के उद्योग,व्यापार व व्यवसाय को बल मिलेगा एवं उत्तर व दक्षिण भारत के प्रमुख नगरों तक सीधे पहुंच होगी।