एक ने कहा -
हमारा धर्म खतरे में है
चलो, विधर्मियों से लड़ते हैं
देखते-देखते उसके पीछे
हजारों की भीड़ जमा हो गई
सामने से दूसरे ने कहा -
वह झूठ बोलता है
धर्म वस्तुतः हमारा खतरे में है
आओ उनसे लड़ते हैं
उसके पीछे भी
हजारों लोग लग गए
मुझे उनके धर्म की नहीं
उन सबकी चिंता थी
मैंने चीख-चीखकर कहा -
आओ, हम सब मिलकर
उनसे लड़ते हैं
जिनकी वजह से
हम सब खतरे में हैं
मेरे पीछे कोई भीड़ नहीं आई
वे दोनों हर बार
लड़-मरकर भी जिंदा रहे
और मैं बिना लड़े ही
हर बार मारा गया !
ध्रुव गुप्त