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चंदेल ने कहा : संतोष पांडेय वकालत के पेशे के लिए कलंक और फ्रॉड, अपने आरोपों पर सबूत करें सार्वजनिक अन्यथा मानहानि का झेलें मामला

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स्टेट बार कौंसिल के पूर्व अध्यक्ष प्रभाकर सिंह चंदेल की पत्रकार वार्ता

बिलासपुर। निलंबित पटवारी संतोष पांडेय फ्रॉड है, जिसने अधिवक्ता नामांकन समिति के समक्ष स्वयं को स्वैच्छिक सेवा निवृत्त बताते हुए झूठे और गलत तथ्य प्रस्तुत कर अपना पंजीयन कराया है। यह कदाचरण है एवं धारा 420 भा.द.वि. के अन्तर्गत अपराध की श्रेणी में आता है, जो कि प्रथम दृष्टया तथ्यों को विरूपित करने एवं छल कारित करने का कृत्य है। उनके खिलाफ प्राप्त शिकायत की जांच करने के बाद ही स्टेट बार कौंसिल की सामान्य सभा के निर्देश पर उनका पंजीयन स्थगित करने, उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और अधिवक्ता अधिनियम 1961 में दिये गये प्रावधान के अनुसार अधिवक्ता के रूप में उसका पंजीयन निरस्त किये जाने हेतु संपूर्ण प्रकरण ऑल इंडिया बार कौंसिल, नई दिल्ली को प्रेषित करने का निर्णय लिया गया। अपने नामांकन के निलबंन से कुपित होकर ही वह मेरे एवं कौंसिल के पूर्व पदाधिकारियों पर आधारहीन एवं झूठे आरोप लगा रहा है, ताकि अपने कारनामों पर पर्दा डाल सके। उसका यह कृत्य आपराधिक षडयंत्र कर मेरी मानहानि का और आपराधिक भयादोहन करने का प्रयास है, जिसके विरूद्व चकरभाठा थाने में शिकायत भी की गई है।

यह कहना है स्टेट बार कौंसिल के पूर्व अध्यक्ष प्रभाकर सिंह चंदेल का। आज यहां आयोजित एक पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि पांडेय के खिलाफ कार्यवाही होती, इसके पहले ही उनका कार्यकाल समाप्त हो गया। अभी विशेष समिति का गठन किया गया है। आगे की कार्यवाही विशेष समिति को करना चाहिए। कौंसिल के पूर्व अध्यक्ष चंदेल ने विवादास्पद अधिवक्ता संतोष पांडेय से संबंधित समस्त दस्तावेजों को भी सार्वजनिक किया है, जिसमें पांडेय द्वारा प्रस्तुत किये गये नामांकन आवेदन पत्र एवं शपथ पत्र की प्रति, नामांकन समिति के सदस्य चन्द्रप्रकाश जांगड़े द्वारा किये गये निर्देश/आदेश की प्रति, परिषद की सामान्य सभा द्वारा पारित प्रस्ताव और सचिव के प्रतिवेदन की प्रति तथा अधिवक्ता व्यवसाय के संबंध में अधिनियम से संबंधित दस्तावेज की प्रति आदि शामिल है। उन्होंने दावा किया कि बार कौंसिल के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने अपने कार्यकाल में विधि के अनुरूप ही कर्तव्यों का निर्वहन और अधिकारों का प्रयोग किया है।

उल्लेखनीय है कि एक पूर्व कर्मचारी नेता संतोष पांडेय ने, जो अब अधिवक्ता के रूप में काम कर रहे हैं और जिनका पंजीयन निलंबित कर दिया गया है, ने चंदेल और बार कौंसिल के पूर्व पदाधिकारियों पर उन्हें ब्लैकमेल करने और एक लाख रुपयों के लेन-देन का सनसनीखेज आरोप लगाया है। पत्रकारों द्वारा इस संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि संतोष पांडेय अपने आरोपों के पक्ष में कथित ऑडियो-वीडियो को सार्वजनिक करें, वरना मानहानि का मुकदमा झेलने के लिए तैयार रहे। चंदेल ने कहा कि संतोष पांडेय निलंबित पटवारी है, न कि स्वैच्छिक सेवानिवृत्त पटवारी, जैसा कि उसका दावा है। नवम्बर 2020 में भी उसने राज्य शासन से जीवन निर्वाह भत्ता 17251 रुपये प्राप्त किया है, जबकि वे अगस्त 2018 से अधिवक्ता के रूप में काम कर रहे हैं। ऐसे फर्जी अधिवक्ता इस पेशे के लिए कलंक है।

बार कौंसिल के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि 26 हजार अधिवक्ताओं ने उन्हें अपना अध्यक्ष बनाया था। लेकिन उनके पूरे कार्यकाल में 10-15 लोग उनके खिलाफ षड़यंत्र करते रहे हैं, जिन्हें पूरा कोर्ट जानता है। ये संतोष पांडेय भी उन्हीं षडयंत्रकारियो के साथ जाकर मिल गया है। उन्होंने कहा कि अपने कार्यकाल में वर्तमान और पूर्व राज्य सरकारों के समक्ष अधिवक्ताओं के हितों के मुद्दों को उन्होंने पूरी दमदारी के साथ उठाया है -- फिर चाहे मामला डेथ क्लेम या चिकित्सा राशि देने या बढ़ाने का हो, या फिर कौंसिल के कर्मचारियों के उत्थान और अधिवक्ताओं पर पुलिस प्रताड़ना का मामला हो, या फिर कोरोना संकट के समय अधिवक्ताओं को आर्थिक सहायता पहुंचाने का मामला हो। चंदेल ने कहा कि आम अधिवक्ताओं का भरोसा उन पर है और चंद षड़यंत्रकारी लोग उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे।

पत्रकार वार्ता में चंदेल के साथ  ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन के महासचिव शौकत अली, जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष गौतम सिंह और सचिव रवि पांडेय तथा स्टेट बार कौंसिल के सदस्य भरत लुनिया आदि भी शामिल थे।


 

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