नितिन राजीव सिन्हा
वजह..,
काश,तुम
ख़्वाबों में
होती के,
ज़िंदगी का
इक पल
हमारे हिस्से
कर देती..,
यूँ ही गुज़र
गई जो उस
ज़िंदगी को
हम ख़ुशनुमा
एहसास मान
कर जी लेते..,
काश,तुम
ख़्वाबों में
होती के,
हम आरज़ू
नहीं तुम्हारी
आदत में
शुमार होते..,
तसव्वुर में
तुम्हारे जाने
क्यूँ ख़याल
आया कि
इक रात
गुज़र गई
इक
नींद बीत
गई पर,
न आये
तुम न तुम्हारा
पैग़ाम आया..,
लम्हा लम्हा
हमें यूँ बर्बाद
किये हो
तसव्वुर में
उलझन बन
क्यूँ
समाये हुए हो..?
काश,तुम ख़्वाब
न होती कोई
पैग़ाम न होती
खुदाई गर,होती
तो ज़िंदा हैं
हम,इसकी
वजह तुम
न होती..,