रावण पर भी राजनीति गरमा रही है
खड़े दशानन को भी शर्म आ रही है
में तो बुराई का प्रतीक हूँ ,इसलिए जल रहा हुं
शुक्रगुजार हूं
मेरी जलन आपका वोट बैंक बना रही है
मुझे जलाओ खुशीयां मनाओ,
मेरी एक बुराई का तमाशा बनाओ
पर जरा खुद पर भी झाँकना
आप मे क्या पवित्रता है उसको भी आँकना
याद रखना ज्ञानियों
मेरा अंत तो श्री राम के हाथों हुआ
आपसे होता देख,जातिबाद की बू आ रही है
खड़े दशानन को भी शर्म आ रही है
रावण पर भी राजनीति गरमा रही है
( त्योहार आपसी सौहाद्र, भाईचारा और समाज की दिशा और दशा बदलने आते है, इनको पूरे स्नेह और खुशियों से ओतप्रोत होकर मनाए, कहि ऐसा न हो यह जातिबाद कि अंतः कलह को देखकर आने वाली पीढ़ी इस त्यौहार का अस्तत्व ही खत्म कर दे। )
लेखक :- राजेश जैन