जो कुछ भी चाहा आपने, हमको बना दिया।
क्या खूब जमाने को, तमाशा दिखा दिया।।
कभी तो फ़लक का मैं, चमकता हुआ सितारा था।
बेरहम वक़्त ने मुझको, मिट्टी में मिला दिया।।
क्या खूब जमाने को.......
तक़दीर के हाथों का, ऐसा मैं खिलौना हूँ ।
जिस पल हँसना चाहा, दिल को रुला दिया।।
क्या ख़ूब जमाने को........
तबसे फ़ना हुई है, जीने की आरजू बेबस।
जबसे मेरी निगाह में, मुझको गिरा दिया।।
क्या ख़ूब जमाने को ......
तुमको खुदा समझकर, तेरे, सजदों में जी रहा था।
मेरी चाहतों का तुमने, ये क्या सिला दिया।।
क्या ख़ूब जमानें को....
[बेबस]
जगजीत सिंह बेबस
कोरिया, चिरमिरी(छः ग:)
मो-7354302509