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मानव सभ्यता और आधुनिकता :- लेखक अरुण शर्मा

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(लेखक :- अरुण शर्मा)

मानव सभ्यता और उसके समकक्ष चल रहे आधुनिकता रूपी विकास पर यूं तो सदियों से बात चलती रही है और आगे भी चलेगी जिसे हम आज जिसपर बात कर रहे हैं वह मानव सभ्यता के विकास रूपी विनाश की है,, सबसे पहले हुए आदि मानव जिन्हें सिर्फ अपनी भूख मिटानी होती थी उनकी एक निश्चित दिनचर्या होती थी सुबह से शाम तक शिकार करना कन्द मूल फल तलाशना उन्हें खाना और सोना अपनी इसी दिनचर्या को वे जीते थे उनकी उम्र सामान्यतः110 से 130 वर्ष या उससे अधिक  होती थी , फिर मानव सभ्यता ने थोड़ी तरक्की की उन्होंने खेती शुरू की बस्ती बनाकर रहने लगे , आजीविका के लिए उनके पास अब शिकार, कन्द मूल फल के अलावा अन्न भी था उन्हें जीवन मे थोड़ा आनन्द के लिए समय मिलने लगा मौज मस्ती सूरा के साथ उनकी जिंदगी अच्छी गुजर रही थी उनकी न्यूनतम उम्र सामान्यतः 100 से 110 साल रहती थी, उसके बाद मानव ने तरक्की की ओर लगातार कदम बढ़ाना शुरू किया कपड़े किताब,कापी, तथा अन्य घरेलू इस्तेमाल की देशी वस्तुओं का अविष्कार शुरू हुआ उस युग ने मानव जीवन की पुरानी शैली को पूरी तरह बदल दिया उस समय उनका जीवन सामान्य दिनचर्या से परिपूर्ण था वे आधुनिक तो हो रहे थे मगर साथ ही अपनी दिनचर्या को भी व्यवस्थित रखने कामयाब हुए और उनका जीवन भी सामान्यतः 100 से 110 साल तक रहा !!

अब आया टीवी, एंटीना, लैंडलाइन फोन का जमाना अब तक मानव सभ्यता अपनी दिनचर्या पुरानी व्यवस्था पर ही चला रहे थे आधुनिकता की दौड़ में शामिल होकर भी स्वंय के साथ अपने परिवार का भरपूर ध्यान रखते उनके खान पान में पौष्टिक एवं ताज़ा भोजन की व्यवस्था रखते कई कल कारखाने खुलने लगे थे डीज़ल, पेट्रोल लिक्विड ईंधन गैस आदि का इस्तेमाल तब बड़े और रईश लोगों के यहां होता था और वह उनके लिए शान की बात थी जिनके पास यह सुविधाएं नही थी वे उन सुविधाओं को पाने पहले से ज्यादा मेहनत करने लगे थे भौतिक सुख सुविधाओं में बढ़ोतरी करने शारीरिक और मानसिक रूप में जल्दी थकने लगे...कभी आपने सुना किसी आदि मानव की मृत्यु दिल का दौरा, कैंसर, ब्रेन स्ट्रोक आदि से हुआ एक केस भी नही था उस समय के मानव , आधुनिक सभ्यता से कोसों दूर थे तब इन बीमारियों का जन्म भी नही हुआ था इसलिए उनकी अधिकतर मौत सामान्य हुआ करती थी सैकड़ों में कोई एकाध केस ही होता था जब किसी की असमय मृत्यु होती थी उसका कारण भी गम्भीर चोट होता था...उसके बाद आया हवाई जहाज, ट्रेन, कम्प्यूटर, आदि का जमाना इस नए जमाने मे इंसान की जीवन शैली आधी बदल चुकी थी अब जीवन मे भौतिक सुख सुविधाओं और विलाशिता ने अपना जगह बनाया अब मानव की सामान्य उम्र 80 से सौ साल की हो गयी थी जिस तेजी से हम आधुनिकता की ओर बढ़ रहे थे उतनी ही तेज़ी से मानव जीवन का मूल्य घटता जा रहा था मगर मानव को इसकी फिक्र नही रही भौतिक सुख सुविधाओं के चक्कर मे फंसा मानव अपनी वास्तविक जीवन से दूर होता चला गया और भौतिक सुख साधनों से रमने लगा जिस तेजी से मानव आधुनिकता की दौड़,, दौड़ रहा था उसी तेज़ी से उसका जीवन स्तर बिगड़ रहा था उस दौर में मानव का रहन सहन बिल्कुल बदल चुका था आदि मानव का दिनचर्या  खाना और सोना था थोड़ी तरक्की हुई तो जीवन जीने के तरीके में बदलाव हुए एक बार जो बदलाव शुरू हुआ वो आज तक बदल रहा है जितनी पुरानी मानव सभ्यता है उतनी ही तेज़ी से आज मानव विकास रूपी विनाश की ओर दौड़ रहा है आजकल भौतिक सुख सुविधाओं के लाभ के वशीभूत मानव की दिनचर्या बिल्कुल उलट हो चुकी है पहले के मानव दिन भर जागते अपना कार्य करते और शाम होते परिवार के साथ आनन्द पूर्वक अपना जीवन व्यतीत करते थे आज वही मानव देर रात तक जागता है और दिन चढ़े तक सोता है प्रदूषण कल नही के बराबर था आज 40% / 60%  का मामला है कल तक देशी किस्म की खेती होती थी आजकल हाइब्रीड का जमाना है कल हमारी न्यूनतम जीवन सीमा 110 साल होती थी आज वही जीवन सीमा 80 से 90 साल की हो चुकी है !!

 

जिस तेजी से हम विकास अथवा आधुनिकता की ओर भाग रहे हैं हमारी आने वाली नस्लें सांसो को भी तरसेगी हम न सिर्फ आधुनिक हो रहे हैं बल्कि जीवन दायिनी प्रकृति का दोहन भी उतनी ही तेज़ी से कर रहे हैं मिट्टी की उर्वरता खत्म हो रही है जमीन खराब हो रहे हैं जलस्तर तेज़ी से नीचे जा रहा है आने वाली पीढियां अगर 60 साल तक भी पँहुच जाए तो उनके लिए बड़ी उपलब्धि होगी!!

आधुनिकता ने मानव सभ्यता को विनाश के मुहाने पर खड़ा कर दिया है बाउजूद मानव इसे समझना नही चाहता यही मानव के जन्म और मृत्यु का सच बन चुका है 2g नेट सेवा शुरू हुई तो किट पतंगे खत्म होने लगे, 3g अय्या तो छोटे पक्षी जानवर खत्म होने लगे, 4g आया मानव जीवन को तित्तर बितर कर गया अब 5g आया है मानव विनाश की नई कहानी लिख रहा है आज मानव सभ्यता पर संकट के हजारों बादल मंडरा रहे हैं परंतु लालच लोभ मोह के वशीभूत मानव की आंखे बंद हुई पड़ी है उसे अपना विनाश तक नजर नही आ रहा लगता है मानव सभ्यता अपने अंतिम पड़ाव की ओर तेज़ी से जा रही है एक बार यह धरती डायनासोर विहीन हुई थी अब मानव विहीन हो जाएगी

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