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भारत माता के वीर सपूतों,अमर शहीद बलिदानी रामप्रसाद बिस्मिल,शहीद अशफ़ाक उल्ला खां और शहीद ठाकुर रोशन सिंह के बलिदान दिवस पर कोटि कोटि नमन

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नितिन सिन्हा रायगढ़

देश के महान अमर बलिदानियों शहीद पंडित रामप्रसाद बिस्मिल,शहीद अशफ़ाक उल्ला खाँ और शहीद ठाकुर रोशन सिंह जी के बलिदान दिवस पर हम कृतज्ञ भारतीयों का भारत माता के वीर सपूतों को सादर कोटि-कोटि नमन

 

 आप अमर शहीदों ने *मशहूर शायर बिस्मिल अज़ीमाबादी* की इन पंक्तियों को आत्मसात कर लिया था..

 

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

 

देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है

 

करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत,

 

देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है

 

ए शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार,

 

अब तेरी हिम्मत का चरचा गैर की महफ़िल में है

 

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

 

वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमान,

 

हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है

 

खैंच कर लायी है सब को कत्ल होने की उम्मीद,

 

आशिकों का आज जमघट कूच-ए-कातिल में है

 

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

 

है लिये हथियार दुशमन ताक में बैठा उधर,

 

और हम तैय्यार हैं सीना लिये अपना इधर

 

खून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है,

 

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

 

हाथ जिन में हो जुनूँ कटते नही तलवार से,

 

सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से

 

और भड़केगा जो शोला-सा हमारे दिल में है,

 

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

 

हम तो घर से निकले ही थे बाँधकर सर पे कफ़न,

 

जान हथेली पर लिये लो बढ चले हैं ये कदम

 

जिन्दगी तो अपनी मेहमान मौत की महफ़िल में है,

 

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

 

यूँ खड़ा मक़तल में क़ातिल कह रहा है बार-बार,

 

क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है

 

दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्कलाब,

 

होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें रोको ना आज

 

दूर रह पाये जो हमसे दम कहाँ मंज़िल में है,

 

वो जिस्म भी क्या जिस्म है जिसमें ना हो खून-ए-जुनून

 

तूफ़ानों से क्या लड़े जो कश्ती-ए-साहिल में है,

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

 

क्रांतिकारी नमन

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