हर साल गांव में खेती करने से लेकर कटाई तक तीन पूजा होता है,तीनों पूजा मंगलवार को ही किया जाता है।
क्या है बाईल पूजा,क्यों करते हैं इस पूजा को,खेती खुशहाली के लिए किसान साल में करते हैं तीन पूजा।
*साहीडाँड़*- मंगलवार को ग्राम साहीडाँड़ में सभी समुदाय के लोग बाइल पूजा का किया गया आयोजन।इस पूजा को पूरे ग्राम के समस्त समुदाय के किसान पूजा स्थल में एकत्रित होते हैं।इस पूजा को गांव के बैगा द्वारा किया जाता है।बाइल पूजा में 7 प्रकार का मुर्गी लगता है।इस पूजा में बैगा के द्वारा सभी ग्रामीणों के लिए चाय पानी नास्ता का भी व्यवस्था किया जाता है।,जिसको पूजा कर सभी मिलकर त्यौहार के रूप में मानते हैं।
*गांव में हर साल खेती सम्बन्धी तीन पूजा होता है*
क्षेत्र के सभी ग्राम में खेती सम्बन्धी नियमबद्ध तीन प्रकार का पूजा किया जाता है।इसमें सर्वप्रथम *ढेलफोरी*(कठोरी) पूजा करते हैं,मान्यता है जब तक इस पूजा को नही करते हैं तब तक गांव के किसान अपने खेत में न हल चलाते हैं न ही खेत में कोई खाद डालते हैं।वहीँ इस पूजा के बाद ही खेती करने का कार्य प्रारंम्भ किया जाता इस पूजा को गांव के चयनित पूजा स्थल में किया जाता है जहाँ सभी क्षेत्र के खेतों से मिट्टी इकटठा कर पूजा किया जाता है और इसे अगहन के महीने में करते हैं कहा जाता है इस पूजा से धन सम्पति का जय होता है ।इसके बाद दूसरा पूजा होता है *कदलेटा*(हरियाली) इस पूजा को सावन माह में किया जाता है।इस पूजा को किसान खेती करने के लिए किया जाता है। इस पूजा के बाद किसान रोपा, निंदाई और व्यासी आदि किया जाता है मान्यता है कि इस पूजा के करने से किसानों के फसल अधिक होता है।
*बाइल पूजा* ये किसानों का अंतिम पूजा है इसमें खेतों से काटे गये धान के बाली को खलिहान में रखकर किया जाता है इस पूजा से गांव में किसानों का राइस अच्छा होता है।वहीं इस पूजा के पहले गांव में कोई भी किसान खेती का काम नही करता।इस पूजा को गांव के सरना स्थल पर किया जाता है।समस्त पूजा गांव के बैगा द्वारा किया जाता है।