नितिन राजीव सिन्हा
चित्रकूट विधान सभा उप चुनाव २०१९ कई मायनों में महत्वपूर्ण है क्योंकि यहाँ का आदिवासी विगत १५ वर्षों में लगातार हार रहा था रमन सिंह की तत्कालीन सत्ता की देहरी पर दम तोड़ रहा था पर,पूँजी के दलाल टाटा कंपनी के लिये आदिवासियों की ज़मीनें लूट रहे थे उन्हें पीट रहे थे सरकार का वरदहस्त पैसों की खनक को था यह महाजनों की सरकार में आदिवासी की व्यथा के कारण थे जिससे चित्रकूट का आदिम समाज अब उबर चुका है भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार आदिवासियों को उनकी ज़मीनें मतलब रमन सरकार के समय की लूटी हुई ज़मीनें वापिस दिला चुकी है इसलिये चित्रकूट उपचुनाव में कांग्रेस की जीत के मायने अलग हैं यह इंदिरा गांधी के सपनों की जीत है..,
क़रीब १८००० वोटों से हुई मोदी की पार्टी की हार,दंतेवाड़ा की हार के बाद एक और बड़ी हार साबित हुई है भाजपा की छत्तीसगढ़ में हुई दुर्गति पर लिखना होगा कि”कोई ऐसे भी हारता है,भला..!!!
अब हम विषय पर लौटते हैं हिंदुत्व कि जिस कथित कश्ती पर सवार होने का तमाशा भाजपा करती है वह हिंदुत्व क़तई नहीं है इंदिरा गांधी का मानना था कि ये व्यापारियों की सत्ता पर बैठकर दुकानें चलाने की ललक है मुनाफ़ा कमानें की सनक है वो,हिंदुत्व के भाजपा के नारों को सिरे से ख़ारिज करती थीं उनके समय में मुनाफ़ाखोरों को सत्ता से दूर रखने के तमाम सफल प्रयास हुए थे आदिवासियों की अस्मिता की तब रक्षा हो सकी थी पर,भाजपा के सरकार में उन पर क़हर ढाया गया,आदिम समाज अब जाग गया है बस्तर की १२ में से १२ विधानसभा सीटों पर कांग्रेस को क़ाबिज़ कर चुका है..,इंदिरा पर जिसे लोग मैया कहते थे के लिये अगर कुछ लिखना हो,तो हम लिखेंगे कि-
वह,आँचल में
सिमटी हुई नारी
थी,के पर्दे की ओट
में छिपी हुई
गूँगी गुड़िया की
कहानी थी
इंदिरा थीं
पर,जन जन
की पुकार
थी,वह
इंदिरा मैया थीं..,