नितिन राजीव सिन्हा
यात्रा के समापन पर दिए गए अपने भाषण में भूपेश बघेल ने जो धारदार शब्दों का प्रयोग किया वह श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर गया उन्होंने कहा कि गांधी बड़े दुबले पतले व्यक्ति थे उन्हें जब गोली लगी तो पेट को चीरते हुए आर पार हो गई और भूपेश ने जो नहीं कहा वह यह हो सकता था कि उस गोली पर दक्षिण पंथियों का कथित राष्ट्रवाद चस्पा किया गया था गांधी ‘हे राम..कह गये पर,बाद के वर्षों में राम मंदिर को राजनीति का मुद्दा बनाया गया राम के बंदे को मारकर राम को मंदिरों में बिठा देने की क़वायद की गई..”यही वह थोथा राष्ट्रवाद है जो राष्ट्र को भ्रमित करता है..,”
प्रसंग राम का था क्योंकि गांधी व्यक्ति नहीं विचार बन चुके हैं और उनके विचार में गाय थी उनकी आत्मा राममय थी गांधी ने राम को पाखंड से मुक्त किया,जन जन के हैं राम यह संदेश दिया..,
भूपेश ने कहा कि आम आदमी के हृदय में राम का जन्म होता है राम अवध के है अवध यानि जहाँ किसी का वध न हो,जहाँ हिंसा न हो अर्थात जहाँ भ्रम न हो आख़िर भय,भ्रम की सीढ़ियाँ चढ़ कर ही अपनी मंज़िल तक पहुँचता है..,
राष्ट्रवाद पर भूपेश ने कहा कि किसान,बुनकर,नारी और भंगियों का सम्मान यही गांधी का राष्ट्रवाद है यहाँ घृणा का कोई स्थान नहीं है जिस पर जन प्रतिक्रिया तो यही होगी कि भीड़ की हिंसा के मौजूदा दौर में यह भाषण सारगर्भित बन पड़ा है..,जिस पर हम लिखेंगे कि-
उसके मातम में
शामिल हैं ज़मीं
ओ आसमाँ वाले
वह तो
गांधी था
इक लाठी था
..,इक घड़ी
इक चश्में का
स्वामी था
राष्ट्रवाद का
प्रतीक था
पर,छद्म राष्ट्रवाद
के कारतूस के
निशाने पर था,
क्योंकि गांधी
था वो..,