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एक मजदूर से लेकर IPS बनने तक का सफर.. संघर्ष और कड़ी मेहनत का कमाल... IG रतन लाल...मां-बाप ने अशिक्षित होने के बाद भी पढ़ाया...जीतने वाले कभी हार नही मानते...युवाओं के प्रेरणा सोत्र....रेंज के IG रतन लाल डांगी

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शमरोज खान सूरजपुर 

युवाओं के प्रेरणा सोत्र बन चुके सरगुजा रेंज के IG रतन लाल डांगी के IPS बनने की कहानी किसी अजूबे से कम नही है। पारिवारिक आर्थिक परिस्थितियों के विपरीत सरकारी स्कूल से पढ़ कर मजदूरी करने से लेकर शिक्षक व बाद में IPS बनने तक का सफर रतन लाल डांगी के संघर्ष और जिजीविषा की गाथा है...जो वाकई उन युवाओं के लिए प्रेरणा बन सकती है जो सोचते हैं कि हम सरकारी स्कूल के पढ़े और आर्थिक स्थिति सही नही है...हम आगे कुछ नही कर सकते..ऐसे युवकों को IPS डांगी से जरूर सीखना चाहिए...

शायद IG डांगी इसीलिए कहते हैं..."आपका जन्म किसी विशेष कारण के लिए हुआ हैं वह हैं आपकी सफलता। सफलता पर आपका जन्मसिद्ध अधिकार हैं और इस अधिकार को आप से कोई नही छीन सकता, कोशिश करते रहिये कामयाबी जरूर मिलेगी.."

कहा गया है.. प्रतिभा किसी संसाधन की मोहताज नहीं होती है बल्कि परिस्थिति और समस्या को अपनी ताकत बना लेती है...जिससे आगे सफलता भी कदम छूने लगती हैं। ऐसी ही एक अद्भुत गाथा है राजस्थान के छोटे से गांव से निकले गुदड़ी के लाल देश व छत्तीसगढ़ के तेजतर्रार  मगर सह्रदय IPS ऑफिसर रतनलाल डांगी की...

IPS रतनलाल डांगी का जन्म राजस्थान के नागौर जिला स्थित एक छोटे से गांव मालास के मजदूर परिवार में 1 अगस्त 1973 को हुआ। पिता श्रवण लाल और माता श्रीमती भंवरी देवी डांगी के चार बच्चों में सबसे छोटे रतन लाल हैं।

रतन लाल डांगी ने अपनी प्राथमिक शिक्षा अपने गांव के ही सरकारी स्कूल से प्राप्त की, जबकि उच्च प्राथमिक शिक्षा गांव से 4 किमी दूर स्थित पीपलाद में हासिल की। उन्होंने उच्च माध्यमिक शिक्षा परबतसर में प्राप्त की। डांगी ने 12 वीं साइंस मैथ्स में किया। डांगी पढ़ने में शुरू से ही होशियार थे इन्होंने अपनी क्लास में हमेशा टॉप किया ।

गांव के सरकारी स्कूल से पढ़े और बने IPS

आईजी रतन लाल डांगी बचपन से ही पढ़ने में मेहनती थे और मजदूर परिवार से आने के कारण कुछ करना चाहते थे। गांव से निकलकर उन्होंने देश की सबसे प्रतिष्ठित और कठिनतम परीक्षा संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित अखिल भारतीय सेवा परीक्षा पास कर आईपीएस अधिकारी बने। डांगी ने उन सारी भ्रांतियों को तोड़ दिया कि सफलता के लिए बड़े स्कूलों व शहरों में पढ़ना या रहना जरूरी हैं। अगर आप ईमानदारी से कड़ी मेहनत करते हैं तो ग्रामीण परिवेश में पढ़े - पले बच्चे भी देश की सबसे कठिन परीक्षा को पास कर सकते हैं। डांगी के माता - पिता शिक्षित नहीं होने के बाद भी उन्होंने अपने लाल कि शिक्षा में कोई कमी नहीं रखी । यह भी साबित कर दिया कि शिक्षित मां- बाप ही नहीं बल्कि  अनपढ़ के बच्चे भी जीवन में अच्छा मुकाम हासिल कर सकते हैं।

 उन्होंने बताया कि किसान मजदूर परिवार से होने के कारण कई बार मजदूरी भी करनी पड़ी लेकिन विषम परिस्थितियों को अपनी कमजोरी नहीं बल्कि शक्ति बनाया। वह बताते हैं देश की सर्वोच्च सेवा तक पहुंचना उनके माता - पिता के आशीर्वाद और पत्नी के सहयोग बिना संभव नहीं था।

शिक्षक से IPS का सफर

डांगी ने कॉलेज के साथ ही टीचर्स ट्रेनिंग करके 20 वर्ष की आयु मे ही शासकीय स्कूल में टीचर के पद पर ज्वाइन कर लिया। प्राइवेट स्टूडेंट के रूप मे बीए, एमए एमडीएस यूनिवर्सिटी अजमेर से किया। IPS डांगी ने नेट व स्लेट जैसी कठिन एंट्रेंस टेस्ट भी क्लाफाई किया था। कुल मिलाकर 6 वर्ष तक शिक्षक रहे , फिर राजस्थान पीएससी द्वारा आयोजित राज्य सेवा परीक्षा में चयन हो गया और टैक्स इंस्पेक्टर के पद पर नियुक्ति हुई, इस पद पर मात्र 2 साल ही रहे। दुबारा पीएससी दी और नायब तहसीलदार बनकर इस पद पर भी दो साल ही रहे । सितम्बर 2003 मे भारतीय पुलिस सेवा में चयनित हुए। आपने अंतिम प्रयास में अखिल भारतीय 226 रैंक हासिल करके अपने लक्ष्य तक पहुंचने मे कामयाब रहे। डांगी को छत्तीसगढ़ कैडर मिला ।

SDOP से IG

IPS बनने के बाद, छत्तीसगढ़ कैडर में रहते हुए एसडीओपी कांकेर, एसपी बीजापुर, कांकेर, कोरबा, बस्तर, बिलासपुर डीआईजी कांकेर, दंतेवाड़ा व राजनांदगांव पदस्थ रहे है।  वर्तमान मे पुलिस महानिरीक्षक(IG) सरगुजा रेंज के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

डांगी से प्रेरित नक्सली युवाओं ने डाले हथियार..

डांगी ने छत्तीसगढ़ के सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सेवा ही नहीं दी बल्कि  जिम्मेदार अधिकारी के तौर पर रास्ता भटक गए युवाओं के लिए प्रेरणा का काम भी किया । उन्होंने नक्सल प्रभावित क्षेत्र के युवाओं को हथियार डाल कर कलम उठाने का महत्व समझाया। डांगी की इन्हीं प्रेरणादायक बातों से प्रभावित होकर कई नक्सलियों ने हथियार डाल आत्म समर्पण कर दिया और आज वह बेहतर ज़िन्दगी जी रहे हैं। वह बच्चों से पहले उनके मां - बाप को शिक्षा का महत्व समझने का प्रयास करते हैं और उन्हें सलाह देते हैं कि आप अपने बच्चों को नजदीकी स्कूलों में दाखिला दिलाए। उनका मानना है कि रोटी के बाद जीवन में शिक्षा अहम हैं जो हमें जीवन के उच्चतम शिखर तक ले जाती हैं।

कड़क मगर सह्रदय भी

IG रतन लाल डांगी जहां एक और कड़क अफसर के रूप में जाने जाते और गलती करने वाले अधीनस्थ कर्मचारियों को बख्शते भी नहीं है। वहीं दूसरी ओर वह इतने सहृदय है कि अपने छोटे से छोटे पुलिस स्टॉफ की भी हर समस्या को गंभीरता से सुन कर उन्हें दूर करते हैं पुलिस कर्मियों का मनोबल बढ़ाने के लिए निरंतर उन्हें इनाम देकर प्रोत्साहित करने के अलावा उन्हें डिप्रेशन से निकालने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं। कहा जाता है कि IG डांगी के पास जो अपनी समस्या ले कर जाता है वह कभी निराश होकर वापस नहीं आता। लोगों की समस्याओं को सुनने और युवाओं के कैरियर के लिए तो उन्होंने अपना व्हाट्सएप नंबर भी जारी कर दिया है।

आईजी रतन लाल डांगी कहते हैं, "आज अगर मेरा बेटा सफलता पाता है तो उसका उतना अधिक महत्व नहीं है।  परन्तु यदि किसी किसान व मजदूर का बेटा IAS, IPS व अन्य किसी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करता हैं तो वह एक  नजीर पेश करता है ।"

डांगी का मानना हैं की अगर आप सफल होंगे तो हर व्यक्ति साथ होगा, लेकिन असफलता के पल में वह आपका सबसे बड़ा करीबी ही साथ होता है। उनका कहना है कि सफलता ऐसी हो जिसे सबके साथ बाँट सकें। केवल सफल होना ही काफी नहीं है उसकी सार्थकता क्या है , हम अपने समाज व देश के लिए क्या दे रहे हैं ,बड़ी जिम्मेदारी है इन सबको समझना भी जरूरी हैं। सफलता का रास्ता शिक्षा से होकर ही गुजरता है, बिना शिक्षा के मनुष्य पशु तुल्य हो जाता है और इसलिए जरूरी है कि हम बेटे और बेटी में भेदभाव किए बिना बच्चों को स्कूल भेजें।

आईजी डांगी  कॉलेज एवं विद्यालय के पुस्तकालय को उपयोगी व जरूरतमंद पुस्तकों से भरने के लिए भी मुहिम चलाएं हुए हैं। इस पहल की शुरुआत उन्होंने अपने ही गांव के सरकारी विद्यालय से की, जहाँ से डांगी ने प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की थी। अपने स्कूल में उन्होंने पुस्तकालय का निर्माण करवाया और पुस्तकें भी उपलब्ध कराई । इसके साथ ही कमजोर एवं ग्रामीण तबके के बच्चों की मदद के लिए हरसंभव तैयार मिलते हैं।

युवाओं को डांगी का संदेश संदेश 

IG रतनलाल डांगी ने युवाओं के लिए सन्देश देते हुए कहा कि "आप युवा लोग जन्म से ही जीनियस है, आपके जैसा दूसरा नहीं है।" सफलता आपका जन्म सिद्ध अधिकार है।आप इस दुनिया मे सफल होने ही आए है,आपको कोई असफल नहीं कर सकता। जब तक आप खुद असफल नहीं होना चाहते।

सफलता पाने के मूलमंत्र 

यदि सफलता चाहते हो तो उठो..जागो और चल दो...अपने मनपसंद लक्ष्य की ओर और तब तक मत रूको... जब तक सफलता प्राप्त न हो जाएं। हो सकता हैं कि आप पहली बार मे सफल न हो पाएं हो लेकिन निराश होने की जरुरत नहीं है,धैर्य के साथ पुनः अपनी तैयारी में जुट जाएं।असफलता भी सफलता का ही हिस्सा है। इतिहास मे कितने वैज्ञानिक होंगे जो कितनी बार अपने प्रयासों मे असफल रहे होंगे, लेकिन उन्होंने  हिम्मत नहीं हारी और दुनिया को नई नई चीजे देकर गए है।

"जीतने वाले कभी हार नहीं मानते और हार मानने वाले कभी जीत नहीं सकते।" लोग अपनी गरीबी व परिस्थितियों का रोना रोकर अपनी असफलता का ठीकरा दूसरों पर फोड़ देते हैं।अगर किसी काम मे असफल हो भी गए हो तो क्या हुआ ये अंत तो नहीं है ना, फिर से कोशिश करों, क्योंकि कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती है। आलोचना से मत घबराइएगा। धैर्य व संयम बनाए रखना होगा। आपके पास खोने को कुछ नहीं है लेकिन पाने को बहुत कुछ है। लगे रहे...लगे रहे... और लगे रहे...निश्चित ही सफल होगे ।

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