Updates
  1. मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने निर्वाचन में सहभागिता देने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों, संगठनों और मतदाताओं के प्रति किया आभार व्यक्त : मतदान प्रतिशत में हुई 1.31 प्रतिशत की बढ़ोतरी, कुल 72.8 प्रतिशत मतदान,यह प्रदेश में अब तक हुए लोकसभा चुनावों में सबसे ज्यादा
  2. यशस्वी जशपुर ने बोर्ड परीक्षा में जशपुर का बढ़ाया यश : जिले से 12 विद्यार्थी प्रदेश टॉप-10 प्रावीण्य सूची में सम्मिलित,कलेक्टर ,एसपी,सीईओ, प्राचार्य सहित स्कूल परिवार के सभी स्टाफ ने बधाई एवं उज्जवल भविष्य की दी शुभकामनाएं
  3. हाई स्कूल एवं हायर सेकण्डरी मुख्य परीक्षा के परीक्षा परिणाम घोषित : हाईस्कूल में 75.61 प्रतिशत परीक्षार्थी उत्तीर्ण बालिकाओं का प्रतिशत 79.35 तथा बालकों का प्रतिशत 71.12 जबकि हायर सेकण्डरी में 80.74 प्रतिशत परीक्षार्थी उत्तीर्ण बालिकाओं का प्रतिशत 83.72 तथा बालकों का प्रतिशत 76.91
  4. मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने दसवीं-बारहवीं के उत्तीर्ण विद्यार्थियों को दी बधाई,कहा शाबाश बेटियों : अनुत्तीर्ण विद्यार्थियों को दिया संबल, कही निराश नहीं होने की बात
  5. महाजनसंपर्क : कांग्रेस प्रत्याशी भूरिया ने शहर में पूजा अर्चना कर वाहन रैली की अयोजित,सैकड़ों कार्यकर्ता हुए शामिल
slider
slider

खट्टा खीरा (शिक्षाप्रद बातें)

news-details

एच पी जोशी

खीरा के बारे में श्री धर्मनाथ सिंह सर जो वर्तमान में 4थी बटालियन माना रायपुर में सहायक सेनानी हैं से सुना था; उनका कहना था खीरा के बारे में एक कहावत है "खीरा; खीरा सुबह हीरा, खीरा दोपहर में खीरा और खीरा रात में कीरा" मेरा अनुभव भी इस कहावत को सत्यापित करता है।

आइये खीरा खट्टा कैसे हो सकता है जानने के पहले एक कहानी जान लेते हैं; "खीरा अत्यंत रसदार फल है इसका स्वाद मीठा नहीं होता मगर कड़वा जरूर हो सकता है" ऐसा हमारा विश्वास है। एक दिन (दिनांक 24/05/2020 को) तत्वम खीरा खा रहा था, तत्वम अभी 3साल का बालक है वह खीरा खाते हुए अपना मुह बना बना कर अपनी बहन दुर्गम्या से कह रहा था "याक! खट्टे खीरे" बारम्बार तत्वम मुह बनाकर कहता "याक! खट्टे खीरे"  दुर्गम्या से रहा नही गया तो बोलने लगी "कान्हा भाई; खीरे कड़वे हो सकते हैं, खट्टे नहीं।" 

तत्वम भी दुर्गम्या की तरह ही सच्चा इंसान है इसीलिए तो बच्चा है; ख्याल रखना बच्चा है मगर अबोध नहीं। तत्वम स्वाद के बारे में जानता है कि किस फल का स्वाद कैसा होता है, कम से कम खाने और चखने के बाद तो श्योर हो जाता है। निःसंदेह तत्वम चालाक है मगर झूठा और दगेबाज नही; दुर्गम्या भी मेरे जानकारी के मुताबिक गलत नही थी इसलिए मुझे दुर्गम्या और तत्वम के विवाद को समाप्त करने के पहले, किसी एक पक्ष को सही और दूसरे पक्ष को गलत बोलने के पहले मेरा खीरा खाना आवश्यक था। खीरा को हाथ लगाया तब पता चला कि दुर्गम्या और तत्वम दोनों ही सही कह रहे थे गलती तो फ़्रिज में रखे नीबू के टुकड़े का था जिसे कुछ समय पहले ही तत्वम ने खीरा में निचोड़ दिया था।

शिक्षा : किसी भी बात को आंख मूंदकर मानने अथवा नकारने अर्थात झूठ समझने या बोलने के पहले उसकी सत्यता की जांच जरूर करें।

 

 

whatsapp group
Related news