एच पी जोशी
खीरा के बारे में श्री धर्मनाथ सिंह सर जो वर्तमान में 4थी बटालियन माना रायपुर में सहायक सेनानी हैं से सुना था; उनका कहना था खीरा के बारे में एक कहावत है "खीरा; खीरा सुबह हीरा, खीरा दोपहर में खीरा और खीरा रात में कीरा" मेरा अनुभव भी इस कहावत को सत्यापित करता है।
आइये खीरा खट्टा कैसे हो सकता है जानने के पहले एक कहानी जान लेते हैं; "खीरा अत्यंत रसदार फल है इसका स्वाद मीठा नहीं होता मगर कड़वा जरूर हो सकता है" ऐसा हमारा विश्वास है। एक दिन (दिनांक 24/05/2020 को) तत्वम खीरा खा रहा था, तत्वम अभी 3साल का बालक है वह खीरा खाते हुए अपना मुह बना बना कर अपनी बहन दुर्गम्या से कह रहा था "याक! खट्टे खीरे" बारम्बार तत्वम मुह बनाकर कहता "याक! खट्टे खीरे" दुर्गम्या से रहा नही गया तो बोलने लगी "कान्हा भाई; खीरे कड़वे हो सकते हैं, खट्टे नहीं।"
तत्वम भी दुर्गम्या की तरह ही सच्चा इंसान है इसीलिए तो बच्चा है; ख्याल रखना बच्चा है मगर अबोध नहीं। तत्वम स्वाद के बारे में जानता है कि किस फल का स्वाद कैसा होता है, कम से कम खाने और चखने के बाद तो श्योर हो जाता है। निःसंदेह तत्वम चालाक है मगर झूठा और दगेबाज नही; दुर्गम्या भी मेरे जानकारी के मुताबिक गलत नही थी इसलिए मुझे दुर्गम्या और तत्वम के विवाद को समाप्त करने के पहले, किसी एक पक्ष को सही और दूसरे पक्ष को गलत बोलने के पहले मेरा खीरा खाना आवश्यक था। खीरा को हाथ लगाया तब पता चला कि दुर्गम्या और तत्वम दोनों ही सही कह रहे थे गलती तो फ़्रिज में रखे नीबू के टुकड़े का था जिसे कुछ समय पहले ही तत्वम ने खीरा में निचोड़ दिया था।
शिक्षा : किसी भी बात को आंख मूंदकर मानने अथवा नकारने अर्थात झूठ समझने या बोलने के पहले उसकी सत्यता की जांच जरूर करें।