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बर्बाद खाने को स्टोर करने के लिए 14 डस्टबिन रखने पड़ते थे जो अब जुर्माना देने के डर से एक डस्टबिन है, जुर्माना से वसूला गया पैसा जाता है एनजीओ को

*भरत शर्मा की रिपोर्ट*

आज का दिन न्यूज पोर्टल रतलाम:  उतना ही लें थाली में, जो बर्बाद न हो नाली में’। 

अक्सर हम इन लाइनों को कहते, सुनते आए हैं। मगर इस पर कितना अमल करते हैं, यह कहना थोड़ा मुश्किल है। दुनिया में खाने की बर्बादी की समस्या दिन ब दिन विकराल होती जा रही है। एक अनुमान के मुताबिक हर साल 1.3 अरब टन खाना बर्बाद हो जाता है। यह बर्बादी कचरे के पहाड़ का रूप ले रही है।

 

सिर्फ हमारे देश में ही नहीं पूरी दुनिया में खाना खेत से लेकर थाली तक हर कदम पर बर्बाद होता है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक सिर्फ भारत में हर साल 50 करोड़ का अन्न बर्बाद हो जाता है। दुनिया का 25 फीसदी पानी ऐसे खाद्य उत्पादों को उगाने में जाता है, जो कभी थाली तक पहुंचता ही नहीं है।

 

यह हालत तब है जब धरती पर 82 करोड़ लोगों को भरपेट खाना नसीब नहीं होता है। ऐसे में खाना बचाने के लिए उठाया गया एक छोटा सा कदम भी काफी सराहनीय है। कर्नाटक के कूर्ग की खूबसूरत पहाड़ियों में एक ऐसा ही रिसॉर्ट है, जिसने खाने की बर्बादी को रोकने के लिए एक अनूठा कदम उठाया है।

 

इबनी स्पा एंड रिसॉर्ट ने मेहमानों द्वारा खाने की बर्बादी रोकने के लिए अनूठा तरीका अपनाया है। इस रिजॉर्ट ने खाना बर्बाद करने वाले मेहमानों पर ‘जुर्माना’ लगाने का फैसला किया है। यहां अगर कोई अपनी थाली में खाना छोड़ता है, तो उसे बर्बाद खाने का भुगतान करना पड़ता है।

 

प्रति 10 ग्राम बर्बाद खाने के बदले 100 रुपये वसूले जाते हैं। यह पैसा एक एनजीओ को जाता है, इससे अनाथालय के बच्चों के लिए खाने का इंतजाम होता है। यह तरीका इतना कारगर साबित हो रहा है कि खाने की बर्बादी काफी कम हो गई है। इस वजह से रिजॉर्ट में जहां पहले बर्बाद खाने के लिए 14 डस्टबीन रखे जाते थे, अब सिर्फ एक से ही काम चल जाता है।

 

छह महीने पहले लिया गया था फैसला 

 

अंग्रेजी समाचार पत्र ‘द एशियन ऐज’ ने रिजॉर्ट के अधिकारियों के हवाले से बताया कि पहले स्टाफ को बर्बाद खाने को कम्पोस्ट करने में ओवरटाइम तक करना पड़ता था। इसलिए हमने पहले परोसे जाने वाले खाने की मात्रा को कम किया। मगर इससे भी बात नहीं बनी क्योंकि मेहमान एक से ज्यादा बार ऑर्डर करने लगे और खाने की बर्बादी की समस्या का समाधान नहीं हुआ।

 

इसके बाद यह फैसला लिया गया कि जो खाना नहीं खाया जाएगा, उसके पैसे वसूले जाएंगे। प्रक्रिया बहुत ही आसान थी, मेहमानों के खाना खाने के बाद जो खाना थाली में बचेगा, उसका वजन उनके सामने ही किया जाएगा। इसके बाद चेकआउट के समय मेहमानों से प्रति 10 ग्राम खाने के बदले 100 रुपये लिए जाएंगे। यह पैसा सीधे दान पात्र में जाएगा।

 

करीब छह महीने पहले यह फैसला लिया गया, जो कि काफी सफल हो रहा है। अच्छी बात यह है कि मेहमान भी इस फैसले की आलोचना करने के बजाय तारीफ कर रहे हैं।

 

सोशल मीडिया पर मिल रही सराहना 

 

खाने की बर्बादी को रोकने के लिए रिजॉर्ट के इस फैसले की काफी तारीफ हो रही है। देश के प्रमुख उद्योगपति हर्ष गोयंका ने भी ट्वीट कर इसकी सराहना की है।

 

उन्होंने कहा, ‘कूर्ग में इबिनी रिसॉर्ट में मेहमानों द्वारा बर्बाद किए खाने का वजन कर बिल में जोड़ दिया जाता है। 10 ग्राम खाने के बदले 100 रुपये। यह पैसा एनजीओ को जाता है, जिससे अनाथ बच्चों को खाना खिलाया जाता है।’ अच्छी बात यह है कि कोई भी इस नियम से नाखुश नही है

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