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जीवनदायनी तिवारी नाला के जीर्णोद्धार से दूर हो सकता है शहर में मंडराया गंभीर जल संकट,निदान हेतु जल संसाधन विभाग के 42.6 लाख रुपए का प्रस्ताव प्रशासन के पास लंबित,डीएमएफ मद से कार्य किए जाने प्रस्ताव पर मुहर की प्रतीक्षा

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जशपुर : जशपुरनगर के लिए जीवनदायनी तिवारी नाला की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है,तिवारी नाला के जीर्णोद्धार से शहर में मंडराया गंभीर जल संकट दूर हो सकता है,तिवारी नाला के जीर्णोद्धार को लेकर जल संसाधन विभाग ने तैयारी तो कागजी तौर पर शुरू तो कर दिया है लेकिन इस पर प्रशासनिक स्वीकृति का मुहर लगना अभी बाकी है।

ज्ञात हो कि कुछ वर्षों पूर्व शहर की एकमात्र जीवनदायनी तिवारी व्यापवर्तन एनिकट अंतर्गत तिवारी नहर का निर्माण किया गया था,जिसका पानी शहर के विभिन्न श्रोतों के माध्यम से तालाबों और कुंओ तक पहुंचता था,लेकिन निर्माण कार्य में मामूली तकनीकी गड़बड़ी के कारण नहर का पानी शहर तक नहीं पहुंच पा रहा है,दमेरा रोड में पनचक्की के पास बने तिवारी व्यपवर्तन एनीकट का गेट व वहां से निकली नहर का लेवल समान बना दिया है। एनीकट में जब पूर्ण जलभराव होता है, तब ही नहर में पानी उत्तर पाता है। एनीकट के पूरी तरह के भर जाने के बाद डेम में जिस लेवल पर पानी होता है, उसी पर नहर का पानी भी बहता है। नियमतः नहर का लेवल एनीकट के पूर्ण जलभराव के लेबल से थोड़ा कम होना चाहिए था। जल संसाधन विभाग के इंजीनियरों का कहना है कि इसमें एक और फाल्ट है। एनीकट की गेट के पास नहर की चौड़ाई अधिक कर दी गई है। इसलिए नहर में जा रहा पानी कुछ दूरी तक चलने के बाद वापस डैम की ओर लौट रहा है। जब तक फाल्ट में सुधार नहीं हो पाएगा, तब तक तिवारी नाले में दूर तक पानी नहीं पहुंच पाएगा। इस वर्ष तिवारी एनीकट में गर्मी के मौसम में लबालब पानी भरे होने के बावजूद नहर में पानी ज्यादा दूर तक नहीं बह रहा है।तिवारी नहर के पानी को सिंघाड़ा तालाब तक पहुंचाना जरूरी है। कारण सिंघाड़ा तालाब का पानी देउलबंद (बड़ा तालाब) में आता है और देउलबंद का पानी रानीसती तालाब में। यदि तीनों तालाब भरे होंगे तो शहरी इलाके में वाटर लेवल सामान्य बना रहेगा। वर्तमान में सिंघाड़ा तालाब में शहर के मधुबनटोली इलाके की मुख्य नाले का पानी आकर मिल रहा है। यदि तालाब में फ्रेश वाटर नहीं आया तो सिर्फ नालियों का पानी जमा होगा।

मामूली फाल्ट के सुधार हेतु बनाया गया प्रस्ताव शासन के पास है लंबित

सूत्रों की मानें तो गत 3 साल पहले तिवारी नहर के निर्माण में हुवे तकनीकी कमी का जानकारी जल संसाधन विभाग के इंजीनियरों ने पता लगा लिया था,जिसके सुधार हेतु प्रस्ताव बना किसी भी मद से राशि मंजूरी का प्रयास किया जा रहा है,लेकिन आज पर्यंत तक यह प्रयास सफल नहीं हो सका है,जल संसाधन विभाग ने इस वर्ष 21 फरवरी 2024 को 42.6 लाख रुपए का प्रस्ताव नहर के जिर्णद्धोर व मरम्मत कार्य हेतु डीएमएफ मद से कार्य योजना का मांग बना जिला प्रशासन के समक्ष भेजा है। लेकिन आज पर्यंत तक इस पर स्वीकृति नहीं मिला है।समय पर स्वीकृति प्रदान करने और कार्य शुरू कर देने से ग्राउंड लेबल वाटर को रिचार्ज करने की एक अच्छी प्लानिंग सफल हो सकती है।

धीरे धीरे गिर रहा है शहर का भू जल स्तर

बीते कुछ दिनों से शहर का तापमान बढ़ना शुरू हो गया है,जिस वजह से बढ़ते तापमान के साथ ही शहर के भू-जलस्तर में भी गिरावट देखी जा रही है। सूत्रों की मानें तो अभी भू-जलस्तर में अनुमानित 2 फीट की गिरावट देखी जा रही है। इस वक्त ग्राउंड लेबल वाटर 45 फीट पर है। यदि यही हाल रहा तो मई की भीषण गर्मी में भू-जलस्तर में अच्छी खासी गिरावट आ जाएगी। 

विजय जामनिक ईई जल संसाधन विभाग ने चर्चा के दौरान बताया कि तिवारी नहर के निर्माण में हुवे तकनीकी कमी दूर कर देने से नहर का पानी बिना किसी रुकावट के शहर पहुंच जाएगा। नहर में दूर तक पानी पहुंचे इसके लिए एनीकट में फाल्ट की सुधार की जरूरत है। इस काम के लिए फंड का अभाव है। फंड मिल जाने से सुधार हो जाने के बाद अभी से ही तिवारी नहर में दूर तक पानी पहुंचना शुरू हो जाएगा। फंड के लिए उनके तरफ से हर संभव प्रयास किया जा रहा है। जिला प्रशासन के पास प्रस्ताव भी भेजा गया है,साथ ही इसके लिए सर्वे कराकर डीपीआर मंत्रालय भेजा जाएगा। मंजूरी के बाद काम शुरू होगा लेकिन इस पूरी प्रक्रिया को होने में अभी काफी समय लगेगा। 

 

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