नितिन राजीव सिन्हा
ज्ञातव्य है कि आईजी आनंद छाबड़ा ने ५ अक्टूबर २०१९ को ऐयर टेल कंपनी को लिखे गए पत्र क्रमांक IGP/SC/P-5829-C में एक जगह पर ज़िक्र किया है absconded suspect/accused यानि “फ़रार या भगोड़ा आरोपी”..,जो कि आपत्तिजनक हो सकता है-
विधि के जानकारों का इस मामले में कहना है कि भगोड़ा घोषित करने की न्यायालय की प्रक्रिया होती है यह सीआरपीसी की धारा ८२ के तहत है इसमें न्यायालय किसी आरोपी को विधिपूर्वक भगोड़ा घोषित करती है किंतु यह शब्द किसी विभागीय दस्तावेज़ में इस्तेमाल होना वह भी उच्च पुलिस अधिकारी के द्वारा वह सर्वोच्च न्यायालय में छत्तीसगढ़ सरकार के प्रति ग़लत छवि प्रस्तुत करने के लिए पुख़्ता आधार तैयार करती है और मुकेश गुप्ता के पक्ष को मज़बूती प्रदान करती है..,आख़िर ऐसी चूक क्यों हो रही है..?इस पत्र का ग़लत जानकारी देने के तथ्य के तौर पर न्यायालय में इस्तेमाल होना तय है..,
ख़ैर,सवाल और भी हैं कि जिस पजेरो स्पोर्ट्स कार सीजी १३ यू/०००१ से दिल्ली में निलंबित डीजीपी मुकेश गुप्ता की बेटी की कार का पीछा रायपुर पुलिस के लोग कर रहे थे और जिसकी शिकायत ६ अक्टूबर को मालवीय नगर थाने में हुई वह प्राइवेट पजेरो स्पोर्ट्स कार है उसका रेजिस्ट्रेशन रायगढ़ का है यह २०१२ मॉडल की वीवीआईपी कार है न कि टैक्सी है और यह रायपुर निवासी मयंक त्रिपाठी के नाम पर पंजीकृत है..,
प्रश्न तो यह है कि निजी वाहन जो टैक्सी कोटा में पंजीकृत न हो क्या वह पुलिस अथवा शासकीय प्रयोजन में किराये पर प्रयोग में लाई जा सकती है और जो गाड़ी पुलिस लाइन में अटैच भी नही हो,क्या वह भी ? यह गाड़ी सूत्रों के अनुसार पुलिस लाइन रायपुर की अटैच गाड़ी नहीं है,फिर ख़ुफ़िया मिशन में रायपुर पुलिस का निजी कार चालक को लेकर रायपुर से दिल्ली तक जाना मिशन की सफलता में बाधा उत्पन्न करने का स्वाभाविक कारण बन जाता है..,
यह सब किसके इशारे पर हो रहा है इसका जवाब पुलिस कप्तान के पास ही हो सकता है या फिर आईजी पुलिस के पास पर,इन दोनों की ग़लतियों पर ग़लतियाँ करने के मायने समझ से परे हैं..,