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मिशन कमीशन पर कसता भूपेश का शिकंजा..!!!

नितिन राजीव सिन्हा

पुरखों के सपनों को पूरा करना भूपेश सरकार की प्राथमिकता है अनुपूरक चर्चा में भाग लेते हुए मुख्य मंत्री भूपेश बघेल ने मानसून सत्र के अंतिम दिन सदन को सम्बोधित करते हुए कहा है कि विकास ग़रीबों,आदिवासियों और महिलाओं का होगा,कमीशन खोरों का नहीं..,
वहीं,चर्चा में भाग लेते हुए पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कह दिया है कि बजट के प्रावधान ऐसे हैं कि इससे आधारभूत ढाँचे का विकास रुक जाएगा १४वें वित्त आयोग से पंचायतों को दिया गया पैसा ग़लत तरीक़े से नरवा,घुरवा,गरवा,बाड़ी में ख़र्च किया जा रहा है..,
लिखना होगा कि १५ साल का वह दौर लोगों को याद है जबकि छत्तीसगढ़ की लाखों हेक्टेयर पुरखों की कृषि भूमि सरकार के दबाव में किसानों से लूट ली गई उद्योगों के नाम पर धान के कटोरे को राख की ढेरी में तब्दील कर दिया गया.,,
अमन सिंह जैसे तत्कालीन कथित सुपर सीएम की मनमानियों की भेंट यह राज्य चढ़ गया लेकिन जब रमन सिंह चुनाव हारे तो प्रदेश को छोड़कर जाने वालों में अमन सिंह पहले व्यक्ति थे उनके पीछे मुकेश गुप्ता (डीजीपी पुलिस) गये,फिर आबकारी विभाग के ‘काम के आदमी’ रहे समंदर सिंह गये ऐसे कई और चर्चित नाम हैं जो डूबते जहाज़ पर सवार पंछी साबित हुए..
उस दौर में मिशन कमीशन की इंतहा कुछ यूँ थी कि हाउस वाइफ़ नोट काउंटिंग मशीनें लेकर बैठी होती थी लोग कहते हैं कि मशीन तब तक चलती थी जब तक मैडम जागती रहती थी मतलब उस दौर में काउंटिंग मशीनों का ज़ोर था..,
जनता जानती है कि अमन सिंह और मुकेश गुप्ता जैसे लोग रमन सिंह की आँखों के तारे थे और लोग यह भी जान चुके थे कि उन्हें छत्तीसगढ़ के पुरखों के सपनो से कोई वास्ता न था सो,इन पंद्रह सालों में छत्तीसगढ़ में उन बनियों का राज स्थापित हो गया जो धंधे में लगे थे वे सरकार बन गये रमन सरकार में मूल छत्तीसगढ़िया नेतृत्व कहाँ था इसका जवाब रमन सिंह को स्वयं होकर देना चाहिये और यह भी कि क्या उनके ज़ेहन में छत्तीसगढ़ के पुरखों के सपनों का मान था..,
रमनराज के अफ़साने जब लफ़्ज़ बनते हैं तो उन्हें हम यूँ बयान करते हैं-
आँखों से आँसुओं
को मिली ख़ाक
में जगह
पाले गये थे
वर्षों से आँखों
में,निकल
गये तो जाने
कहाँ गये..?
नाले वो नदियाँ
बिक गये नहरों
के जाल बिछे
थे जाने वो,
कहाँ गये..?
खेतों में बूँद
भर पानी न
था प्राइवेट
पॉवर प्लांट
लबालब
पाये गये..,

 

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