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मनेद्रगढ़ ने राष्ट्रीय स्तर पर दर्ज की है अपनी साहित्यिक पहचान- रमेश सिंहा

शिवा मिश्रा विशेष संवाददाता रायपुर (छ. ग.)

 मनेद्रगढ़। एमसीबी जिले का मनेद्रगढ़ शहर साहित्यिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों में सदा अग्रणी रहा है , यहां के  स्थानीय रचनाकार  राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने में सफल रहे हैं ,यह इस अंचल के लिए गर्व एवं सम्मान की बात है कि  मनेद्रगढ़ के रचनाकार अपनी लंबी साहित्यिक साधना के माध्यम से आज देश के प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में राष्ट्रीय परिदृश्य पर लिख रहे हैं यह साहित्यिक जगत की महत्वपूर्ण घटना है -उक्ताशय के विचार छत्तीसगढ़ शासन समाज कल्याण विभाग के उपसंचालक एवं सरगुजा अंचल के वरिष्ठ साहित्यकार रमेश सिंहा , हिंदी साहित्य भारती के जिला इकाई द्वारा आयोजित शख्सियत कार्यक्रम में व्यक्त कर रहे थे।  समाज कल्याण विभाग छत्तीसगढ़ शासन के मनेद्रगढ़ कार्यालय में उपसंचालक पद पर पदस्थ रमेश सिंहा का   स्वागत हिंदी साहित्य भारती के जिला अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने किया।  बोधि प्रकाशन जयपुर से प्रकाशित कृतियां -"मेरे लिए विरासत में "तथा "अराजक दुनिया के लिए प्रार्थना -"जैसी चर्चित कृतियों के रचनाकार रमेश सिंहा पिछले चार  दशकों से  राष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हो रहे हैं। शख्सियत कार्यक्रम में हिंदी साहित्य भारती के आमंत्रण पर उपस्थित वरिष्ठ रचनाकार रमेश सिन्हा, सतीश उपाध्याय के निवास में आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित हुए! वे समकालीन कविताओं के साथ कहानी  एवं बाल साहित्य के क्षेत्र में भी पिछले 40 वर्षों से निरंतर सक्रिय हैं। इस अवसर पर रमेश सिंह की कृतियों पर विचार व्यक्त करते हुए हिंदी साहित्य भारती के वरिष्ठ साहित्यकार सतीश उपाध्याय ने उनकी कविताओं के संबंध में समीक्षात्मक टिप्पणी प्रस्तुत करते हुए कहा कि रमेश सिंहा की कविताओं में आक्रोश का स्वर है एवं समाज की विसंगतियों को मुकम्मल प्रहार करने में सहज एवं सफल रही है वे कविताओं के साथ मानवीय संवेदनाओं को उकेरने  के सिद्ध हस्त कवि हैं। सरगुजा अंचल अंबिकापुर निवासी  विधि स्नातक रमेश सिंहा  ने मनेन्द्रगढ़ की धरती को साहित्य की उर्वरा भूमि बताते हुए आंचलिक रचनाकारों को एक मंच पर लाने के प्रयास के लिए हिंदी साहित्य भारती जिला इकाई की प्रशंसा की। कार्यक्रम का संयोजन हिंदी साहित्य भारती जिला इकाई एमसीबी द्वारा किया गया।

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