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आखिर यह कैसी पुलिस की स्पेशल टीम रात में जुआ के फड़ में कार्यवाई के जगह करती है लेनदेन..

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नदीम खान सूरजपुर

सूरजपुर – सूरजपुर पुलिस इन दिनों  बेहद सुर्खियों में वजह यह है कि कुछ पुलिसकर्मी दिनदहाड़े पैसे मांगना सहित मारपीट गाली गलौज करते और पैसों के बिना यहां आजकल कुछ नहीं हो रहा है जहां एक और सूरजपुर पुलिस अधीक्षक सहित तमाम अधिकारी निष्पक्ष जांच और बेहतर पुलिसिंग की बात करते हैं,, तो वहीं कुछ पुलिसकर्मी इनकी मंशा पर पानी फेरते नजर आते हैं,, दरअसल ताजा मामला सूरजपुर कोतवाली का है,, जहां 22 मई रात्रि में को प्रधान आरक्षक एस एन पाल को ग्राम धनेशपुर में जुआ खेलने की जानकारी मिली इसके बाद पाल ने खुद एक टीम तैयार की जिसमें करीब आठ लोग सम्मिलित हुए और सूरजपुर कोतवाली से धनेशपुर के लिए रवाना हुए वहीं इस पूरी घटना की जानकारी थाना प्रभारी सहित उच्च अधिकारियों को बिना सूचना दिए सूरजपुर से रवाना हो गए यहीं से इनकी नियत बिगड़ गई, बिना कोई पेट्रोलिंग गाड़ी लिए अपनी पर्सनल गाड़ियों में रवाना हुए मौके पर पहुंच जुआ खेल रहे लोगों को घेराबंदी कर पकड़ा गया जिसमें दो जुआरी पुलिस के गिरफ्त में आई और बाकी कुछ लोग भागने में कामयाब हो गए और जुए के फड से लगभग 40 हजार रुपए सहित 7 मोटरसाइकल पुलिस ने अपने पास  जप्त किया,,लेकिन नियत तो कुछ और ही था जिसके बाद एस एन पाल की स्पेशल टीम जुआरियों से लेनदेन करना चालू कर दिया और 5000 हजार एक मोटरसाइकिल का दम रखा जिससे पकड़े गए दो आरोपी ने पुलिस को पैसे देकर वहां से चले गए और पुलिस ने दो बाइक मालिकों से 10000  रुपए लेकर बाइक को छोड़ दिया जो पांच बाइक पैसे नहीं दिए उसे स्थानीय पिकअप वाहन से देर रात कोतवाली थाना लाया गया इसके बाद एस एन पाल की बनी हुई स्पेशल टीम कोतवाली पहुंचती है और पकड़े गए रुपयों का बटवारा होता है इसके बाद सभी अलग-अलग दिशाओं में चले जाते हैं रात भर यह गाड़ियां कोतवाली में रहती है और सुबह उनके मालिक आते हैं और पैसे देकर उन सभी गाड़ियों को थाने से लेकर चले जाते हैं और पुलिस के उच्च अधिकारियों की माने तो सूरजपुर कोतवाली पुलिस ने बीते कुछ दिनों में कोई जुआ की कार्रवाई नहीं की है अब इससे ही तो स्पष्ट है की रात में यह तैयार होने वाली स्पेशल टीम आखिर क्या करती है और ऐसा ही अगर चलता रहा तो जिले के पुलिस अधीक्षक की बेहतर पुलिसिंग की मंशा कैसे पूरी हो पाएगी,,

क्या था स्पेशल टीम का रेट लिस्ट

सूत्रों की माने तो पाल की स्पेशल टीम ने जुआरियों और उनके गाड़ियों को छोड़ने कीमत तय की थी वह इस प्रकार था एक मोटरसाइकिल की कीमत 5 हजार तय की गई थी वही एक आरोपी से ₹8000 लिए गए वह भी एक पुलिसकर्मी के खाते में यह सिलसिला रात से शुरू होकर दूसरे दिन दोपहर तक चलता रहा और सभी गाड़ियां कोतवाली से धीरे-धीरे जाती रही वही इस पूरी घटना का कोतवाली प्रभारी सहित उच्च अधिकारियों को भनक तक ना लगी,,

पुलिस अधिकारियों को नही है जानकारी ?

कोतवाली पुलिस के यह स्पेशल टीम रात में जिस प्रकार वसूली कर रही और थाना से लेकर घटनास्थल तक जिस प्रकार खेल चल रहा वहीं उच्च अधिकारियों की माने तो इस पूरे घटनाक्रम की उन्हें कोई जानकारी नहीं है तो इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं की कितने सातिर किस्म के यह स्पेशल टीम के लोग हैं, जो अपने उच्च अधिकारियों को भी चकमा दे रहे हैं,,, 

कानून के द्वारा बनाए गए नियम की उड़ी धज्जियां

कानून ने जिस प्रकार किसी भी काम के लिए नियम तय किया हैं उन नियमों को यह स्पेशल टीम धज्जियां उड़ा रहे हैं अगर इन्हें जुआ खेलने की जानकारी मिलती है तो इन्हें सबसे पहले अपने प्रभारी सहित उच्च अधिकारियों को यह अवगत कराना चाहिए था इसके बाद उनकी अनुमति से टीम गठित होती और रेड की कार्रवाई की जाती लेकिन इस टीम की मंशा ही कुछ और थी,,

मीडिया की जानकारी के बाद बना प्लान 

वही जब इस पूरी घटना की जानकारी मीडिया को लगी मीडिया को लगी तो यह स्पेशल टीम ने प्लान भी बनाया और एक मनगढ़ंत कहानी रची कहानी में उन्होंने यह बताया की जुआ की जानकारी मिली और हम रेड करने मौके पर पहुंचे लेकिन वहां हमें कोई नहीं मिला और 5 गाड़ियां मिली जिसे हमने थाने लाया और सुबह मोटर व्हीकल एक्ट की कार्यवाही कर उसे छोड़ दिया साथी 8000 खाते में लिए गए पैसे से इंकार करते नजर आ रहे हैं,, वहीं रेड की कार्रवाई में जाने की जानकारी कोतवाली प्रभारी को बताने की बात कर रहे हैं,

क्या पुलिस करेगी इन बिंदुओं पर जांच

जिस प्रकार इन अपराधियों को छोड़ने में पुलिस की स्पेशल टीम ने अपनी भूमिका निभाई है और प्लान भी के तहत एक झूठी कहानी रची तो क्या अब पुलिस के आला अधिकारी इस स्पेशल टीम के लोगों का कॉल डिटेल निकलेगी ? आखिर रात के 12:00 बजे पुलिस कर्मी अनुज सिंह के खाते में ₹8000 कहां से आए यह पता लगा पाएगी ? क्या पुलिस अधिकारी स्पेशल टीम की मोबाइल लोकेशन और उसे वक्त किन-किन लोगों का मोबाइल एक्टिव था घटनास्थल में यह डंप कराआएगी ? घटनास्थल में मिले गाड़ियों को थाने लाने के बाद 102 की कार्यवाही ना करके मोटर व्हीकल एक्ट की कार्यवाही क्यों की गई इसकी जांच की जाएगी ? कोतवाली थाने में लगे सीसीटीवी कैमरे कितनी गाड़ियां आई और उन्हें सुबह कौन लेकर गया और इस स्पेशल टीम में कौन-कौन थे इसे निकालेगी ? ऐसी कई सवाल है जिस पर पुलिस अधिकारियों को जांच करने की जरूरत है,, लेकिन क्या पुलिस विभाग अपने मातहत पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराने की बजाए किसी शिकायत के इंतज़ार में मामला ठंडे बस्ते में डालेगी,, या कोई कार्रवाई भी देखने मिलेगी, ताकि दूसरों के लिए नजीर बन सके,,,यह तो आने वाला वक्त बताएगा कि आखिर इस स्पेशल टीम की यह करतूत सामने आएगी या फिर पुलिस ही पुलिस को बचाकर इन्हें पाक सब बना देगी

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