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जर्जर भवन में जान जोखिम में डाल पढ़ने को मजबूर बच्चे,,,नहीं है प्रशासन का कोई ध्यान

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1978-79 के खपरैल जर्जर विद्यालय भवन में भविष्य निर्माण कर रहे हैं बच्चे

परेश दास(विशेष प्रतिनिधि)

साहीडाँड़- विकास खंड बगीचा के ग्राम पंचायत सरबकोम्बो के कुहापानी ग्राम में संचालित प्राथमिक शाला का स्थापना 1978-79 में हुआ था।जो लकड़ी से बने खपरैल का मकान है।ये विकास खंड से 20 किलोमीटर के दुरी पर बगीचा जशपुर मुख्य मार्ग से सटा हुआ है।इस मुख्य मार्ग से प्रदेश के मंत्री,विधायक,सांसद सहित बड़े बड़े नेता और विकास खंड जिला से लेकर संभाग तक के अधिकारी गुजरते हैं।मगर इस पुराने जर्जर भवन पर किसी भी जिम्मेदार लोगों का ध्यान तक नही जाना कितना लाजमी बात है।भवन जैसे जैसे पुराने होते जा रहा है भवन की स्थिति और जर्जर होता जा रहा है।स्थानीय ग्रामीणों ने कई बार पक्के भवन का मांग रखा परंतु किसी भी जिम्मेदार जनप्रतिनिधि न ही सम्बंधित अधिकारियों का इस ओर ध्यान गया।

 

दहसत में रहते हैं बच्चे और शिक्षक सहित अभिभावक

खपरैल के इस विद्यालय का 40 साल लगभग हो गया।कितना मरम्मत करेंगे।कक्ष के सभी कमरों का मयार टूट चुका है बीच में खम्भा लगाकर टिकाया गया है।कमरों के कई बल्ली टूट चुका है।प्राथमिक शाला के इस जर्जर भवन में थोड़ा सा भी बारिश होने से दिन भर पानी टपकते रहता है।एक कक्ष में ही स्कूल के समस्त सामग्री को रखकर पढ़ाई किया जाता है।स्थानीय अभिभावक बारिश से पहले खपरे को फेर देते हैं।ताकि उनके बच्चे सुरक्षित पढ़ाई कर सकें।जहाँ अत्यधिक जर्जर और पानी टपकने जैसे जगह होते हैं वहां प्लास्टिक तिरपाल लगाकर विद्यालय भवन को बचा कर रखे हैं।

शौचालय,बॉउंड्रीवाल रसोई कक्ष भी नही 

एक तरफ सरकार शिक्षा के व्यवस्था को बेहतर करने कई प्रकार के योजना बना रहा है ताकि विद्या प्राप्त करने वाले बच्चों को किसी प्रकार का परेशानी न हो।बच्चे सुरक्षित विद्या ग्रहण कर सके।लेकिन सरकार के योजना से इस संस्था में शौचालय बॉउंड्रीवाल रसोई कक्ष जैसे मुलभुत सुविधा से कोसों दूर और मोहताज है।इस विद्यालय में छोटा सा एक कक्ष है जिसमे मध्यान भोजन बनाया जाता है।बरसात के दिनों में पानी अत्यधिक टपकने के कारण खपरे के ऊपर प्लास्टिक लगा दिया गया है।मुख्यमार्ग से सटे होने के बावजूद बाउंड्रीवाल नही है इस मार्ग से प्रतिदिन सैकड़ों छोटे बड़े गाड़ियों का आना जाना रहता है।कभी कभी प्राथमिक शाला के बच्चों को सड़क किनारे भी खेलते हुए देखा जाता है।वहीँ शौचालय भी नही रहने के कारण स्कूल भवन के चारों ओर पौधों के झुंडों आदि में घूमते हुए देखा गया जाता है।स्कूल परिसर क्षेत्र पथरीली एवं छोटे छोटे पौधों से घिरा हुआ है।बच्चे क्या जानते हैं कब क्या हो जायेगा सभी जगह खेलते नजर आते हैं।

        शिक्षा के इस मंदिर में भविष्य निर्माण कर रहे बच्चे भी पक्के मकान में और सुरक्षित पढ़ाई करने के सपने देख रहे हैं।क्योंकि इसी ग्राम के अन्य विद्यालयों में पढ़ रहे बच्चे अपने अपने स्कूलों के बारे में बातें करते होंगे तो कितना ख़राब लगता होगा यह बात तो खुद भी सोंच सकते हैं।स्कूल भवन की जर्जर स्थिति देख इस संस्था में दिन प्रतिदिन दर्ज भी कम होते जा रहे हैं।अगर जल्द इस विद्यालय को न सुधारा गया तो यहाँ की दर्ज और कम हो जायेंगे।

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