नितिन राजीव सिन्हा
२८ जुलाई को नक्सली आंदोलन से जुड़े हुए विघ्न संतोषी तत्वों के शहीदी सप्ताह का आरम्भ दिवस था जिस पर कांकेर ज़िला के संवेदनशील इलाक़ों से ख़बर आई है कि २५ सालों में पहली बार नक्सली आतंक बे असर दिखा यात्री बसें बेख़ौफ़ होकर चलीं नक्सली फ़रमान पर थम जाने वाले यात्री वाहनों के पहिये रुके नहीं बल्कि
वे घुमते रहे धूर इलाक़े मसलन इरपानार,आमाबेडा और कोयलीबेडा से लोग बेख़ौफ़ होकर यात्रा करते रहे,भूपेश सरकार की इस उपलब्धि पर कोई फ़ौरी प्रतिक्रिया देना जल्दबाज़ी होगी लेकिन पूत के पाँव पालने में दिखने लगे हैं..,
दूसरी ख़बर यह कि भूपेश बघेल ने पाटन में कहा है कि क़र्ज़माफ़ी और @२५०० रु.समर्थन मूल्य से बाज़ार को लाभ हुआ है उन्होंने कहा कि automobile sector ग्रोथ अन्य राज्यों में कमज़ोर हुआ है जबकि छत्तीसगढ़ में २५% का इज़ाफ़ा हुआ है..,
सिर्फ़ सात महीने की अल्प अवधि में सरकार का असर दिखाई देना यह बताता है कि सरकार व्यापक लोकहित में काम कर रही है शांति और लोगों के विश्वास जीतने की दिशा में यह काम कर रही है,भूपेश सरकार की इस उपलब्धि पर लिखना होगा कि-
अँधेरा घना था
जो,गुज़र गया
वर्षों का ख़ौफ़
था,वह कम हुआ
सुबह होते ही
सबने पाया
जो खोया था
वह शांति था
मन का विश्वास
था..,लौटा है
वह,उसका
असर था वह
आज दिख गया..,