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पुरानी पेंशन बहाली के लिए छत्तीसगढ़ में अप्रेल माह में जुटेंगे राष्ट्रीय स्तर के प्रतिनिधि

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पुरानी पेंशन बहाली कार्यक्रम में प्रदेश के सभी विभागों के कर्मचारियों एवं शिक्षको की रहेगी अहम भूमिका

 

         छत्तीसगढ़ सहित सम्पूर्ण भारत मे  पुरानी पेंशन बहाली की मांग फिर जोर पकड़ रही है. सरकार पर दबाव बनाने के लिए सरकारी कर्मचारी अप्रेल माह में रायपुर छत्तीसगढ़ में जुटेंगे । जिसमें  राष्ट्रीय स्तर के सभी विभाग के प्रमुख पदाधिकारी सहित प्रदेश के सभी विभाग के कर्मचारी भाग लेंगे।

       यह  निर्णय तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में आयोजित एक दिवसीय उपवास कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय अध्यक्ष बी पी रावत छत्तीसगढ़ के प्रदेश संयोजक वीरेंद्र दुबे , प्रदेश उपाध्यक्ष एवं जिला अध्यक्ष विष्णु शर्मा, शशांक साहू  एवं अन्य पदाधिकारियों के उपस्थिति में निर्णय लिया   गया। ज्ञातव्य है कि 1 मार्च  2020 को हैदराबाद (तेलंगाना) में   पुरानी पेंशन बहाली को लेकर  छत्तीसगढ़ की ओर से प्रदेश संयोजक एवं शालेय शिक्षाकर्मी संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र दुबे एवं विष्णु शर्मा ने भाग लिया ।

            प्रदेश संयोजक वीरेंद्र दुबे ने बताया कि, जब एक विधायक, सांसद, मंत्री, हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट के जज, आयोगों के सदस्यों को सरकार आज भी पुरानी गारन्टीड पेंशन दे रही है जो अल्पकालिक सेवा के लिए आते हैं तो देश के लिए शहीद होने वाले अर्धसैनिक बलों और 30 – 35 साल तक सेवा करने वाले सरकारी कर्मचारियों को क्यों नहीं?" गौरतलब है कि 01 जनवरी, 2004 से केंद्र सरकार और उसके बाद अन्य राज्यों (पश्चिम बंगाल को छोड़कर) ने सरकारी कर्मचारियों के लिये पुरानी गारंटीड पेंशन व्यवस्था को खत्म कर शेयर बाजार पर आधारित न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) की शुरुआत की थी.

           आज 15 साल बीत जाने के बावजूद एनपीएस कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति होने पर न तो सामाजिक सुरक्षा की गारन्टी तय हो पायी है जबकि प्रत्येक कर्मचारी के वेतन का 10% शासन की ओर से एवं 10 % कर्मचारी के ओर से हर महीने पेंशन के नाम पर कंपनियों मे निवेशित किया जा रहा है और न ही सेवाकाल के दौरान कर्मचारी की मृत्यु हो जाने पर पारिवारिक पेंशन की उपयुक्त व्यवस्था की गयी है. 

     भले ही चुनाव के दौरान पुरानी पेंशन बहाली  के लिए राजनैतिक दल बड़े बड़े  वादे करने से नहीं चूकते. पर जैसे ही चुनाव सम्पन्न हो जाते है इस मुद्दे को भुला  देते है, परन्तु इस मुद्दे को लेकर सभी कर्मचारी संगठन एक जुट है और अप्रेल  माह  में एकदिवसीय धरना प्रर्दशन के दौरान  भविष्य के लिए ठोस रणनीति बनाएंगे ।

 

 

 

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