तुम शब्द हो दुनिया के हर
शब्द से अलग।
तुम शब्द कोष हो जिसके
बिना, मेरे जीवन की, हर
भाषा अधूरी है।
तुम शब्द हो जिसके एहसास
मात्र से मेरे जीवन के कोरे
कागज भर जाते हैं कई अर्थों
से।
तुम शब्द हो मुझ जैसे मृत्यु
भाषा के लिए तुम उम्मीद की
अंतिम किरण हो केवल तुम ही
सास्वत हो बाकी सब नश्वर
सविता राय आदक
आनंद नगर, रायपुर