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उत्तर प्रदेश में कमिश्नरी प्रणाली को देखते हुए मध्यप्रदेश में भी फिर वापस से पुलिस कमिश्नर प्रणाली सिस्टम को लागू करने को लेकर सुगबुगाहट

भरत शर्मा की रिपोर्ट

आज का दिन न्यूज पोर्टल रतलाम उत्तर प्रदेश में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद अब मध्यप्रदेश में भी एक बार फिर पुलिस कमिश्नर सिस्टम को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है। चर्चा तो यहां तक चल रही है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ आगामी दिनों में जल्द ही इसकी घोषणा भी कर सकते हैं ।

मध्यप्रदेश में पुलिस कमिश्नर प्रणाली को लागू करने की चर्चाएं नई नहीं है।पूर्व में भाजपा सरकार में भी इंदौर और भोपाल जैसे बड़े शहरों में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने को लेकर कवायद और विचार हुआ था ,लेकिन इसको लेकर निर्णय नहीं हो पाया ।अब प्रदेश में कांग्रेस सरकार आने के बाद एक बार फिर पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई है ।बताया जा रहा है कि प्रदेश में अपराधों पर और बेहतर नियंत्रण के लिए कमिश्नर सिस्टम को लागू करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है और इसको लेकर माहौल भी तैयार किया जा रहा है ।सूत्रों की माने तो जल्द ही प्रदेश में पुलिस कमिश्नर सिस्टम को लेकर सकारात्मक परिणाम मिल सकते है।

कितना पड़ेगा IAS- IPS की पॉवर में फर्क

भारतीय पुलिस अधिनियम 1861 के भाग 4 के अंतर्गत डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेट (जो कि एक IAS अफसर होता है) के पास पुलिस पर नियत्रंण के अधिकार होते हैं. लेकिन पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू हो जाने से ये अधिकार पुलिस अफसरों को मिल जाते हैं।सरल भाषा में कहा जाए तो जिले की बागडोर संभालने वाले आईएएस अफसर डीएम की जगह पॉवर कमिश्नर के पास चली जाती है।

दण्ड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट को भी कानून और व्यवस्था को विनियमित करने के लिए कुछ शक्तियां प्रदान करता है।इसके अनुसार पुलिस अधिकारी सीधे कोई फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं, वे आकस्मिक परिस्थितियों में डीएम या कमिश्नर या फिर शासन के आदेश के तहत ही कार्य करते हैं, आम तौर से IPC और CRPC के सभी अधिकार जिले का DM वहां तैनात PCS अधिकारियों को दे देता है।

पुलिस कमिश्नर सर्वोच्च पद होता है

कमिश्नर व्यवस्था में पुलिस कमिश्नर सर्वोच्च पद है। ये व्यवस्था कई महानगरों में है। दरअसल हमें ये व्यवस्था आजादी के बाद विरासत में मिली।वास्तव में ये व्यवस्था अंग्रेजों के जमाने की है। तब ये सिस्टम कोलकाता, मुंबई और चेन्नई (तब के कलकत्ता, बॉम्बे और मद्रास) में थी।

कमिश्नरी सिस्टम में पुलिस कमिश्नर को ज्यूडिशियल पावर भी होती हैं। बता दें कि इन महानगरों के अलावा पूरे देश में पुलिस प्रणाली पुलिस अधिनियम, 1861 पर आधारित थी और आज भी ज्यादातर शहरों की पुलिस प्रणाली इसी अधिनियम पर आधारित है।इसे लागू करने के पीछे एक वजह ये होती है कि अक्सर बड़े महानगरों में क्राइम रेट ज्यादा होता है।एमरजेंसी हालात में भी पुलिस के पास तत्काल निर्णय लेने के अधिकार नहीं होते।इससे ये स्थितियां जल्दी नहीं संभल पातीं।

कमिश्नरी सिस्टम से पुलिस कमिश्नर के पास CRPC के तहत कई अधिकार आ जाते हैं। इस व्यवस्था में पुलिस प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के लिए खुद ही मजिस्ट्रेट की भूमिका निभाती है।ऐसा माना जाता है कि पुलिस प्रतिबंधात्मक कार्रवाई खुद कर सकेगी तो अपराधियों के मन में डर जगेगा और क्राइम रेट घटेगा।

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