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कुछ याद उन्हें भी कर लो ..जो लौट के घर ना आये...शहीद हेमराज और सुधाकर सिंह के पुण्य तिथि पर विशेष...

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नितिन सिन्हा, रायगढ़ की कलम से

आज ही के दिन 8 जन.2013 को भारतीय सेना के राजपुताना राइफल के 2 जांबाजो शहीद हेमराज और शहीद सुधाकर सिंह को धोखे से पाकिस्तानी सेना के कायर सैनिकों(बैट) ने धोखे से न केवल सीमा पार आकर मार दिया था.बल्कि उनका सिर भी अपने साथ ले गए थे.यह घटना 

8 जनवरी 2013 के दिन सुबह 10:30 बजे कृष्णा घाटी के मनकोट इलाके में नियंत्रण रेखा के पास घटी थी । जिसमें 13 राजपूताना राइफल्स के दो सैनिक शहीद हो गए और दो अन्य घायल भी हुए थे।

 

शहीद जवानों के नाम लांस नायक हेमराज और लांस नायक सुधाकर सिंह था। उनके शव जाहिरा तौर पर क्षत-विक्षत पाए गए थे।।   

 

घटना की जानकारी लगते ही पुरे देश में आक्रोश की लहर दौड़ पड़ी थी.दोनों शहीद जवानो के परिजनों के दुःखद विलाप से देशभर में पाक के विरोध को लेकर जमकर प्रदर्शन भी हुआ था.लोग इस घटना से इतने नाराज हुए थे,कि तत्तकालीन कांग्रेस सरकार को आगामी चुनाव में सत्ता से बेदखल तक कर दिया था.जिसके बाद देश मे नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नई भाजपा सरकार बनी थी। जिंन्होने शहादत की इस घटना से नाराज देशवासियों की भावनाओ का बखूबी राजनीतिक लाभ लिया था।। उनकी *"एक के बदले दस सर"* की घोषणा ने एक-बारगी से आहत देशवासियों को उनकी तरफ आकर्षित किया था।। परन्तु सत्ता में आने के बाद धीरे-धीरे वो भी पूर्ववत सरकार की कार्यशैली में आ गए.इस घटना के लगभग एक साल बाद तक पाकिस्तानी हमलो का सिलसिला चलता रहा।। जिसमें पठानकोट,उरी,साम्बा,जम्मू,पुलवामा जैसे दर्जनों बड़े आतंकी हमलों में हमने तक़रीबन 350 जवानों की जानें गवाई.वर्तमान सरकार के विगत कार्यकाल ने यह सिध्द किया कि देश मे सिर्फ सत्ता परिवर्तन हुआ है,विचारधारा और कार्यप्रणाली नही बदली है.देश की सुरक्षा को लेकर नई सरकार का रवैया ठीक वैसा ही है जैसा तत्कालीन कांग्रेस सरकार का था.

शहीद हेमराज और शहीद सुधाकर सिंह की घटना की मार्मिक यादें प्रति वर्ष आज के दिन ताज़ा हो जाती है.दुःख तो तब होता है,जब सहादत की इस घटना को मुद्दा बनाकर विपक्ष पार्टी बीजेपी आहत भारतीयों की जनभावनाओं का उपयोग अपने पक्ष में कर ले जाकर 2013 में अपनी सरकार बना लेती है। यही सिलसिला पुलवामा की घटना के बाद भी बना रहता है।। इस बार 44 जवानोँ की शहादत और उसके बाद कथित एयर स्ट्राइक के बाद वापस सत्ता हासिल कर लेती है।। परन्तु देश के जवानो की असमय सहादत की क्रमिक घटनाओ को नियंत्रित करने की कोई ठोष रणनीति आज भी नही बन पाई है.

 

सरकारें आमतौर पर न तो आतंकवाद/न ही नक्सलवाद के खात्मे को लेकर चुनाव पूर्व किये गए अपने ही घोषित वायदों को पूरा करती दिखती है.शायद इन्ही कारणों से देश में जवानो के शहादत का सिलसिला आज भी बदस्तुर जारी है.नई और पुरानी सरकार का भय ना तो पाक परस्त आतंकवादियों को है ना ही देश के भीतर सक्रिय हिंसक लाल चरमपन्थियों को है..

 

बहरहाल 8/जनवरी/13 के अमर शहीदों को पुनः विनम्र-श्रद्धांजलि...

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