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भोपाल : प्रदेश के मुखिया ने अफसरों को दिया फ्री हैंड हर तरह के माफिया और अवैध कब्जा धारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मिली खुली छूट

भरत शर्मा रतलाम

आज का दिन न्यूज पोर्टल रतलाम :  सूबे के मुखिया ने तमाम जिलों के अफसरों को फ्री हैण्ड दे दिया था कि वे सब अपने अपने इलाके में हर तरह के माफिया और अवैध कब्जे करने वालों के खिलाफ जम कर कार्यवाही करे। रतलामी बाशिन्दे,अफसरशाही की तरफ नजरे लगाकर देख रहे थे कि किस पर कार्यवाही होगी और कैसी होगी। लेकिन दो चार दिन में ही शेर की दहाड,बकरी की मिमियाहट में बदल गई।

राजधानी से आए फरमान के दो दिन बाद अचानक पूरा सरकारी अमला जेसीबी मशीनों के साथ बाजना रोड़ के बडे पैलेस पर नजर आया। शहर के तमाम खबरची अपने साजो सामान के साथ वहां पंहुच गए। सरकारी अमले ने बताया कि इजाजत से ज्यादा बनाए गए हिस्से को हटाया जाएगा। जेसीबी ने तोड फोड शुरु की और खबरें बनने लगी। लेकिन थोडी ही देर में वहां मौजूद खबरचियों को लगा कि सरकारी पंजा तोड फोड तो कर रहा है,लेकिन बेहद धीमे धीमे। खबरचियों ने इसे अपने मन का वहम समझ कर भूला दिया। जेसीबी वाला दस्ता कडाके की ठण्ड में रात तक धीरे धीरे काम करता रहा। फिर सरकारी अमले ने कहा कि बाकी का काम अगले दिन करेंगे।

उधर मैरिज गार्डन वालों की हालत भी खराब थी। धमकी तो यह दी गई थी,कि तीस कमरे तोडे जाएंगे। उन्होने नुकसान कम करने के लिए ताबडतोड कारीगर बुलवाए और कमरों के एसी और फर्निचर तक खुलवाना चालू कर दिया। अदालत तक दौड भी लगा दी गई कि वहां से स्टे की मदद मिल जाए। ये सब मेहनत होती रही,लेकिन सरकारी अमला अगले दिन वहां पंहुचा ही नहीं। तमाम लोग और खबरची इंतजार ही करते रहे गए,लेकिन सरकारी अमला मैरिज गार्डन की बजाय लोकेन्द्र टाकीज चौराहे पर पंहुच गया और वहां की कई सारी गुमटियों पर पंजा चला दिया गया।

कुछ दिन गुजरे तो अब कहानियां साफ होने लगी है। सरकारी अमले की शुरुआती दहाड अब बकरी की मिमियाहट में बदल गई है। सरकारी कारिन्दों का गणित ज्ञान भी अब लोगों की समझ में आने लगा है। अमले ने तोड फोड की कार्यवाही तो एक ही मैरिज गार्डन पर की थी,लेकिन नोटिस कई सारो को दिया था। जहां तोड फोड हुई,उसे अदालत से कोई स्टे भी नहीं मिला था,लेकिन फिर भी सरकारी अमले ने अपना काम खुद ही रोक दिया। कहने वाले कह रहे है कि सारी उठापटक वसूली के लिए चल रही थी। एक को निपटाओं बाकी को चमकाओ और फिर वसूली कर लो। यही कहानी अवैध कब्जों को हटाने की भी है। अमले ने कब्जे उन जगहों के हटाए,जो फायदे के थे। कुछ सालों पहले वर्दी वालों के एक मुखिया ने भी शहर में अतिक्रमण मुहिम चलाई थी। बाद में पता चला था कि मुहिम की आड में करोडों के खेल हो गए थे। इस बार भी यही कुछ होता दिखाई दे रहा है। माफिया के खिलाफ कार्यवाही के एलान हो रहे हैं,लेकिन काम के नाम पर सिर्फ दिखावा है।

नागरिकता-समर्थन और विरोध

देश में जगह जगह नागरिकता कानून को लेकर चल रही उठापटक को देख देख कर आखिरकार रतलामी बाशिन्दों को भी जोश आना तय था। जोश आया भी,लेकिन धारा 144  ने जुलूस का रास्ता रोक दिया। नागरिकता कानून की खिलाफत करने वालों ने इसके लिए नया रास्ता निकाला। जुलूस की इजाजत लेने के लिए काजी हाउस के भीतर तिरंगा लगाकर सत्याग्रह शुरु कर दिया गया। प्रशासनिक अमले को जैसे ही खबर मिली,अफसर हरकत में आए और अगले ही दिन सत्याग्रहियों को वहीं पर ज्ञापन देने की इजाजत दे दी गई। इधर ज्ञापन की इजाजत मिलने की खबर आई,तो अब नागरिकता कानून के समर्थकों ने भी तैयारी कर ली। वे भी अब इसी फार्मूले से प्रशासन को ज्ञापन देंगे। देखना यह है कि खिलाफत करने वालों को इजाजत दे चुका प्रशासन समर्थन करने वालों को इजाजत देगा या नहीं?

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