नितिन सिन्हा की कलम से
कोरबा..मौका था जब कोरबा जिले के शहीद इंस्पेक्टर मूलचंद कवर का कल जन्म दिवस मनाया जा रहा था। इस अवसर पर शहीद मूलचंद कवर के परिजन शहीद के गृह गांव में स्थापित उनकी प्रतिमा को साफ-सुथरा कर उन्हें माल्यार्पण करने पहुंचे। लेकिन वहां जो हुआ उसे देखने वाली हर आंखें नम हो गई। बड़ी संख्या में ग्रामीण शहीद मूलचंद कवर की मासूम बच्ची के सांथ शहीद की स्थापित मूर्ति के पास पहुचे थे। मूर्ति को देखते ही नन्ही सी बच्ची ने बड़ी मासूमियत से अपने शहीद पापा की प्रतिमा को फूल चढ़ाकर मिठाई खिलाई और मासूम बच्ची ने अपने पापा की मूर्ति से कुछ इस तरह दुलार किया कि उसका वर्णन शब्दो मे।किया जाना सम्भव नही रहा।मासूम ने अनभिज्ञता से शहीद की मूर्ति को ही अपना जीवित पिता मानकर उसके गले मे नन्ही बांहे डालकर बड़े प्यार से मूर्ति के गाल चुम लिए। हो सकता है मासूम की अभिलाषा व्यक्त करती यह तस्वीर आपको व्यथित कर सकती है। परन्तु मासूम के भाव क्रिया को देखकर वहां मौजूद हर शख्स की आत्मा कराह उठी।। वहां उपस्थित सभी लोगो को बस्तर के अबूझमाड़ में शहीद हुए मूलचंद कंवर की यादें ताजा हो गई। हर शख्स का सर शहीद इंस्पेक्टर मूलचंद को सलाम करने के श्रद्धा भाव से झुक गया। मासूम को उसके परिजनों ने स्नेह से अपनी गोद मे उठा लिया।
गौरतलब हो कि शहीद सब इंस्पेक्टर मूलचन्द कंवर कोरबा जिले के घानाडबरी गांव के निवासी थे । गणित में स्नातक की उपाधि लेकर पुलिस में बतौर सब इंस्पेक्टर भर्ती हुए । उनकी पहली पोस्टिंग धुर नक्सल प्रभाव वाले इलाके नारायणपुर जिले में हुई थी।
कई मौकों पर इन्होंने अपने शौर्य का प्रदर्शन किया और नक्सलियों को धूल चटाई
पर कुदरत के कानून के आगे किसकी चलती है भला । 24 जनवरी 2018 को ओरछा क्षेत्र में नक्सलियों को खदेड़ने के दौरान इन्हें गोली लगी थी और ये शहीद हो गए थे।