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  1. रतलाम/आपराधिक तत्वों के विरुद्ध कलेक्टर बाथम की बड़ी कार्रवाई,एक साथ 33 आरोपी जिला बदर
  2. अष्टप्रहरी अखंडकीर्तन महायज्ञ गरियादोहर में शामिल हुई विधायक गोमती साय,,,,, राम का नाम ही सुख शांति प्रदान करता है - गोमती साय
  3. जिला भाजपा कार्यालय में आयोजित हुआ भाजपा का महत्वपूर्ण प्रेसवार्ता : पूर्व प्रदेश महामंत्री कृष्ण कुमार राय सहित जशपुर विधायक ने लोकसभा चुनाव के लिए जारी भाजपा के संकल्प पत्र पर प्रकाश डालते हुवे मोदी की गारंटी पूरा करने का बात कहा
  4. रामनवमी पर्व: धूमधाम से निकला रामनवमी का जुलूस जय श्रीराम के उद्घोष से राममय माहौल
  5. उप निदेशक एलिफेंट सरगुजा के निर्देश पर नारायणपुर गेम रेंजर बुधेश्वर साय पहुंचे घटना स्थल पर : जानवर का लोकेशन पता करने ट्रैक कैमरा लगाने उप निदेशक ने दिया निर्देश,वहीं जशपुर डीएफओ ने कहा मवेशी की मौत प्रथम दृष्टया किसी खतरनाक जानवर के हमले से
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पूर्वोत्तर की हिंसक घटनाएँ समाचार पत्रों की सुर्ख़ियाँ बनीं,आर्थिक विफलताएँ महँगाई महिला सुरक्षा जैसे मुद्दे हासिये पर होंगे..,

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नितिन राजीव सिन्हा

नगरिकता संशोधन बिल के मूल तथ्य इतनी जल्दी आम जन तक पहुँच गये ?लोग ड्राफ़्ट पढ़ भी लिये और हिंसा पर उतारु भी हो गये हिंसा की व्यापकता का संज्ञान समय से पूर्व ले लिया गया सेना की टुकड़ियाँ पूर्वोत्तर पहुँचा दी गई इंटरनेट सेवाएँ सरकार ने बाधित कर दी,सब सुरक्षा मानकों को सुनिश्चत पहले किया गया ताकि हिंसक लोगों को नियंत्रित किया जाये,उक्त समूचा घटनाक्रम आश्चर्यजनक है..,

झारखंड चुनाव के ठीक पहले के इस क़वायद ने भौचक कर दिया चुनाव के भाषणों की स्क्रिप्ट बदल गई मोदी सरकार की विफलता,रघुवर सरकार के घोर भ्रष्टाचार पर हो रही चर्चाएँ थम गई..,

ऐन चुनाव के समय राष्ट्र का अराजक हो जाना या पुलवामा का हो जाना महत्वपूर्ण मुद्दा हो सकता है इस पर राष्ट्र को मंथन करना चाहिये और राजनीतिक लाभ हानि के गणित को समझ कर सुझबुझ से निर्णय लेना चाहिये आज से पाँच साल पहले लगता था कि लोकतंत्र परिपक्व हुआ है अब,लगता है के इसका पुनर्जन्म हुआ है अभी शैशव काल का आरंभ हुआ है..,

आशा के केंद्र में पुनः ५६” का सीना है भूख की लूट तब होती है जब भय प्रबल होता है यह वह दौर है जबकि हिंसा की जद में देश तब पहुँच गया है जबकि उस क़ानून के तथ्य पढ़े लिखे वकीलों तक भी नहीं पहुँच सके हैं और कौवा कान ले गया वाली दशा विद्यमान हुई है असम में तीन मौतें हुई हैं जनजीवन असमान्य हुआ है..,

दिनकर ने अहिंसा के पुजारी गांधी की दशा पर वर्षों पहले लिखा था वह परिदृश्य अब भी प्रासंगिक बना हुआ है के,

तू चला तो 

लोग चौंक

पड़े’तूफ़ान 

उठा या आँधी

है?’ईसा की 

बोली रूह 

अरे,यह तो

बेचारा गाँधी है..,

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