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रमन सिंह के ज़ेहन में अफ़ीम है,किसान को देश में सबसे ज़्यादा दाम देने वाली भूपेश सरकार पर तोहमत लगा रहे हैं या अफ़ीम की जद में ग़म कम कर रहे हैं..,

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नितिन राजीव सिन्हा

छत्तीसगढ़ ऐसा राज्य है जहाँ की कांग्रेस सरकार @२५००/- प्रति क्विंटल की दर पर धान ख़रीद रही है वह भी केंद्र सरकार के तमाम विघ्न बाधाओं के बावजूद,राजनीति से परे जाकर विचार किया जाये तो भूपेश सरकार की हौसला अफ़्जाई होनी चाहिये पर,रमन सिंह का अधिकृत बयान चौंकाने वाला है कि नये नये नियमों से किसान परेशान हैं,उन्हें अपराध बोध हो रहा है के उन्होंने धान नहीं बल्कि अफ़ीम की खेती की है..,

अब प्रश्न तो यह है कि अपराध बोध किसान को हो रहा है या आत्मग्लानि स्वयं रमन सिंह को हो रही है यदि सत्ता में रहते हुए किसान की पीड़ा महसूस कर लेते तो शायद सत्ता से दूर न हुए होते..,

तस्कर क़रीब हज़ार रुपये कम दर पर सीमाई राज्यों से धान ख़रीद कर छत्तीसगढ़ में डम्प करते रहे हैं समितियों में किसानों की ऋण पुस्तिका में खपाते हैं इस तरह वे,शासन को अरबों रूपयों का नुक़सान लगातार पहुँचाते रहे है इन तस्करों पर भूपेश सरकार ने छापामार कार्यवाही की है नियम जो भी बन रहे हैं वह तस्करों को हतोत्साहित करने वाले बन रहे हैं पर,पीड़ा रमन सिंह को हो रही है स्थिति स्पष्ट होनी चाहिये कि बीजेपी धान कोचियों/तस्करों की आवाज़ उठा रही है या किसानों की..,

भाजपा के तरकश से निकले हुए तीर जो किसान पुत्र भूपेश पर छोड़े गये हैं पर फ़ानी बदायूनी की शायरी प्रदेश के किसानों के हक़ की बात करती हुई दिखाई पड़ती है के,-

मौजों की सियासत

से मायूस न हो फ़ानी

गिर्द आब की हर तह

में साहिल नज़र आता है..,रमन सिंह के

ज़ेहन में अफ़ीम

है,किसान को देश

में सबसे ज़्यादा दाम

देने वाली भूपेश सरकार

पर तोहमत लगा रहे हैं 

या अफ़ीम की जद में

ग़म कम कर रहे हैं..,

छत्तीसगढ़ ऐसा राज्य है जहाँ की कांग्रेस सरकार @२५००/- प्रति क्विंटल की दर पर धान ख़रीद रही है वह भी केंद्र सरकार के तमाम विघ्न बाधाओं के बावजूद,राजनीति से परे जाकर विचार किया जाये तो भूपेश सरकार की हौसला अफ़्जाई होनी चाहिये पर,रमन सिंह का अधिकृत बयान चौंकाने वाला है कि नये नये नियमों से किसान परेशान हैं,उन्हें अपराध बोध हो रहा है के उन्होंने धान नहीं बल्कि अफ़ीम की खेती की है..,

अब प्रश्न तो यह है कि अपराध बोध किसान को हो रहा है या आत्मग्लानि स्वयं रमन सिंह को हो रही है यदि सत्ता में रहते हुए किसान की पीड़ा महसूस कर लेते तो शायद सत्ता से दूर न हुए होते..,

तस्कर क़रीब हज़ार रुपये कम दर पर सीमाई राज्यों से धान ख़रीद कर छत्तीसगढ़ में डम्प करते रहे हैं समितियों में किसानों की ऋण पुस्तिका में खपाते हैं इस तरह वे,शासन को अरबों रूपयों का नुक़सान लगातार पहुँचाते रहे है इन तस्करों पर भूपेश सरकार ने छापामार कार्यवाही की है नियम जो भी बन रहे हैं वह तस्करों को हतोत्साहित करने वाले बन रहे हैं पर,पीड़ा रमन सिंह को हो रही है स्थिति स्पष्ट होनी चाहिये कि बीजेपी धान कोचियों/तस्करों की आवाज़ उठा रही है या किसानों की..,

भाजपा के तरकश से निकले हुए तीर जो किसान पुत्र भूपेश पर छोड़े गये हैं पर फ़ानी बदायूनी की शायरी प्रदेश के किसानों के हक़ की बात करती हुई दिखाई पड़ती है के,-

मौजों की सियासत

से मायूस न हो फ़ानी

गिर्द आब की हर तह

में साहिल नज़र आता है..,

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