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जिसने खोलें उदारीकरण के दरवाज़े.... जयंती/ पी• वी• नरसिम्हाराव

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"कुलदीप कुमार 'निष्पक्ष'"

पामुलपति वेंकट नरसिम्हाराव का जन्म 28 जून 1921 को करीमनगर हैदराबाद में हुआ था। प्रधानमंत्री बनने से पहले यह आँध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री समेत कई महत्वपूर्ण पदों एवं केंद्रीय कैबिनेट मंत्री रख चुकें थें। खाड़ी युद्ध के समय इनकी विदेश नीति भी काफी प्रशंसनीय था। जब यह प्रधानमंत्री बने उस समय भारत की आर्थिक स्थिति इतनी ख़राब थी की बाज़ारों को लौटने के लिए डॉलर तक नहीं थे। इसके साथ ही भारत के पास मात्र 7 दिन के पेट्रोलियम आयत के लिये पैसा था।मतलब साफ़ था की हफ्ते भर बाद देश में पेट्रोलियम उत्पादों का आयत नहीं हो सकता था। इस हालत में देश में पेट्रोल, डीजल मिलना मुश्किल हो जाता, घरों में गैस सिलिंडरों की सप्लाई रुक जाती साथ ही भारत की गिनती उन दिवालिया राष्ट्रों में होने लगती जो पैसा न चूका पाने की स्थिति में थे।

इस विकट दौर में नरसिम्हा राव जी ने डा• मनमोहन सिंह को आगे कर के बाज़ार में ऐसे आर्थिक सुधार किये जिससे भारत आर्थिक शक्ति के रूप में उभरा। बहुदा लोग इसे मनमोहन सिंह की देन मानते है लेकिन ऐसा नहीं है। मनमोहन सिंह ने भी 10 वर्षों तक शासन किये लेकिन वह कोई खास उपलब्धि हासिल नहीं कर सकें थे। नरसिम्हा राव जी को कई बातों के लिए जाना जाता है जिनमें मुख्य है- लाइसेंस राज की समाप्ति, आर्थिक सुधार, भ्रस्टाचार, अयोध्या, हर्षद मेहता कांड, हवाला कांड और सांसदों की खरीद-फरोख्त। मेरे नज़र से नरसिम्हा राव जी भारत के सबसे श्रेष्ठ प्रधानमंत्री थे। उनके कार्यकाल में गांधी-नेहरू परिवार का कोई सदस्य पार्टी में सक्रिय नहीं था। फिर भी कांग्रेस कई खेमों में बंटी थी। चिदम्बरम, शिंदे और अर्जुन सिंह। यह लोग हमेशा नरसिम्हा राव जी की राह में अड़चने लाते रहें लेकिन नरसिम्हा राव की कूटनीति के आगे इनकी एक न चली। नरसिम्हा राव जी पहले ऐसे प्रधानमंत्री थे जिन पर घुस लेने का आरोप सार्वजानिक मंच से लगा और वह व्यक्ति था आर्थिक घोटालों का मास्टर माइंड हर्षद मेहता। नरसिम्हा राव जी की विपक्ष के मंत्रियों से भी बहुत अच्छे सम्बंध थे। भारत ने परमाणु बम नरसिम्हा राव जी के कार्य काल में ही बना लिया था लेकिन आर्थिक प्रतिबंधों के डर के कारण उसका परिक्षण नहीं किया गया था। नरसिम्हा राव के अंतिम 3 वर्षों का कार्यकाल उनके ऊपर आरोप लगने में ही निकल गये। उनके ऊपर घुस लेने से लेकर सांसदों की खरीद का भी आरोप लगा लेकिन राजनीति के पंडित ने हवाला कांड की फाइलों को खोल कर सभी कांडों से लोगों का ध्यान हटा दिया। लेकिन यहाँ एक बात गौर करनी होगी नरसिम्हा राव जी पर जीतने भी आरोप लगे उनमे से कोई भी सिद्ध नहीं हो पाया है आज तक। इसके अलावा अयोध्या की घटना के लिये भी उन्हें दोषी माना जाता है लेकिन बीबीसी को दिये अपने एक साक्षात्कार में उन्होंने खुद स्वीकार किया था कि वह कल्याण सिंह की राजनीति में फंस से गयें थे। लेकिन इस एक घटना के आधार पर उनका मूल्यांकन गलत होगा। नरसिम्हा राव जी के योगदान को हम भुला नहीं सकते जब देश के सोने को विदेशों में गिरवी तक रखने की नौबत आ गयीं थी और उस दौर से नरसिम्हा राव ने देश को निकाला। स्कूलों में मध्याह्न भोजन परियोजना का श्रेय भी नरसिम्हा राव जी को ही जाता है। नरसिम्हा राव जी 18 भाषाओँ के विद्वान थे। तथा संगीत, सिनेमा एवं नाटकशाला में भी रुचि रखते थे। भारतीय दर्शन एवं संस्कृति, कथा साहित्य एवं राजनीतिक टिप्पणी लिखने, भाषाएँ सीखने, तेलुगू एवं हिंदी में कविताएं लिखने एवं साहित्य में उनकी विशेष रुचि थी। उन्होंने कई महत्वपूर्ण किताबों का एक भाषा से दूसरी भाषा में भी अनुवाद किया।

आर्थिक शक्ति संपन्न भारत की नींव रखने वालें नरसिम्हाराव को उनकी जयंती पर कृतज्ञ राष्ट्र की भावभीनी श्रद्धांजलि...

बृजेश सिंह कौशिक के फेसबुक वॉल से

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