नितिन राजीव सिन्हा
छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने पूर्व मुख्य मंत्री रमन सिंह,उनके सुपुत्र पनामा बाँय अभिषेक सिंह,पत्नी उर्फ़ सीएम मैडम श्रीमती वीना सिंह,बहू ऐश्वर्या और बिटिया अस्मिता गुप्ता की सुरक्षा में कटौती की है यह स्वागत योग्य है क्योंकि नक्सल प्रभावित राज्य को मौज मस्ती के दौर में पहुँचाने वाले रमन सिंह परिवार के सुरक्षा के मायने गौण हैं..,
पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक सुपर काप केपीएस गिल जो कि छत्तीसगढ़ के नक्सल मोर्चे पर रमन सिंह के पहले कार्यकाल में बतौर सलाहकार अपनी सेवाएँ दे रहे थे उनका कहना था कि तब जो योजना उन्होंने नक्सल उन्मूलन के लिये बनाई थी उस पर जब चर्चा करने वे,रमन सिंह से मुख़ातिब हुए तब उनकी सिफ़ारिशों को रद्दी की टोकरी मे फेंकते हुए कहा गया आप काम न करो,वेतन लो और मौज करो..,
२५ मई २०१३ को उच्च सुरक्षा प्राप्त कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा जब झीरम घाटी में प्रायोजित हमले का शिकार हुई जिसे नक्सल हमला बताने के तत्कालीन रमन सरकार के प्रयास होते रहे इसमें कांग्रेस के तब के तमाम बड़े नेता मार दिये गये हमले के बाद रमन सिंह की उदासीन सी प्रतिक्रिया बतौर सलाह आई कि यह सुरक्षा में चूक का मामला है,इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिये..,
ऐसे उद्दंड राजनीति के सरोकार जिसने आम लोगों के जानमाल से जुड़े हुए मसलों को दरकिनार कर राजयोग भोगा हो जबकि उस राज्य मे BJP के १५ सालों की सत्ता में क़रीब १५००० निर्दोष जानें सशस्त्र रक्त क्रांति की भेंट चढ़ गई तो यह तर्क जायज़ है के रमन परिवार की सुरक्षा की समीक्षा हो और जनता के ख़ून पसीने की कमाई बेवजह जाया न हो..,रमन सिंह के मौज के दिनों पर लिखना होगा कि-
उनकी बातों से
छलकती है
मय की मस्ती
पर,लोग समझ
रहे है कि आवाम
मौज में है..,
छत्तीसगढ़ के नक्सल उन्मूलन सलाहकार रहे हैं