Updates
  1. ईब नदी व्यपवर्तन योजना से लाभान्वित हो रहे किसान,8 ग्राम के लोगों को हो रहा सब्जी और धान की खेती करने में फायदा,जल संसाधन विभाग का दावा गर्मी में भी ईब नदी व्यपवर्तन योजना से 365.80 हेक्टेयर में हो रहा फसल का उत्पादन
  2. सुरजपुर भुरानीडांड से जशपुर दुलदुला लौट रही बाराती स्कार्पियो साहीडांड के पास महुआ पेड़ जा टकराई,,,सभी घायल
  3. रतलाम/आपराधिक तत्वों के विरुद्ध कलेक्टर बाथम की बड़ी कार्रवाई,एक साथ 33 आरोपी जिला बदर
  4. अष्टप्रहरी अखंडकीर्तन महायज्ञ गरियादोहर में शामिल हुई विधायक गोमती साय,,,,, राम का नाम ही सुख शांति प्रदान करता है - गोमती साय
  5. जिला भाजपा कार्यालय में आयोजित हुआ भाजपा का महत्वपूर्ण प्रेसवार्ता : पूर्व प्रदेश महामंत्री कृष्ण कुमार राय सहित जशपुर विधायक ने लोकसभा चुनाव के लिए जारी भाजपा के संकल्प पत्र पर प्रकाश डालते हुवे मोदी की गारंटी पूरा करने का बात कहा
slider
slider

सरकेगुड़ा काण्ड-आदिवासियों के परंपराओं पर की गई चोट थी,ग्रामीण बीज पाँडूम पर्व मनाने एकत्र हुए थे और उन्हें नक्सली मान कर गोलियाँ बरसाईं गई थी..,

news-details

 

आदिवासियों में परम्परा है कि वे फ़सल बुवाई से पहले बीज पाण्डुम पर्व पर उत्सव मनाते हैं एक जगह जमा होते हैं देर रात तक उत्साह का माहौल उन गाँवों में होता है जहाँ ऐसे आयोजन होते हैं वहाँ बच्चे बूढ़े जवान सभी एकत्र होते हैं इसलिए १७ मृतकों में सात नाबालिग़ थे “२८ जून २०१२ को सरकेगुडा के ग्रामीण किसी संवैधानिक सरकार की नियोजित हत्या काण्ड के शिकार हुए” लिखना होगा कि यह उस सरकार की आदिवासी जन जीवन को दी जाने वाली जान माल की सुरक्षा की अवहेलना थी,सरकार की गंभीर विफलता थी..,

आज छत्तीसगढ़ के सदन में उक्त रिपोर्ट रखी जा सकती है जिसमें ग्रामीणों की हत्या में शामिल तत्कालीन सरकार के मुँह पर से नक़ाब उतरेगा भाजपा शासित तत्कालीन सत्ता को जवाब देना होगा कि जो हुआ वह क्यों हुआ और इसके निहितार्थ क्या थे क्या ग्रामीणों को बस्तर से बे दख़ल करने के कारपोरेट चिंतकों के हित साधे जाने हेतु यह सब किया जा रहा था ..?

तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष स्व.नंद कुमार पटेल ने २४ मई २०१३ को बस्तर के अपने अंतिम प्रेस कॉन्फ़्रेन्स में इस घटना के पीछे रमन सरकार की विफलता पर प्रश्न खड़े किये थे,उन्होंने इसके माओवादी मुठभेड़ होने की संभावनाओं को सिरे से ख़ारिज किया था..,”जाँच के निष्कर्ष स्व पटेल की चिंताओं की पुष्टि करते हैं..,”

भाजपा की सरकारों ने किस तरह से आदिवासियों को gun point पर रख कर उनके संसाधनों तक कारपोरेट की पहुँच बनाई है वहीं वास्तविक माओवादियों को किनारे करके ग्रामीणों पर ज़ुल्म ढाये हैं जाँच कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद इन तथ्यों  ख़ुलासा हुआ है जाँच हाईकोर्ट के सेवा निवृत न्यायधीश वी के अग्रवाल की अध्यक्षता की कमेटी ने की थी..,

रिपोर्ट के निष्कर्ष हैं कि “सुरक्षा बल ने आत्मरक्षा में गोली नहीं चलाई थी..,”यह जाँच का ख़ुलासा है या तत्कालीन रमन सरकार का चाल,चरित्र और चेहरा..!!मसलन इस रिपोर्ट ने लोगों की नींदें उड़ा दी है,जिस पर गुलज़ार का लिखा हुआ प्रासंगिक बन पड़ता है-

एक ही करवट

ने सारी रात

जगाया है

मैंने हर करवट

सोने की 

कोशिश की..,

whatsapp group
Related news