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मोदी का गांधी दर्शन बनाम मराठी मानुष- बाला साहेब ने १९७० में कार्टून बनाया था,अर्ध नंगे का नाड़ा खींचकर चरख़ा चलाया था,वह कार्टून अब प्रासंगिक बन पड़ा है भाजपाईयों का नाड़ा जनता ने थामा हुआ है..,

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नितिन राजीव सिन्हा

मोदी का चरख़ा प्रेम जग ज़ाहिर है वो चरखे में गांधी को बुनते हैं पर,महाराष्ट्र में उनके इज़्ज़त की डोर जनता जनार्दन ने थामी हुई है सामने चरख़ा है पीछे इज़्ज़त दाँव पर है..,

भाजपा की राजनीतिक विरासत की लुटिया इन दिनों डूबती हुई दिख रही है महाराष्ट्र में जो भी घटित हुआ उसने बता दिया है कि सॉफ़्ट हिंदुत्व की ओर कांग्रेस बढ़ चुकी है और हिंदुत्व की उग्रता का त्याग शिवसेना कर चुकी है..,

बाला साहेब ठाकरे का १९७० में बनाया हुआ एक कार्टून कहता है वक़्त आगे बढ़ चुका है पर,राजनीति की धुरी इस कार्टून के इर्द गिर्द ही अब भी सिमटी हुई है ध्यान रहे अमित शाह झारखंड के चतरा में चुनावी सभा में कहते हैं कि मैं बनिया हूँ मुझे हिसाब लगाना आता है लेकिन महाराष्ट्र में हिसाब लगाते लगाते उनके और मोदी दर्शन के कपड़े उतर गये अब,नाड़ा बचा है जिसे मराठी मानुष के हाथो से छुड़ाने की मशक़्क़त में लगता है मोटा भाईयों की बची खुची ज़िंदगी यूँ ही निकल जायेगी..,

विश्व गुरु बनने का दावा करने वाले इन दिनों गुरु घंटाल की भूमिका में नज़र आ रहे हैं महाराष्ट्र,कर्नाटक में जो हुआ वह किस गुरु के कहने से हुआ..? प्रश्न यह है कि बिना पढ़े बिना कुछ गढ़े कोई गुरु बनता है ध्यान रहे गुरु कभी छल नहीं करता वह झूठ नहीं बोलता सत्ता को पाँव की धूली समझता है वह लोभ नहीं करता..,

यदि हमारे मसीहा मोदी इस कसौटी पर खरे उतरते हों,तो ठीक है अन्यथा नाड़ा जनता के हाथ में है जाने कब वह कमर से उतरकर गले में घंटी के साथ टाँग दिया जाये जिस पर लिखना होगा कि-

उम्र भर की

ख़्वाहिशें थी

कोई नाड़ा

अपना होता

दी थी चड्डी

संघ ने उसमें

ढकी हुई इज़्ज़त

का कोई सहारा

होता..,की थी

मोहब्बत वह

सरे राह नीलाम

हुई सत्ता सुंदरी

थी उसके इश्क़

मे बे आबरू

हुए..,थी जो थोड़ी

इज़्ज़त वह आशिकी

में नीलाम हुई मुहब्बत

के नाम पर हादसों

से जो मुलाक़ात हुई..!!!

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