Updates
  1. महिला से फोन-पे के माध्यम से जबरन रकम ट्रांसफर कराने, मोबाईल लूटने व छेड़छाड़ करने वाले आरोपी को पुलिस ने किया गिरफ्तार।
  2. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सुरक्षा व्यवस्था में व्यवधान उत्पन्न करने वालों के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज करने एसडीएम ने थाना प्रभारी को दिया निर्देश : आचार संहिता का उल्लंघन करने सहित सक्षम अधिकारी से अनुमति प्राप्त किए बगैर धरना प्रदर्शन और नारेबाजी करने मामले में भी कार्यवाही के निर्देश
  3. स्वयं सहायता समूह की महिलाओ ने निकाली मतदाता जागरूकता रैली:लोगों को मतदान के प्रति किया जागरूक, स्लोगन के माध्यम से ग्रामीणों को वोट का बताया महत्व
  4. मनोनयन/अखिल भारत हिन्दू महासभा ने योगेश मराठा को बनाया इंदौर जिला अध्यक्ष
  5. भाजपा के दिग्गज नेताओं को होगा, जिला मुख्यालय मे एक दिवसीय आगमन, क्षेत्रीय संगठन मंत्री कार्यकर्ताओ से होंगे रूबरू, लोकसभा चुनाव की रणनीति पर होगी चर्चा,
slider
slider

संकल्प सोच समझकर करें, यदि करें तो उसे पूरा अवश्य करें - स्वामी श्री राधामोहन शरण देवाचार्य जी

news-details

प्रांजल शुक्ला

पुरानी बस्ती स्थित श्री महामाया देवी मंदिर रायपुर में आयोजित श्रीमद्भागवत् सप्ताह ज्ञान महायज्ञ के आठवें एवं अंतिम दिन कथा प्रवक्ता परमपूज्य श्री जगद्गुरू निम्बार्काचार्य पीठाधिश्वर स्वंभूराम द्वाराचार्य श्री राधामोहन शरण देवाचार्य जी महराज (श्री राधा सर्वेश्वर संस्थान, श्री गिर्राज अन्नक्षेत्र, मथुरा) ने व्यासपीठ से कहा कि कोई भी संकल्प सोच-समझकर विचार कर लेना चाहिए. एक बार संकल्प लेने के बाद इसकी पूर्ति किसी भी स्थिति में करना चाहिए. मनुष्य काे जीवन में आत्मविश्वास की दृढ़ता बनाए रखना चाहिए. मनुष्य को सोच-समझकर बोलना चाहिए. बोलने व लिखने से पहले चिंतन करना चाहिए क्या लिखने जा रहे हैं उसे समझ लें और क्या बोलने जा रहे हैं उसके विषय में सोच लें, तभी जाकर कुछ भी बोले व लिखें ऐसे में कुछ सोच समझकर ही बोले इसी में समझदारी है.

आज प्रभु कृष्ण के 16 हजार शादियां के प्रसंग के साथ, सुदामा प्रसंग और परीक्षित मोक्ष की कथायें सुनाई इन कथाओं को सुनकर  कथा समापन के दौरान महाराज ने भक्तों को भागवत को अपने जीवन में उतारने की बात कही जिससे सभी लोग धर्म की ओर अग्रसर हो. कथा के अंतिम दिन सुदामा चरित्र के माध्यम से भक्तों के सामने दोस्ती की मिसाल पेश की और समाज में समानता का संदेश दिया। आधुनिक युग में स्वार्थ के लिए लोग एक दूसरे के साथ मित्रता करते हैं और काम निकल जाने पर लोग एक दूसरे को भूल जाते हैं। जीवन में प्रत्येक प्राणी को परमात्मा से एक रिश्ता जरूर बनाना चाहिए। भगवान से बनाया गया वह रिश्ता जीव को मोक्ष की ओर ले जाएगा जिसके फलस्वरूप कृष्ण ने भी सुदामा को परम पद प्रदान किया. विपरीत परिस्थितियों में अपने सखा कृष्ण का चिंतन और स्मरण नहीं छोड़ा. सुदामा चरित्र के माध्यम से लोगों को निःस्वार्थ भाव से मित्रता निभाने का संदेश दिया गया.

आज श्रीमद्भागवत् ज्ञानयज्ञ के अंतिम दिन स्वामी श्री राधामोहन शरण देवाचार्य जी द्वारा भगवान कृष्ण और रुक्मिणी के विवाह की कथा के अंतर्गत कथा सुनाते हुये कहा की भगवान कृष्ण और रुक्मिणी के पुत्र हुआ जिसका नाम प्रद्युम्न रखा गया. इसके बाद स्यमंतक मणि उषा और अनिरुद्ध के विवाह आदि प्रसंग का वर्णन किया गया.

भगवान के गृहस्थ जीवन के दृष्टान्त की जानकारी देते हुये महराज श्री ने आगे राजा नृग उद्धार, पौड्रक वासुदेव उद्धार, बलराम जी द्वारा दुविध वानर वध श्रीकृष्ण सहित अर्जुन और भीम द्वारा जरासंध वध,  20800 राजाओं को जरासंध की कैद से मुक्ति, शिशुपाल का वध किया है, दंतवक्र और विदुरथ उद्धार का सविस्तार वर्णन करते हुये बलराम जी की तीर्थ यात्रा का विवरण, भगवान कृष्ण गोप और गोपियों का कुरुक्षेत्र में मिलन, कंस द्वारा मारे गये देवकी और वसुदेव के पुत्रों को लौटाना,  सुभद्रा अर्जुन विवाह की कथा सुनाई. कथा के अंत में बाद महराज श्री ने कथा के माध्यम से कहा की भगवान इहलोक त्यागकर बैकुंठ लोक को गए और एक रूप से भगवान श्रीमद भागवत पुराण में विराजमान हुए हैं.

श्री महराज जी ने कहा कि श्रीमद् भागवत संपूर्ण सिद्धांतों का निष्कर्ष है. भागवत कथा को सुनने से जन्म-मृत्यु के भय का नाश होता है. यह ग्रंथ भक्ति के प्रवाह को बढ़ाता है. यही नहीं भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने का यह प्रधान साधन है. मन की शुद्धि के लिए श्रीमद् भागवत से बढ़कर कोई साधन नहीं है. भक्ति, ज्ञान, वैराग्य तथा से त्याग की प्राप्ति होती.

भगवान कृष्ण की लोक मानस को गौ पालन की प्रेरणा के संदेश के परिभाषित करते हुए उन्होंने कहा कि गौ दुग्ध, दही, मक्खन शरीर बुद्धि को पुष्ट करते हैं, जिसके बल पर ही भगवान श्रीकृष्ण शत्रुओं का संहार करने में सफल रहे।.

साथ ही भक्तो को बताया कि श्रीमद् भागवत कथा का सात दिनों तक श्रवण करने से जीव का उद्धार हो जाता है तो वहीं इसे कराने वाले भी पुण्य के भागी होते है.

आयोजन प्रतिनिधि डा.भावेश शुक्ला "पराशर" ने जानकारी दी की श्रीमद्भागवत्, हवन पूर्णाहूति के पश्चात भंडारा प्रसादी का वितरण किया गया जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु सम्मिलित हुये.

सुदर्शन शरण महराज के मार्गदर्शन एवं राधा सर्वेश्वर संस्थान समूह एवं भक्तगण द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत् ज्ञानयज्ञ के मुख्य यजमान बसंत शशि किरण मिश्रा सहित सह यजमान रीना शिवशंकर सिंह, किरण अखिलेश भट्ट, नलिनी सुरेश अवस्थी,  सीमा अनिल शर्मा, मीना अशोक कुमार पांडेय, लता रामशरण मिश्रा आरती मनीष टांक विद्या ठाकुर थे.

छत्तीसगढ़ के रायपुर में प्रथम बार हुये इस आयोजन में अनूप तिवारी, रविशंकर दुबे, हितेश दीवान, गोवर्धन झा, कृष्ण कुमार पांडे, मानक लाल पांडेय,  रविशंकर अग्रवाल, रामयश यादव, रमेश अग्रवाल, अश्वनी बानी, जयशंकर तिवारी, विपिन मिश्रा, श्रवण शर्मा, कुलदीप शर्मा, सुनील नायक, गौरव शर्मा, प्रांजल शुक्ला, कृष्णा झा आदि का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ.

whatsapp group
Related news