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दूसरों को सुखी रखने की इच्छा ही लीला - स्वामी श्री राधामोहन शरण देवाचार्य जी

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प्रांजल शुक्ला

राजा मोरध्वज द्वारा स्थापित श्री महामाया देवी मंदिर रायपुर में श्रीमद्भागवत् सप्ताह ज्ञान महायज्ञ के पांचवें दिन परमपूज्य श्री जगद्गुरू निम्बार्काचार्य पीठाधिश्वर स्वंभूराम द्वाराचार्य "श्री राधामोहन शरण" देवाचार्य जी महराज (श्री राधा सर्वेश्वर संस्थान, श्री गिर्राज अन्नश्रेत्र, मथुरा) ने आज भक्त प्रहलाद एवं भगवान नर्सिह चरित्र का वर्णन करते हुये बताया की  जब हिरणकश्यपु वध के   पश्चात भक्त प्रहलाद की स्नेहिल भक्ति से प्रसन्न होकर नर्सिह ने कुछ मांगने को कहा तो प्रहलाद ने कामना रहित हृदय का आशीर्वाद प्राप्त किया. कामना रहित भक्ति ही जीव को परमात्मा का साक्षात्कार करा सकती है. क्योंकि ईश्वर ने सबकुछ देकर ही यहां मनुष्य को भेजा है. जब तक जीवन में कामना रहेगी तब तक वासना रहेगी और जब तक वासना रहेगी तब तक भगवान नहीं मिलते.*

ध्रुव और प्रहलाद ईश्वर के प्रति अटल विश्वास और भक्ति व सत्य की प्रतिमूर्ति हैं. वे दोनों माया-मोह को छोड़कर एक ही आधार भगवान विष्णु को अपना आराध्य मानने वाले हैं. वे हरि के सच्चे भक्त हैं। प्रभु की भक्ति करनी है तो इन दोनों के जीवन चरित्र से प्रेरणा लेनी चाहिए.*

व्यासपीठ से चारों युगों के आयु की व्याख्या करते हुये स्वामी श्री राधामोहन शरण देवाचार्य जी ने कहा कि सतयुग की अवधि 17 लाख 28 हजार वर्ष है, त्रेतायुग की अवधि 12 लाख 96 हजार वर्ष होती है, द्वापरयुग की अवधि 8 लाख 64 हजार वर्ष होती है, कलयुग की अवधि 4 लाख 32 हजार वर्ष होती है। चारो युगों की कुल आयु 43 लाख 20 हजार मानव वर्ष होता है जिसे महायुग भी कहते है। "सहस्र-युग अहर-यद ब्रह्मणो विदुः", अर्थात ब्रह्मा का एक दिन एक हजार महायुग होता है। इसके अनुसार ब्रह्मा का एक दिन 4 खरब 32 अरब मानव वर्ष (एक कल्प) है। इतना ही समय ब्रह्मा जी की रात्रि भी है अर्थात ब्रह्मा जी का एक दिन (रातदिन मिलाकर) 8 खरब 64 अरब मानव वर्ष (2 कल्प) होता है।*

आज की कथा में महराज श्री ने त्रेतायुग में सूर्यवंश में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की जीवन कथा का वर्णन करते हुये बताया की सनातन धर्म के अनुसार भगवान विष्णु सर्वपापहारी पवित्र और समस्त मनुष्यों को भोग तथा मोक्ष प्रदान करने वाले प्रमुख देवता हैं.*

जब-जब इस पृथ्वी पर असुर एवं राक्षसों के पापों का आतंक व्याप्त होता है तब-तब भगवान विष्णु किसी न किसी रूप में अवतरित होकर पृथ्वी के भार को कम करते हैं. वैसे तो भगवान विष्णु ने अभी तक तेईस अवतारों को धारण किया. इन अवतारों में उनके सबसे महत्वपूर्ण अवतार श्रीराम और श्रीकृष्ण के ही माने जाते हैं.*

भगवान श्रीकृष्ण जन्म का वर्णन करते हुये महाराज श्री ने कहा कि कन्हैया जैसी लीला मनुष्य क्या कोई अन्य देव नहीं कर सकता. लीला और क्रिया में अंतर होता है, भगवान ने लीला की है। जैसे जिसको कर्तव्य का अभिमान तथा सुखी रहने की इच्छा हो तो वह क्रिया कहलाती है। जिसको न तो कर्तव्य का अभिमान है और न ही सुखी रहने की इच्छा हो बल्कि दूसरों को सुखी रखने की इच्छा को लीला कहते हैं.*

आयोजन संयोजक सुदर्शन शरण महराज जी ने जानकारी दी है की आगामी 25 नवंबर तक चलने वाले श्रीमद्भागवत् को सुनने के लिये छत्तीसगढ़ प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रोतागण उपस्थित हो रहें हैं।*

आयोजन प्रतिनिधि सुरेश अवस्थी एवं डा.भावेश शुक्ला "पराशर" ने जानकारी दी है की विश्व के 142 देशों में संस्कार चैनल द्वारा इस कथा का सीधे प्रसारण प्रतिदिन सायं 4 बजे से 7 बजे तक किया जा रहा है।*

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