छत्तीसगढ़ में विगत १८ सालों में अजीत जोगी और रमन सिंह ने जन आकांक्षाओ को ताक पर रख कर काम किया है परिणाम स्वरूप प्रदेश में किसान और शासकीय कर्मचारी व्यथित रहा है १४०० किसानों ने रमन राज में आत्महत्यायें की हैं वहीं कर्मचारी संगठन लगातार हड़ताल कर रहे है रायपुर के मंत्रालय तक में जहाँ से सरकार चलती है वहाँ ताला बंदी हो गई तो शेष राज्य में प्रशासनिक विफलता की कोई और मिसाल क्या दी जाये..,
कांग्रेस के जारी हुए घोषणा पत्र पर टिप्पणी करने से पहले यह लिखा जाना व्यावहारिक होगा कि किसान के लिये रमन सरकार की नीति और नीयत दोनों ही विध्वंशकारी रहे हैं हाल ये है कि किसान का लागत मूल्य तक नहीं निकल पाता है यह राज्य की नीतियों की विफलता है वहीं कर्मचारियों से किए गये वादे पूरे नहीं किये गये रमन सरकार कुछ चुनिंदा और भ्रष्ट आई॰ए.एस.अधिकारियों के हाथों की कठपुतली बनी हुई है इससे स्थिति अराजक बन पड़ी है किसी सरकार को विफलता के मानक की कसौटी पर परखा जाये तो रमन सिंह दुर्भाग्य पूर्ण तौर पर उसमें खरे उतरेंगे..,
कांग्रेस के जनघोषणा पत्र में किसान को सहारा दिया गया है और वही कहने का साहस किया गया है जो सरकार पूरा कर सकती है किसान की दशा यह है कि उसकी उपज का लागत मूल्य तक नहीं निकल पाता है कांग्रेस के घोषणा पत्र पर समर्थन मूल्य की बात पर अमल हो तो कृषि कर्म की तस्वीर बदलेगी,किसानों की तक़दीर बदलेगी..,
वहीं कर्मचारियों के हेतु तृतीय और चतुर्थ वर्गीय शासकीय कर्मचारियों के लिये क्रमोन्नति,पदोन्नति और चार स्तरीय उच्च्तर वेतन मान,out sourcing पर रोक,अनियमित,संविदा व दैनिक वेतन भोगी कर्मियों की रिक्त पदों पर नियमित नियुक्ति और शिक्षा कर्मियों को दो वर्ष के प्रोविजन पीरियड के बाद नियमित शिक्षक बनाये जाने के प्रावधान व्यावहारिक हैं,वहीं पुलिस कल्याण कोष को शासकीय अनुदान दिये जाने की घोषणा भी सराहनीय है..,
विकास का रमन मॉडयूल छत्तीसगढ़ में पूरी तरह से विफल रहा है वह पूँजीपतियों के लिये लाभकारी रहा है और मज़दूर किसान कर्मचारियों के हितों के हेतु उदासीन रहा है..,