नितिन राजीव सिन्हा
बाला साहेब ठाकरे उस पीढ़ी के अंतिम नेता थे जो क़लम की नोंक पर राजनीति की परख किया करते थे,दोपहर के अख़बार सामना में लिखे गये उनके संपादकीय से तब मुंबई,महाराष्ट्र और कई मौक़ों पर दिल्ली की राजनीति परवान चढ़ती थी,कहा जाता है वे आजीवन दिल्ली नहीं गये पर,दिल्ली उनके दर पर लगातार दस्तक देती रही वह उनके खूँटे से वर्षों बंधी रही..,
कट्टर हिन्दू छवि के होते हुए उन्होंने अपनी राजनीतिक भू सीमाओं को न लाँघते हुए भी देश की जन चेतना को झकझोर कर रख दिया था १९९२ के दिसंबर माह के ६ तारीख़ को जबकि बाबरी ढाँचा ढहा दिया गया था तब भाजपा नेतृत्व किंकर्तव्यविमूढ हुआ था तब बाला साहेब आगे आये थे और ढाँचा ढहाये जाने पर शिवसैनिकों को शाबाशी दी थी वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने बाबरी ध्वंस के बाद मुद्दे पर बात की थी यह उनके पुरुषार्थ की तासीर थी..,
बाला साहेब कार्टूनिस्ट थे वे राजनीति को अपनी कल्पनाओं में जीते थे और अपनी कल्पनाओं को वो कैनवास पर उतारते थे उनका बनाया हुआ एक कार्टून है जिसमें बाला साहेब कुर्सी पर बैठे हुए हैं सामने उनके एक ख़ाली कुर्सी रखी हुई है जिस पर वे पाँव धरे हुए हैं नीचे एक स्टूल रखा हुआ है एक नेता सामने खड़ा है जिससे बाला साहेब कह रहे हैं have a seat..,
इतिहास करवट लेता है व्यक्ति चला जाता है पीछे अपनी तस्वीर छोड़ जाता भाजपा के कथित चाणक्य मोदी और शाह के लिए आज बुरा दिन है क्योंकि उनकी पलिटिकल बिज़नेस कल्चर ध्वस्त हुई है न विधायक बिके न भाजपाई टिके कर्नाटक दोहराया न जा सका शिवसेना ने जूते की नोंक पर मोटा भाई ग्रूप को रखा अंततः आज भाजपा ने मजबूरन सरकार बनाने के राज्यपाल के आमंत्रण को अस्वीकार कर दिया इस तरह सरकार बनाने के नरेंद्र मोदी-अमित शाह के जुनून पर विराम लगा दिया गया..,
भाजपा की ओर से कुछ दिन पहले यह बयान आया था कि शिवसेना के ४५ विधायक उनके संपर्क में हैं पर उसकी झोली में एक भी नहीं आये पिछले छः सालों में ऐसा पहली बार हुआ जबकि लोकतंत्र की गर्दन पर चाक़ू टिकाई न जा सकी,जोड़तोड़ कर भाजपा की सरकार बनाई न जा सकी..,शिवसेना से हौसले पर लिखना होगा कि-
तेरे सामने
आसमाँ
और भी हैं
उड़ान और
भी है..,रास्ते
और भी हैं
शेर से हौसले
और भी हैं..,
“पर,दुम दबा
कर लौटते
शाह के गुर्गे
और भी हैं..?