निरंजन मोहन्ती
नारायणपुर :- देश को आजादी मिले लगभग 73 साल गुजरने को है, केन्द्र और राज्य में न जाने कितनी सरकारें आई और चली गई, पर बादलखोल अभ्यारण्य बच्छरांव से बरडाँड़ सड़क की मांग वर्षों से चली आ रही है ,परंतु किसी ने इस सड़क को चलने लायक बनवाने का जरूरी नही समझा। सांसद विधायक,और अधिकारीयों के द्वारा अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिला ।बादलखोल अभ्यारण्य के बीच मे बसे चार पंचयात के लोगों को अपनी जान हथेली पर रखकर जर्जर सड़क में चलने पर मजबूर होना पड़ता है,इस क्षेत्र के लोगों को कम दूरी तय कर बाइक या सायकिल से नारायणपुर कुनकुरी,ओर जशपुर अगर जाना हो तो बच्छरांव से बरडाँड़ मटासी होकर अभ्यारण्य की कच्ची उबड़ खाबड़ सड़क से जाना पड़ता है,इस 8 किमी की यह कच्ची सड़क इतनी जर्जर हो हो चुकी है कि मोटर सायकिल सवार व्यक्ति भी पांव जमीन पर रखकर अपनी बाइक चलाना पड़ता है ,इस सड़क की मरम्मत भी प्रत्येक वर्ष रेंज कार्यलय नारायणपुर के द्वारा थूक पालिस कर कर दिया जाता है पूछने पर बताया जाता है कि बजट की राशि बहुत कम मिलने के कारण बजट राशि के अनुसार बना दिया जाता है। बादलखोल अभ्यारण्य के मध्य में गांव होने के कारण विभाग का यह दायित्व होता है कि ग्रामीणों के आवागमन के लिए एक अच्छी सड़क का निर्माण करा देना चाहिए । इस संबंध पर विभाग के आला अधिकारियों को पूछने पर बताया जाता है कि विभाग डामरीकरण सड़क निर्माण नही करती और न ही इसकी इज्ज़ाद किसी ओर को देती है, इस क्षेत्र के आदिवासी ग्रामीणों के हितों को ध्यान में रखते हुए विभाग को कम से कम कांक्रीट सड़क का निर्माण करानी चाहिए, इस अभ्यारण्य में प्रतिवर्ष करोड़ो की लागत से स्टाफ डेम क्वाटरों की बाउंड्रीवाल जैसे काम तो हो रहा है पर जंहा प्रतिदिन सैकड़ो लोग जर्जर सड़क पर आवागमन करने को बाध्य है उस सड़क निर्माण के लिए राशि उपलब्ध नही कराती जबकि इस सड़क को लेकर क्षेत्र के ग्रामीण ओर जन प्रतिनिधियों ने कई बार उच्च अधिकारियों और नेताओं से गुहार लगा चुके।
विगत माह जशपुर विधायक विनय भगत के दौरा कार्यक्रम में बच्छरांव क्षेत्र की जनता ने 16 अक्टूबर को आवेदन देकर बच्छरांव से बरडाँड़ सड़क निर्माण की मांग रखी जिस पर विधायक के द्वारा ग्रामीणों को आश्वासन दिया गया कि जल्द ही वन विभाग के उच्च अधिकारियों से बात की जाएगी और एक अच्छी सड़क जल्द बनाया जाएगा, अब देखना है कि आजादी के बाद से यह सड़क नही बन पाई क्या वह बन भी पाएगी या यंहा के ग्रामीणों को हमेशा की तरह ही इस जर्जर सड़क पर चलने को मजबूर होना पड़ेगा।