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व्रतियों द्वारा उगते सूर्य को अर्ध्य देकर छठ महापर्व मनाया गया,,,छठ माता से संतान पति और परिवार की सुख शांति और समृद्धि की कामना की गई।

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निरंजन मोहन्ती

नारायणपुर:- छठ का त्योहार देश के कई इलाकों में बड़े ही धूम धाम के साथ मनाया जा रहा है आज सुबह सूर्य को अर्ध्य देने के बाद यह महापर्व का त्योहार का समापन हो गया।नारायणपुर और सेन्द्रिमुंडा के नदी और तालाब के घाटों में भारी भीड़ उमड़ पड़ी भारी संख्या में व्रतियों द्वारा आज नदी और तालाब घाट में पहुंच गए औऱ पानी मे खड़े होकर उगते सूर्य को अर्ध्य दिया गया। इसके बाद छठ माता से संतान की रक्षा और पूरे परिवार की सुख शांति की कामना की गई। सूर्य को अर्घ्य देने और पूजा करने के बाद व्रती अपना व्रत खोलते हैं। त्योहार चार दिनों तक चलता है। वैसे तो साल में दो बार ये पर्व मनाया जाता है एक चैत्र माह में दूसरा कार्तिक महीने में। लेकिन कार्तिक में आने वाली छठ पूजा का विशेष महत्व होता है। यह पर्व सूर्यदेव की उपासना का होता है। मान्यता है कि छठ पूजा करने से जीवन में आ रहे सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

       कार्तिक में हो रही यह छठ पूजा का विशेष महत्व होता है। यह पर्व सूर्यदेव की उपासना का होता है। मान्यता है कि छठ पूजा करने से जीवन में आ रहे सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।छठ पूजा के दौरान 36 घंटों तक व्रत रखा जाता है और डूबते हुए और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।पौराणिक कथा के अनुसार बताया जाताहैं कि छठ पूजा की शुरुआत सूर्य पुत्र कर्ण ने की थी। मान्याताओं के अनुसार, वे प्रतिदिन घंटों कमर तक पानी में खड़े रहकर सूर्य को अर्घ्य दिया करते थे। सूर्य की कृपा से ही वे महान ओर कुशल योद्धा बने थे। और यह भी कहा जाता है कि महाभारत काल में जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गए, तब द्रौपदी ने छठ व्रत किया था। जिससे उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हुईं और पांडवों को राजपाट वापस मिल गया।

    नारायणपुर के इस क्षेत्र में लगभग 15 वर्षों से मनाया जा रहा है अब छठ पूजा में प्रतिवर्ष लोगों की संख्या घाटों में बढ़ती जा रही है स्थानीय लोगों ने भी छठ पूजा की महत्व को समझने लगे हैं जिससे लोगों में उत्साह देखने को मिल रहा है।

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