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क्या मोदी का कहना मानेंगे भाजपाई, भाजपा के कथनी और करनी में अंतर

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"सुरेंद्र सिंह/नाजिम अहमद"

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भजापा की संसदीय दल की बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव विजयवर्गीय तथा पश्चिम बंगाल के प्रभारी के बेटे आकाश विजयवर्गीय की हरकत को अप्रत्यक्ष रूप से कोर्ट करते हुए यह कहना कि कि बेटा किसी का भी हो चाहे ऊंचे पद पर क्यों न बैठा हो उसको इस तरह की मनमानी करने का कोई अधिकार नहीं है और ऐसे लोगों को समर्थन देने वाले भी पार्टी में बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे क्योंकि इससे पार्टी के साथ साथ भाजपा सरकारों का नाम भी बदनाम होता है यह पहला अवसर नहीं है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी पार्टी एवं तमाम उन्हें उनके अनुषांगिक संगठन कभी मॉब लिंचिंग तो कभी गाय के मांस को लेकर तो कभी-कभी मुस्लिम की टोपी और दाढ़ी को लेकर तमाम तरह की सांप्रदायिक हरकतें करते रहते हैं इन संगठनों द्वारा कई मुसलमानों को अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ा है और वह बार-बार आगाह करते रहे हैं कि जो भी ऐसी हरकतें करेगा करेगा उसको बर्दाश्त नहीं किया जाएगा तथा कानून अपने स्तर पर उनको सजा देगा लेकिन 2014 से लेकर अब तक जितनी भी घटनाएं हुई है उसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कभी खामोश रहे तो कभी अपनी चुप्पी तोड़ी बावजूद केसरिया पलटन द्वारा इस तरह की घटनाएं होती रहती है बावजूद बार-बार यही कहा जाता है कि लोगों को ऐसी हरकत करने पर ना केवल पार्टी से निकाला जाएगा बल्कि उन पर कानूनी कार्यवाही भी की जाएगी लेकिन मामला हर बार की तरह हमेशा ढाक के तीन पात वाला ही साबित होता है उत्तराखंड में भी एक विधायक ऐसे रहे हैं जो अपने विवादास्पद मामलों को लेकर 3 महीने के लिए भाजपा से निकाले गए लेकिन बाद में फिर उन्हें पार्टी में ले लिया गया उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और जहां जहां कहीं भी पूर्व में या वर्तमान में भाजपा सरकारें हैं इस तरह की घटनाएं आए दिन होती रहती हैं इससे स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो बोलते हैं उनके लोग एवं पार्टी के बड़े पदाधिकारी व्यवहारिक तौर पर अमल में नहीं लाते इसकी एक वजह यह भी है कि अब जब सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का विश्व हिंदू परिषद बजरंग दल तक तथा भाजपा के कई छोटे-बड़े नेता कभी दाढ़ी के सवाल पर तो कभी टोपी के सवाल को लेकर सांप्रदायिक माहौल खड़ा करते हैं भले ही बदले हालात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह कहते हो कि सबका विकास सबका साथ और सब का विश्वास होना जरूरी है और जब तक यह नहीं होगा भारत विकास के रास्ते पर आगे नहीं बढ़ पाएगा लेकिन हकीकत इससे अलग है सच तो यह है उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में सांप्रदायिकता को आधार मानकर भाजपा अपनी जड़ों को और मजबूत करनी चाहती है पश्चिम उत्तर प्रदेश प्रदेश के कई जिलों में इस तरह की घटनाएं हो चुकी है इससे अब पश्चिम बंगाल भी अछूता नहीं है अपना मुखौटा बदलने में भाजपा के नेता भले यह दावा करें कि वह कभी भी सांप्रदायिकता की राजनीति नहीं करते लेकिन पश्चिम बंगाल के कोलकाता जैसे शहरों में जय श्री राम और हनुमान चालीसा सड़कों पर बैठकर पढ़ी जा रही है यह सांप्रदायिकता नहीं तो क्या है ऐसा नहीं है कि भाजपा के लोग ही केवल इस तरह की घटनाओं को अंजाम देते हैं इससे कांग्रेस, टीएमसी, बीजेपी,और समाजवादी पार्टी भी अछूती नहीं है उत्तरप्रदेश के मुलायम सिंह की राजनीति हमेशा से हिंदुओं और मुसलमानों के बीच में खाई पैदा कर अपनी राजनीति करने की रही है इसी तरह कांग्रेस भी हमेशा मुसलमानों को अपना वोट प्राप्त करने का साधन समझती रही है लेकिन व्यावहारिक स्तर पर उनके विकास और विस्तार के लिए कुछ नहीं किया तथा सांप्रदायिकता को आधार मानकर अपनी वोटों की राजनीति करती रही है परिणाम यह रहा की मुस्लिम समाज के लोग आंख मूंदकर तथा कथित सेकुलर जमातों को अपना वोट देते रहे और किसी न किसी तरीके से वे सांप्रदायिकता की आग में झुलसते रहे, इसी का 90 के दशक से भाजपा तथा उसका अग्रज संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ,बजरंग दल,आदि मुसलमानों के तुष्टीकरण के सवाल पर अपना उग्र हिंदुत्ववादी रवैया अपनाया। आज देश में जिस तरह से उग्र हिंदुत्ववादी अपने पैर पसार रहा है उससे लगता है अगर राजनीतिक दृष्टिकोण से ऐसे मामलों को नहीं रोका गया तो पूरे देश में ना केवल धार्मिक व जातीय ध्रुवीकरण होगा बल्कि सांप्रदायिक माहौल भी बिगड़ेगा अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वास्तव में कहते हैं/चाहते हैं कि बड़े नेताओं के बेटों पर भी लगाम लगाई जाए सांप्रदायिकता फैलाने वाले लोगों को रोका जाए तो स्वयं में अपनी पार्टी से ही इनकी शुरुआत करनी होगी तथा राजनीतिक नफा नुकसान के बजाय उन्हें बाहर का रास्ता दिखाना होगा.तभी सबका साथ सबका विकास और सब का विश्वास वाली धारणा को आगे बढ़ाया जा सकेगा.वरना मामला जैसा है वही रहेगा,अब देखना यह है की जो लोग इस तरह की बात कर रहे हैं उन पर लगाम लगती है या फिर कुछ और भी होता है या फिर उन पर कार्रवाई होती है।

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