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-मोदी की धोती- देश का किसान रोता है,आँसू पोंछता है.., “पर,चार्ली चैपलिन की तरह अपने आँसू धोता नहीं है..,”

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नितिन राजीव सिन्हा

किसानों के देश में सरकार साहूकारों के साथ अगर खड़ी हो तो यह देखना किसी त्रासदी से कम नहीं होता है पर,मोदी हैं कि धोती पहनते हैं क्योंकि किसान की यही पोशाक होती है वे किसान की आय दोगुना कर देने की बात करते हैं इस पर लोग सभाओं में तालियाँ पिटते हैं कहा जाता है ताली पीटना सेहत के लिये अच्छा होता है यद्यपि किन्नर ऐसा करते हैं इसलिए वे स्वस्थ्य रहते है,दीर्घायु भी..,

क़रीब ७० साल की उम्र में कोई बंदा अपने सीने के बटन खोल कर रखे @५६” सीने की बात करे,ऐसा या तो मोदी कर सकते हैं या फ़िल्म स्टार सुनील शेट्टी अपने भावी बुढ़ापा के दौर में इस तरह से कर गुज़र सकते हैं..,

बात किसान की हो रही है तो छत्तीसगढ़ के किसान इन दिनों रो रहे हैं गन्ना की उपज जो लेते है उनके लिये आगे कुआँ पीछे खाई वाली दशा है और धान की फ़सल जो ले रहे हैं उनकी गर्दन पर मोदी कंपनी का उस्तुरा टिका दिया गया है..,

@२५००/- प्रति क्विंटल की दर से ८५ लाख मे.टन धान भूपेश सरकार इस ख़रीफ़ सीज़न में ख़रीदी करने वाली है,लेकिन मोदी सरकार ने फ़ैसला किया है कि सेंट्रल पूल में वह चावल नहीं ख़रीदेगी पीडीएस की पूर्ति धान ख़रीदने के बाद शेष बचे हुए धान का राज्य सरकार क्या उपयोग करेगी यह मंथन चिन्तन का विषय है..,

पीडीएस में क़रीब ३५ लाख मेटरिक टन चावल की खपत हर साल होती है उसके बाद तक़रीबन ३५ लाख टन चावल शेष बच जायेगा तो इसकी खपत कैसे हो यह राज्य सरकार के लिये चिंता का विषय है जबकि गत वर्ष का १७ लाख मैट्रिक टन धान अब तक मिलिंग नहीं हुआ है जो इस वर्ष मिलिंग में जायेगा तो किसानों के हित साधने में लगी हुई भूपेश सरकार के लिए यह दुविधा की स्थिति बन पड़ी है..,”सवाल यह भी है कि मोदी सरकार अन्न दाताओ के प्रति बेरुख़ी आख़िर क्यों दिखा रही है,जबकि मोदी का ही संकल्प है कि किसानों की आय वे दोगुना करेंगे जिस पर भूपेश सरकार आगे बढ़ रही है..,”

अब बात गन्ना किसानों की तो जून २०१८ से केंद्र सरकार ने नीति बनाई है जिसके तहत केंद्र सरकार जितनी अनुमति देती है उतनी  ही निर्धारित मात्रा में शक्कर की बिक्री राज्य सरकारें कर सकती है छत्तीसगढ़ में पीडीएस में शक्कर की खपत सत्तर हज़ार मैट्रिक टन प्रति वर्ष है जबकि शक्कर का उत्पादन १ लाख २० हज़ार टन है यानि ५० हज़ार टन सरप्लस उत्पादन है केंद्र की नीति के कारण यहाँ का शक्कर दूसरे राज्यों में बिक नहीं पा रहा है पर,यहाँ महाराष्ट्र और यूपी का शक्कर आकर बिक रहा है जबकि राज्य के शक्कर कारख़ाने किसानों के गन्ने का भुगतान किसानों को नहीं कर पा रहे हैं..,

किसानों की दुर्दशा पर लिखना होगा कि वे अगर चार्ली चैपलिन होते तो बेहतर होता क्योंकि चैपलिन कहा करते थे कि मैं हमेशा बारिश में चलता हूँ ताकि कोई मेरे आँखों के बहते हुए आँसू देख न सके..,पर,मोदी के आँसू गाहे बे गाहे छलक पड़ते हैं इसी तरह छत्तीसगढ़ के किसान अपने आँसू सहेज लेते हैं..,जिस पर लिखना होगा कि-

रोने वाले तुझे

रोने का सलीक़ा

नहीं,किसान का

कलेजा फटता है..,

के,आख़िर अश्क़ 

पीने के लिये हैं

या बहा लेने के

लिये, इसका

पर, उसे तजुर्बा नहीं..,

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