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राज्यपाल मंत्रियों को समझाईश दें,यह उनका संवैधानिक दायित्व है पर, मुख्यमंत्री के कामकाज पर सार्वजनिक टिप्पणी करें तो यह अकल्पनीय परंपरा है..,

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नितिन राजीव सिन्हा

एक अख़बार से बात करते हुए छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उईके ने कह दिया है कि “मुख्यमंत्री ध्यान दें,निचले स्तर के अधिकारी आपका निर्देश नहीं मान रहे हैं..,”

राज्यपाल का यह कथन अकल्पनीय है यह परम्पराओं से परे है..,

जानकारों का कहना है कि संविधान में मुख्यमंत्री और मंत्रियों के कामकाज की देख रेख करने की ज़िम्मेदारी महामहिम की होती है वह चुनिंदा विषयों(specific subject) पर मंत्रियों को निर्देश दे सकती हैं लेकिन नीचे स्तर के अधिकारियों के कामकाज पर टिप्पणी अथवा हस्तक्षेप करना उनके कार्यक्षेत्र से बाहर का विषय है ध्यान रहे ज़िलाधिकारी अथवा तहसील या विकासखंड के अधिकारी के कामकाज को देखना राज्यपाल का विषय नहीं है..,

राज्यपाल का सुपेबेड़ा मामले में भूपेश सरकार को घेरना यह साबित करता है उनमें दूरदृष्टि का अभाव है उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के उस बयान पर जिसमे उन्होंने योजनाओं के क्रियान्वयन में कहीं न कहीं ख़ामी रह जाने की बात स्वीकारी थी के संदर्भ में अपनी बात कही है..,

लोगों को याद है कि १५ सालों की असफलता रमन सरकार के कार्यकाल की रही है इन वर्षों में वहाँ यानि सुपेबेड़ा में पीने के स्वच्छ पानी की आपूर्ति तक सुनिश्चित नहीं की जा सकी जिससे समस्या विकराल होती चली गई दर्जनों जानें किड्नी रोग की वजह से चली गई जिसकी समुचित चिकित्सा की व्यवस्था भी तब नहीं की जा सकी थी..,

भूपेश सरकार ने १० महीनों में जो उपाय सुपेबेड़ा में किए हैं उसके परिणाम दूरगामी होंगे इसलिए राजनीतिक बयान बाज़ी कर विषयंतर्गत होने से शीर्ष सरोकार को बचना चाहिये..,

उन्होंने आदिवासियों के ज़मीनें छीने जाने की शिकायत पर भी बात की है लेकिन वह सब रमन सरकार  के विभत्स दौर की पटकथा है इसलिये उस सरकार पर नज़रें दौड़ायें जिसने लाखों किसानों को भूमिहीन किया था..,

टीएस सिंहदेव ने जिम्मेदारीपूर्ण बयान दिये हैं लेकिन उसे ग़लत संदर्भो के हवाले किया जाना अव्यवाहरिक बन पड़ा है..,

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